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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रकाशन 20

हज़ार वर्ष का राज्य

20 इसके बाद मैंने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते हुए देखा. उसके हाथ में अथाह गड्ढे की कुंजी तथा एक भारी साँकल थी. उसने उस परों वाले साँप को—उस पुराने साँप को, जो वस्तुत: दियाबोलॉस या शैतान है, एक हज़ार वर्ष के लिए बान्ध दिया. तब स्वर्गदूत ने उसे अथाह गड्ढे में फेंक दिया, उसे बन्द कर उस पर मुहर लगा दी कि वह हज़ार वर्ष पूरा होने तक अब किसी भी राष्ट्र से छल न करे. यह सब होने के बाद यह ज़रूरी था कि उसे थोड़े समय के लिए मुक्त किया जाए.

तब मैंने सिंहासन देखे. उन पर वे व्यक्ति बैठे थे, जिन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया था. तब मैंने उनकी आत्माओं को देखा, जिनके सिर मसीह येशु से सम्बन्धित उनकी गवाही तथा परमेश्वर के वचन का प्रचार करने के कारण उड़ा दिए गए थे. उन्होंने उस हिंसक पशु या उसकी मूर्ति की पूजा नहीं की थी. जिनके मस्तक तथा हाथ पर उसकी मुहर नहीं लगी थी, वे जीवित हो उठे और उन्होंने हज़ार वर्ष तक मसीह के साथ राज्य किया. यही है वह पहिला पुनरुत्थान—बाकी मरे हुए तब तक जीवित न हुए, जब तक हज़ार वर्ष पूरे न हो गए. धन्य और पवित्र हैं वे, जिन्हें इस पहिले पुनरुत्थान में शामिल किया गया है. दूसरी मृत्यु का उन पर कोई अधिकार न होगा परन्तु वे परमेश्वर और मसीह के पुरोहित होंगे तथा हज़ार वर्ष तक उनके साथ राज्य करेंगे.

शैतान के लिए तय किया गया दण्ड

हज़ार वर्ष का समय पूरा होने पर शैतान उसकी कैद से आज़ाद कर दिया जाएगा. तब वह उन राष्ट्रों को भरमाने निकल पड़ेगा, जो पृथ्वी पर हर जगह बसे हुए हैं—गॉग और मेगॉग—कि उन्हें युद्ध के लिए इकट्ठा करे. वे समुद्र तट के रेत कणों के समान अनगिनत हैं. वे सारी पृथ्वी पर छा गए और उन्होंने पवित्र लोगों के शिविर तथा प्रिय नगरी को घेर लिया. तभी स्वर्ग से आग बरसी और उस आग ने उन्हें भस्म कर डाला. 10 तब शैतान को, जिसने उनके साथ छल किया था, आग तथा गन्धक की झील में फेंक दिया गया, जहाँ उस हिंसक पशु और झूठे भविष्यद्वक्ता को भी फेंका गया है. वहाँ उन्हें अनन्त काल के लिए दिन-रात ताड़ना दी जाती रहेगी.

मरे हुओं का न्याय

11 तब मैंने सफ़ेद रंग का एक वैभवपूर्ण सिंहासन तथा उन्हें देखा, जो उस पर बैठे हैं; जिनकी उपस्थिति से पृथ्वी व आकाश पलायन कर गए और फिर कभी न देखे गए. 12 तब मैंने सभी मरे हुओं—साधारण और विशेष को सिंहासन के सामने उपस्थित देखा. तब पुस्तकें खोली गईं तथा एक अन्य पुस्तक—जीवन-पुस्तक—भी खोली गई. मरे हुओं का न्याय पुस्तकों में लिखे उनके कामों के अनुसार किया गया. 13 समुद्र ने अपने में समाए हुए मरे लोगों को प्रस्तुत किया. मृत्यु और अधोलोक ने भी अपने में समाए हुए मरे लोगों को प्रस्तुत किया. हर एक का न्याय उसके कामों के अनुसार किया गया. 14 मृत्यु तथा अधोलोक को आग की झील में फेंक दिया गया. यही है दूसरी मृत्यु—आग की झील. 15 उसे, जिसका नाम जीवन-पुस्तक में न पाया गया, आग की झील में फेंक दिया गया.

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योहन 19

मसीह येशु का क्रूस मृत्युदण्ड

19 इसलिए पिलातॉस ने मसीह येशु को भीतर ले जा कर उन्हें कोड़े लगवाए. सैनिकों ने काँटों का एक मुकुट गूँथ कर उनके सिर पर रखा और उनके ऊपर एक बैंगनी वस्त्र डाल दिया और वे एक-एक कर उनके सामने आ कर उनके मुख पर प्रहार करते हुए कहने लगे, “यहूदियों के राजा की जय!”

