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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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2 पेतरॉस 3

पत्र का उद्देश्य

प्रियजन, मेरी ओर से यह तुम्हें दूसरा पत्र है. इन दोनों पत्रों के द्वारा मैं तुम्हें दोबारा याद दिलाते हुए तुम्हारे निर्मल मन को छलकाना चाहता हूँ: यह तुम्हारे लिए ज़रूरी है कि तुम पवित्र भविष्यद्वक्ताओं द्वारा पहले से कही बातों तथा प्रेरितों के माध्यम से दिए गए हमारे प्रभु व उद्धारकर्ता के आदेशों को याद करो.

सबसे पहिले, तुम्हारे लिए यह समझ लेना ज़रूरी है कि अन्तिम दिनों में अपनी ही वासनाओं द्वारा नियन्त्रित ठट्ठा करनेवालों का आगमन होगा, जो ठट्ठा करते हुए यह कहेंगे: “क्या हुआ प्रभु के दूसरे आगमन की प्रतिज्ञा का? पूर्वजों की मृत्यु से अब तक सब कुछ वैसा ही चल रहा है जैसा सृष्टि के प्रारम्भ से था.” जब वे जानबूझकर यह भूल जाते हैं कि प्राचीन काल में परमेश्वर के शब्द मात्र द्वारा आकाशमण्डल अस्तित्व में आया तथा शब्द ही के द्वारा जल में से, जल के द्वारा ही पृथ्वी की रचना हुई. यह उनके ठट्ठे का ही परिणाम था कि उस समय का संसार जल की बाढ़ के द्वारा नाश किया गया. इसी शब्द के द्वारा वर्तमान आकाशमण्डल तथा पृथ्वी अग्नि के लिए रखे गए तथा न्याय के दिन पर अधर्मियों के नाश के लिए सुरक्षित रखे जा रहे है.

किन्तु प्रियजन, इस बात को कभी भूलने न देना कि प्रभु के सामने एक दिन एक हज़ार वर्ष और हज़ार वर्ष एक दिन के बराबर हैं. प्रभु अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करने में देर नहीं करते जैसा कुछ लोगों का विचार है. वह तुम्हारे प्रति धीरज धरते हैं और नहीं चाहते कि किसी का भी विनाश हो परन्तु यह कि सभी को पाप से मन फिराने का सुअवसर प्राप्त हो.

10 प्रभु का दिन चोर के समान अचानक से आएगा, जिसमें आकाशमण्डल गड़गड़ाहट की तेज़ आवाज़ करते हुए नष्ट हो जाएगा, तत्व बहुत ही गरम होकर पिघल जाएँगे तथा पृथ्वी और उस पर किए गए सभी काम प्रकट हो जाएँगे.

11 जब इन सभी वस्तुओं का इस रीति से नाश होना निश्चित है तो पवित्र चाल-चलन तथा भक्ति में तुम्हारा किस प्रकार के व्यक्ति होना सही है, 12 जब तुम परमेश्वर के दिन के लिए ऐसी लालसा में इंतज़ार कर रहे हो, मानो उसे गति प्रदान कर रहे हो तो इस बात के प्रकाश में जब आकाशमण्डल आग से नाश कर दिया जाएगा तथा तेज़ गर्मी के कारण तत्व पिघल जाएँगे 13 प्रभु की प्रतिज्ञा के अनुसार हम नए आकाश और नई पृथ्वी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहाँ धार्मिकता का वास है.

14 इसलिए प्रियजन, जब तुम उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हो, कोशिश करो कि प्रभु की दृष्टि में निष्कलंक तथा निर्दोष पाए जाओ तथा तुममें उनकी शान्ति का वास हो. 15 हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो—ठीक जैसे हमारे प्रिय भाई पौलॉस ने उन्हें दिए गए ज्ञान के अनुसार तुम्हें लिखा है, 16 जैसे उन्होंने अपने सभी पत्रों में भी इन्हीं विषयों का वर्णन किया है, जिनमें से कुछ विषय समझने में कठिन हैं, जिन्हें अस्थिर तथा अनपढ़ लोग बिगाड़ देते हैं—जैसा कि वे शेष पवित्रशास्त्र के साथ भी करते हैं; जिससे वे स्वयं अपना ही विनाश कर लेते हैं.

17 इसलिए प्रियजन, यह सब पहले से जानते हुए सचेत रहो. ऐसा न हो कि अधर्मियों की गलत शिक्षा में बहककर स्थिरता से तुम गिर न जाओ. 18 हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता मसीह येशु के अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाओ. उनकी महिमा अब भी और युगानुयुग होती रहे. आमेन.

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लूकॉ 15

परमेश्वर की दयालुता के विषय में तीन दृष्टान्त

15 सभी चुँगी लेने वाले और पापी लोग मसीह येशु के प्रवचन सुनने उनके पास आए किन्तु फ़रीसी और शास्त्री बड़बड़ाने लगे, “यह व्यक्ति पापियों से मित्रता रखते हुए उनके साथ संगति करता है.”

इसलिए मसीह येशु ने उनके सामने यह दृष्टान्त प्रस्तुत किया: “तुम में से ऐसा कौन होगा, जिसके पास सौ भेड़ें हों और उनमें से एक खो जाए तो वह निन्यानबे को जंगल में छोड़ कर उस खोई हुई को तब तक खोजता न रहेगा, जब तक वह मिल न जाए? और जब वह उसे मिल जाती है, उसे आनन्दपूर्वक कन्धों पर लाद लेता है. घर लौटने पर वह अपने मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठा कर कहता है, ‘मेरे आनन्द में सम्मिलित हो जाओ क्योंकि मुझे मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है!’” “यह बात याद रखो: पश्चाताप करते हुए एक पापी के लिए उन निन्यानबे धर्मियों की तुलना में स्वर्ग में कहीं अधिक आनन्द मनाया जाता है, जिन्हें मन फिराने की ज़रूरत नहीं है.”

