Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: '2 इतिहास 26 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
प्रकाशन 13

13 और मैंने समुद्र में से एक हिंसक पशु को ऊपर आते देखा. उसके दस सींग तथा सात सिर थे. दसों सींगों पर एक-एक मुकुट था तथा उसके सिरों पर परमेश्वर की निन्दा के शब्द लिखे थे. इस पशु का शरीर चीते जैसा, पांव भालू जैसे और मुँह सिंह जैसा था. उस परों वाले साँप ने अपनी शक्ति, अपना सिंहासन तथा राज्य का सारा अधिकार उसे सौंप दिया. उसके एक सिर को देखकर मुझे ऐसा प्रतीत हुआ मानो उस पर जानलेवा हमला किया गया हो और वह घाव अब भर चुके है. अचम्भा करते हुए सारी पृथ्वी के लोग इस पशु के पीछे-पीछे चलने लगे और उन्होंने उस परों वाले साँप की पूजा-अर्चना की क्योंकि उसने शासन का अधिकार उस पशु को सौंप दिया था. वे यह कहते हुए उस पशु की भी पूजा-अर्चना करने लगे, “कौन है इस पशु के समान? किसमें है इससे लड़ने की क्षमता?”

उसे डींग मारने तथा परमेश्वर की निन्दा करने का अधिकार तथा बयालीस माह तक शासन करने की अनुमति दी गई. पशु ने परमेश्वर, उनके नाम तथा उनके निवास अर्थात् स्वर्ग और उन सबकी, जो स्वर्ग में रहते हैं, निन्दा करना शुरु कर दिया. उसे पवित्र लोगों पर आक्रमण करने तथा उन्हें हराने और सभी कुलों, प्रजातियों, भाषाओं तथा राष्ट्रों पर अधिकार दिया गया. पृथ्वी पर रहने वाले उसकी पूजा-अर्चना करेंगे—वे सभी जिनके नाम सृष्टि की शुरुआत ही से उस मेमने की जीवन-पुस्तक में, जो बलि किया गया था, लिखे नहीं गए.

जिसके कान हों वह सुन ले:

10 जो कैद के लिए लिखा गया है,
वह बन्दीगृह में जाएगा; जो तलवार से मारता है,
    उसे तलवार ही से मारा जाएगा.

इसके लिए आवश्यक है पवित्र लोगों का धीरज और विश्वास.

झूठा भविष्यद्वक्ता—हिंसक पशु का दास

11 तब मैंने एक अन्य हिंसक पशु को पृथ्वी में से ऊपर आते हुए देखा, जिसके मेंढ़े के समान दो सींग थे. वह परों वाले साँप के शब्द में बोला करता था. 12 वह पहले से लिखे हिंसक पशु के प्रतिनिधि के रूप में उसके राज्य के अधिकार का उपयोग कर रहा था. वह पृथ्वी तथा पृथ्वी पर रहने वालों को उस पहले से लिखे हिंसक पशु की, जिसका घाव भर चुका था, पूजा-अर्चना करने के लिए मजबूर कर रहा था. 13 वह चमत्कार भरे चिह्न दिखाता था. यहाँ तक कि वह लोगों के देखते ही देखते आकाश से पृथ्वी पर आग बरसा देता था. 14 इन चमत्कार भरे चिह्नों द्वारा, जो वह उस पशु के प्रतिनिधि के रूप में दिखा रहा था, वह पृथ्वी पर रहने वालों को छल रहा था. उसने पृथ्वी पर रहने वालों से उस पशु की मूर्ति बनाने के लिए कहा, जो तलवार के जानलेवा हमले के बाद भी जीवित रहा. 15 उसे उस पशु की मूर्ति को ज़िन्दा करने की क्षमता दी गई कि वह मूर्ति बातचीत कर सके तथा उनका नाश करवा सके, जिन्हें उस मूर्ति की पूजा-अर्चना करना स्वीकार न था. 16 उसने साधारण और विशेष, धनी-निर्धन; स्वतन्त्र या दास, सभी को दायें हाथ या माथे पर एक चिह्न अंकित करवाने के लिए मजबूर किया 17 कि उसके अलावा कोई भी, जिस पर उस पशु का नाम या उसके नाम का अंक अंकित है, लेन-देन न कर सके.