पिलातॉस ने दोबारा आ कर भीड़ से कहा, “देखो, मैं उसे तुम्हारे लिए बाहर ला रहा हूँ कि तुम जान लो कि मुझे उसमें कोई दोष नहीं मिला.” तब काँटों का मुकुट व बैंगनी वस्त्र धारण किए हुए मसीह येशु को बाहर लाया गया और पिलातॉस ने लोगों से कहा, “देखो, इसे!”

जब प्रधान पुरोहितों और सेवकों ने मसीह येशु को देखा तो चिल्ला कर कहने लगे, “क्रूसदण्ड़! क्रूसदण्ड़!” पिलातॉस ने उनसे कहा, “इसे ले जाओ और तुम ही दो इसे मृत्युदण्ड क्योंकि मुझे तो इसमें कोई दोष नहीं मिला.” यहूदियों ने उत्तर दिया, “हमारा एक नियम है. उस नियम के अनुसार इस व्यक्ति को मृत्युदण्ड ही मिलना चाहिए क्योंकि यह स्वयं को परमेश्वर का पुत्र बताता है.”

जब पिलातॉस ने यह सुना तो वह और अधिक भयभीत हो गया. तब उसने दोबारा राजभवन में जाकर मसीह येशु से पूछा, “तुम कहाँ के हो?” किन्तु मसीह येशु ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया. 10 इसलिए पिलातॉस ने उनसे कहा, “तुम बोलते क्यों नहीं? क्या तुम नहीं जानते कि मुझे यह अधिकार है कि मैं तुम्हें मुक्त कर दूँ और यह भी कि तुम्हें मृत्युदण्ड दूँ?”

11 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “आपका मुझ पर कोई अधिकार न होता यदि वह आपको ऊपर से न दिया गया होता. अत्यंत नीच है उसका पाप, जिसने मुझे आपके हाथ सौंपा है.” 12 परिणामस्वरूप पिलातॉस ने उन्हें मुक्त करने के यत्न किए किन्तु यहूदियों ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा, “यदि आपने इस व्यक्ति को मुक्त किया तो आप कयसर के मित्र नहीं हैं. हर एक, जो स्वयं को राजा दर्शाता है, वह कयसर का विरोधी है.”

13 ये सब सुन कर पिलातॉस मसीह येशु को बाहर लाया और न्याय आसन पर बैठ गया, जो उस स्थान पर था, जिसे इब्री भाषा में गब्बथा अर्थात् चबूतरा कहा जाता है. 14 यह फ़सह की तैयारी के दिन का छठा घण्टा था. पिलातॉस ने यहूदियों से कहा.

“यह लो, तुम्हारा राजा.”

15 इस पर वे चिल्लाने लगे, “इसे यहाँ से ले जाओ! ले जाओ इसे यहाँ से और मृत्युदण्ड दो!”

पिलातॉस ने उनसे पूछा, “क्या मैं तुम्हारे राजा को मृत्युदण्ड दूँ?”

प्रधान पुरोहितों ने कहा, “कयसर के अतिरिक्त हमारा कोई राजा नहीं है.”

16 तब पिलातॉस ने क्रूस-मृत्युदण्ड के लिए मसीह येशु को उनके हाथ सौंप दिया.

क्रूस-मार्ग पर मसीह येशु

(मत्ति 27:32-37; मारक 15:21-24; लूकॉ 23:26-31)

17 वे मसीह येशु को उस स्थान को ले गए, जो इब्री भाषा में गोलगोथा कहलाता है, जिसका अर्थ है खोपड़ी का स्थान. मसीह येशु अपना क्रूस स्वयं उठाए हुए थे.

मसीह येशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना

(मत्ति 27:35-44; मारक 15:25-32; लूकॉ 23:32-43)

18 वहाँ उन्होंने मसीह येशु को अन्य दो व्यक्तियों के साथ उनके मध्य क्रूस पर चढ़ाया.

19 पिलातॉस ने एक पटल पर नाज़रेथ का येशु, यहूदियों का राजा लिख कर क्रूस पर लगवा दिया 20 यह अनेक यहूदियों ने पढ़ा क्योंकि मसीह येशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने का स्थान नगर के समीप ही था. यह इब्री, लातीनी और यूनानी भाषाओं में लिखा था. 21 इस पर यहूदियों के प्रधान पुरोहितों ने पिलातॉस से कहा, “यहूदियों का राजा मत लिखिए परन्तु वह लिखिए, जो उसने कहा था: ‘मैं यहूदियों का राजा हूँ’.”

22 पिलातॉस ने उत्तर दिया, “अब मैंने जो लिख दिया, वह लिख दिया.”