खोया हुआ सिक्का

“या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिसके पास चांदी के दस सिक्के हों और उनमें से एक खो जाए तो वह घर में रोशनी कर घर को बुहारते हुए उस सिक्के को तब तक खोजती न रहेगी जब तक वह मिल नहीं जाता? सिक्का मिलने पर वह अपनी पड़ोसिनों और सहेलियों से कहती है, ‘मेरे आनन्द में शामिल हो जाओ क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है.’

10 “मैं तुमसे कहता हूँ कि स्वर्ग में इसी प्रकार परमेश्वर के दूतों के सामने उस पापी के लिए आनन्द मनाया जाता है, जिसने मन फिराया है.”

खोया हुआ पुत्र

11 मसीह येशु ने आगे कहा, “किसी व्यक्ति के दो पुत्र थे. 12 छोटे पुत्र ने पिता से विनती की, ‘पिताजी, सम्पत्ति में से मेरा भाग मुझे दे दीजिए.’ इसलिए पिता ने दोनों पुत्रों में अपनी सम्पत्ति बांट दी.

13 “शीघ्र ही छोटे पुत्र ने अपने भाग में आई सारी सम्पत्ति ली और एक दूर देश की ओर चला गया. वहाँ उसने अपना सारा धन मनमानी जीवनशैली में उड़ा दिया. 14 और अब, जब उसका सब कुछ समाप्त हो गया था, सारे देश में भीषण अकाल पड़ा किन्तु उसके पास अब कुछ भी बाकी न रह गया था. 15 इसलिए वह उसी देश के एक नागरिक के यहाँ चला गया जिसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने भेज दिया. 16 वह सूअरों के चारे से ही अपना पेट भरने के लिए तरस जाता था. कोई भी उसे खाने के लिए कुछ नहीं देता था.

17 “अपनी परिस्थिति के बारे में होश में आने पर वह विचार करने लगा: ‘मेरे पिता के कितने ही सेवकों को अधिक मात्रा में भोजन उपलब्ध है और यहाँ मैं भूखा मर रहा हूँ! 18 मैं लौट कर अपने पिता के पास जाऊँगा और उनसे कहूँगा: पिताजी! मैंने वह, जो स्वर्ग में हैं, उनके विरुद्ध तथा आपके विरुद्ध पाप किया है. 19 इसके बाद मैं इस योग्य नहीं रह गया कि आपका पुत्र कहलाऊँ. अब आप मुझे अपने यहाँ मज़दूर ही रख लीजिए’. 20 इसलिए वह अपने पिता के पास लौट गया.

“वह दूर ही था कि पिता ने उसे देख लिया और वह दया से भर गया. वह दौड़ कर अपने पुत्र के पास गया और उसे गले लगा कर चूमता रहा.

21 “पुत्र ने पिता से कहा, ‘पिताजी! मैंने परमेश्वर के विरुद्ध तथा आपके प्रति पाप किया है, मैं अब इस योग्य नहीं रहा कि मैं आपका पुत्र कहलाऊँ.’

22 “किन्तु पिता ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, ‘बिना देर किए सबसे अच्छे वस्त्र ला कर इसे पहनाओ और इसकी उँगली में अंगूठी और पाँवों में जूतियाँ भी पहनाओ; 23 जा कर एक सबसे अच्छे बछड़े से भोजन तैयार करो. चलो, हम सब आनन्द मनाएँ 24 क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, अब जीवित हो गया है; यह खो गया था किन्तु अब मिल गया है.’ इसलिए वे सभी आनन्द से भर गए.

25 “उस समय बड़ा बेटा अपने खेतों में काम कर रहा था. जब वह लौट कर घर आ रहा था, पास आने पर उसे संगीत और नाचने की आवाज़ सुनाई दी. 26 उसने एक सेवक को बुला कर उससे पूछा, ‘यह सब क्या हो रहा है?’ 27 ‘आपका भाई लौट आया है,’ उस सेवक ने उत्तर दिया, ‘और आपके पिता ने सबसे अच्छा बछड़ा ले कर भोज तैयार करवाया है क्योंकि उनका पुत्र उन्हें सकुशल और सुरक्षित मिल गया है.’

28 “गुस्से में बड़े भाई ने घर के भीतर तक जाना न चाहा. इसलिए उसके पिता ने ही बाहर आ कर उससे विनती की. 29 उसने अपने पिता को उत्तर दिया, ‘देखिए, इन सभी वर्षों में मैं दास जैसे आपकी सेवा करता रहा हूँ और कभी भी आपकी आज्ञा नहीं टाली फिर भी आपने कभी मुझे एक मेमना तक न दिया कि मैं अपने मित्रों के साथ मिल कर आनन्द मना सकूँ. 30 किन्तु जब आपका यह पुत्र, जिसने आपकी सम्पत्ति वेश्याओं पर उड़ा दी, घर लौट आया, तो आपने उसके लिए सबसे अच्छे बछड़े का भोजन बनवाया है!’

31 “‘मेरे पुत्र!’ पिता ने कहा, ‘तुम तो सदा से ही मेरे साथ हो. वह सब, जो मेरा है, तुम्हारा ही है. 32 हमारे लिए आनन्द मनाना और हर्षित होना सही ही है क्योंकि तुम्हारा यह भाई, जो मर गया था, अब जीवित हो गया है; वह, जो खो गया था, अब मिल गया है.’”

Saral Hindi Bible (SHB)

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