18 इसके लिए आवश्यक है बुद्धिमानी. वह, जिसमें समझ है, उस पशु के अंकों का जोड़ कर ले. यह अंक मनुष्य के नाम का है, जिसकी संख्या का जोड़ है 666.

Error: 'जकर्याह 9 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
योहन 12

बैथनियाह नगर में मसीह येशु का अभिषेक

(मत्ति 26:6-13; मारक 14:3-9)

12 फ़सह के पर्व से छः दिन पूर्व मसीह येशु लाज़रॉस के नगर बैथनियाह आए, जहाँ उन्होंने उसे मरे हुओं में से जीवित किया था. वहाँ उनके लिए भोज का आयोजन किया गया था. मार्था भोजन परोस रही थी और मसीह येशु के साथ भोज में सम्मिलित लोगों में लाज़रॉस भी था. वहाँ मरियम ने बालछड़ के लगभग तीन सौ मिलीलीटर कीमती और शुद्ध सुगन्ध-द्रव्य मसीह येशु के चरणों पर मला और उन्हें अपने केशों से पोंछा. सारा घर इससे सुगन्धित हो गया.

इस पर उनका एक शिष्य—कारियोतवासी यहूदाह, जो उनके साथ धोखा करने पर था, कहने लगा, “यह सुगन्ध-द्रव्य गरीबों के लिये तीन सौ दीनार में क्यों नहीं बेचा गया?” यह उसने इसलिए नहीं कहा था कि वह गरीबों की चिन्ता करता था परन्तु इसलिए कि वह चोर था; धनराशि रखने की जिम्मेदारी उसकी थी, जिसमें से वह धन चुराया करता था.

मसीह येशु ने कहा, “उसे यह करने दो, यह मेरे अन्तिम संस्कार की तैयारी के लिए है. गरीब तुम्हारे साथ हमेशा रहेंगे किन्तु मैं तुम्हारे साथ हमेशा नहीं रहूँगा.”

यह मालूम होने पर कि मसीह येशु वहाँ हैं, बड़ी संख्या में यहूदी न केवल मसीह येशु को परन्तु लाज़रॉस को भी देखने आने लगे, जिसे मसीह येशु ने मरे हुओं में से जीवित किया था. 10 परिणामस्वरूप प्रधान याजक लाज़रॉस की भी हत्या की योजना करने लगे 11 क्योंकि लाज़रॉस के कारण अनेक यहूदी उन्हें छोड़ मसीह येशु में विश्वास करने लगे थे.

विजयोल्लास में येरूशालेम प्रवेश

(मत्ति 21:1-11; मारक 11:1-11; लूकॉ 19:28-44)

12 अगले दिन पर्व में आए विशाल भीड़ ने सुना कि मसीह येशु येरूशालेम आ रहे हैं. 13 वे सब खजूर के वृक्षों की डालियाँ ले कर मसीह येशु से मिलने निकल पड़े और ऊँचे शब्द में जय जयकार करने लगे.

“होशान्ना!”

“धन्य हैं वह, जो प्रभु के नाम में आ रहे हैं!”

“धन्य हैं इस्राएल के राजा!”

14 वहाँ मसीह येशु गधे के एक बच्चे पर बैठ गए—वैसे ही जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है:

15 “त्सियोन की पुत्री,
    भयभीत न हो! देखो,
    तुम्हारा राजा गधे पर बैठा हुआ आ रहा है.”

16 उनके शिष्य उस समय तो यह नहीं समझे किन्तु जब मसीह येशु की महिमा हुई तो उन्हें याद आया कि पवित्रशास्त्र में यह सब उन्हीं के विषय में लिखा गया था और भीड़ ने सब कुछ वचन के अनुसार ही किया था.

17 वे सब, जिन्होंने मसीह येशु के द्वारा लाज़रॉस को क़ब्र से बाहर बुलाए जाते तथा मरे हुओं में से दोबारा जीवित किए जाते देखा था, उनकी गवाही दे रहे थे. 18 भीड़ का उन्हें देखने के लिए आने का एक कारण यह भी था कि वे मसीह येशु के इस अद्भुत चिह्न के विषय में सुन चुके थे. 19 यह सब जान कर फ़रीसी आपस में कहने लगे, “तुम से कुछ भी नहीं हो पा रहा है. देखो, सारा संसार उसके पीछे हो लिया है!”