23 सैनिकों ने मसीह येशु को क्रूसित करने के बाद उनके बाहरी कपड़े ले कर चार भाग किए और आपस में बांट लिए. उनके अंदर का वस्त्र जोड़ रहित ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था.

24 इसलिए सैनिकों ने विचार किया, “इसे फाड़ें नहीं परन्तु इस पर पासा फेंक कर निर्णय कर लें कि यह किसको मिलेगा.”

सैनिकों ने ठीक वही किया जैसा पवित्रशास्त्र में लिखा है:

उन्होंने मेरा बाहरी कपड़ा आपस में बांट लिया,
    और मेरे अंदर के वस्त्र के लिए पासा फेंका.

25 मसीह येशु के क्रूस के समीप उनकी माता, उनकी माता की बहन, क्लोपस की पत्नी मरियम और मगदालावासी मरियम खड़ी हुई थीं. 26 जब मसीह येशु ने अपनी माता और उस शिष्य को, जो उनका प्रियजन था, वहाँ खड़े देखा तो अपनी माता से बोले, “हे स्त्री! यह आपका पुत्र है.” 27 और उस शिष्य से बोले, “यह तुम्हारी माता है.” उस दिन से वह शिष्य मरियम का रखवाला बन गया.

मसीह येशु की मृत्यु

(मत्ति 27:45-56; मारक 15:33-41; लूकॉ 23:44-49)

28 इसके बाद मसीह येशु ने यह जानते हुए कि अब सब कुछ पूरा हो चुका है, पवित्रशास्त्र का लेख पूरा करने के लिए कहा, “मैं प्यासा हूँ.” 29 वहाँ दाखरस के सिरके से भरा एक बर्तन रखा था. लोगों ने उसमें स्पंज भिगो जूफ़ा पौधे की टहनी पर रखकर उनके मुख तक पहुँचाया. 30 उसे चख कर मसीह येशु ने कहा, “अब सब पूरा हो गया” और सिर झुका कर प्राण त्याग दिए.

31 वह फ़सह की तैयारी का दिन था. इसलिए यहूदियों ने पिलातॉस से निवेदन किया कि उन लोगों की टाँगें तोड़ कर उन्हें क्रूस से उतार लिया जाए जिससे वे शब्बाथ पर क्रूस पर न रहें क्योंकि वह एक विशेष महत्व का शब्बाथ था. 32 इसलिए सैनिकों ने मसीह येशु के संग क्रूस पर चढ़ाए गए एक व्यक्ति की टाँगें पहले तोड़ीं और तब दूसरे की. 33 जब वे मसीह येशु के पास आए तो उन्हें मालूम हुआ कि उनके प्राण पहले ही निकल चुके थे. इसलिए उन्होंने उनकी टाँगें नहीं तोड़ीं 34 किन्तु एक सैनिक ने उनकी पसली को भाले से बेधा और वहाँ से तुरन्त लहू व जल बह निकले. 35 वह, जिसने यह देखा, उसने गवाही दी है और उसकी गवाही सच्ची है—वह जानता है कि वह सच ही कह रहा है, कि तुम भी विश्वास कर सको. 36 यह इसलिए हुआ कि पवित्रशास्त्र का यह लेख पूरा हो: उसकी एक भी हड्डी तोड़ी न जाएगी. 37 पवित्रशास्त्र का एक अन्य लेख भी इस प्रकार है: वे उसकी ओर देखेंगे, जिसे उन्होंने बेधा है.

मसीह येशु को क़ब्र में रखा जाना

(मत्ति 27:57-61; मारक 15:42-47; लूकॉ 23:46-50)

38 अरिमथियावासी योसेफ़ यहूदियों के भय के कारण मसीह येशु का गुप्त शिष्य था. उसने पिलातॉस से मसीह येशु का शव ले जाने की अनुमति चाही. पिलातॉस ने स्वीकृति दे दी और वह आकर मसीह येशु का शव ले गया. 39 तब निकोदेमॉस भी, जो पहले मसीह येशु से भेंट करने रात के समय आए थे, लगभग तैंतीस किलो गन्धरस और अगरू का मिश्रण ले कर आए. 40 इन लोगों ने मसीह येशु का शव लिया और यहूदियों की अंतिम संस्कार की रीति के अनुसार उस पर यह मिश्रण लगा कर कपड़े की पट्टियों में लपेट दिया. 41 मसीह येशु को क्रूसित किए जाने के स्थान के पास एक उपवन था, जिसमें एक नई क़ब्र की गुफ़ा थी. उसमें अब तक कोई शव नहीं रखा गया था. 42 इसलिए उन्होंने मसीह येशु के शव को उसी क़ब्र की गुफ़ा में रख दिया क्योंकि वह पास थी और वह यहूदियों के शब्बाथ की तैयारी का दिन भी था.

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