मसीह येशु द्वारा अपनी मृत्यु का प्रकाशन

20 पर्व की आराधना में सम्मिलित होने आए लोगों में कुछ यूनानी भी थे. 21 उन्होंने गलील प्रदेश के बैथसैदावासी फ़िलिप्पॉस से विनती की, “श्रीमान! हम मसीह येशु से भेंट करना चाहते हैं.” 22 फ़िलिप्पॉस ने आन्द्रेयास को यह सूचना दी और उन दोनों ने जा कर मसीह येशु को. 23 यह सुन कर मसीह येशु ने उनसे कहा, “मनुष्य के पुत्र के महिमित होने का समय आ गया है. 24 मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: जब तक बीज भूमि में पड़ कर मर न जाए, अकेला ही रहता है परन्तु यदि वह मर जाए तो बहुत फलता है. 25 जो अपने जीवन से प्रेम रखता है, उसे खो देता है परन्तु जो इस संसार में अपने जीवन से प्रेम नहीं रखता, उसे अनन्त जीवन के लिए सुरक्षित रखेगा. 26 यदि कोई मेरी सेवा करता है, वह मेरे पीछे चले. मेरा सेवक वहीं होगा जहाँ मैं हूँ. जो मेरी सेवा करता है, उसका पिता परमेश्वर आदर करेंगे.

27 “इस समय मेरी आत्मा व्याकुल है. मैं क्या कहूँ? ‘पिता, मुझे इस स्थिति से बचा लीजिए’? किन्तु इसी कारण से तो मैं यहाँ तक आया हूँ. 28 पिता, अपने नाम को महिमित कीजिए.”

इस पर स्वर्ग से निकल कर यह आवाज़ सुनाई दी, “मैंने तुम्हें महिमित किया है और दोबारा महिमित करूँगा.” 29 भीड़ ने जब यह सुना तो कुछ ने कहा, “देखो, बादल गरजा!” अन्य कुछ ने कहा, “किसी स्वर्गदूत ने उनसे कुछ कहा है.” 30 इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “यह आवाज़ मेरे नहीं, तुम्हारे लिए है. 31 इस संसार के न्याय का समय आ गया है और अब इस संसार के हाकिम को निकाल दिया जाएगा. 32 जब मैं पृथ्वी से ऊँचे पर उठाया जाऊँगा तो सब लोगों को अपनी ओर खींच लूँगा.” 33 इसके द्वारा मसीह येशु ने यह संकेत दिया कि उनकी मृत्यु किस प्रकार की होगी.

34 भीड़ ने उनसे प्रश्न किया, “हमने व्यवस्था में से सुना है कि मसीह का अस्तित्व सर्वदा रहेगा. आप यह कैसे कहते हैं कि मनुष्य के पुत्र का ऊँचे पर उठाया जाना ज़रूरी है? कौन है यह मनुष्य का पुत्र?”

35 तब मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “ज्योति तुम्हारे मध्य कुछ ही समय तक है. जब तक ज्योति है, चलते रहो, ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे क्योंकि जो अन्धकार में चलता है, वह नहीं जानता कि किस ओर जा रहा है. 36 जब तक तुम्हारे पास ज्योति है, ज्योति में विश्वास करो कि तुम ज्योति की सन्तान बन सको.” यह कह कर मसीह येशु वहाँ से चले गए और उनसे छिपे रहे.

यहूदियों द्वारा अविश्वास का हठ

37 यद्यपि मसीह येशु ने उनके सामने अनेक अद्भुत चिह्न दिखाए थे तौभी वे लोग उनमें विश्वास नहीं कर रहे थे; 38 जिससे भविष्यद्वक्ता यशायाह का यह वचन पूरा हो:

“प्रभु, किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया,
    किस पर प्रभु का बाहुबल प्रकट हुआ?”

39 वे विश्वास इसलिए नहीं कर पाये कि भविष्यद्वक्ता यशायाह ने यह भी कहा है:

40 “परमेश्वर ने उनकी आँखें अंधी
    तथा उनका ह्रदय कठोर कर दिया,
कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें,
    मन से समझें और पश्चाताप कर लें,
    और मैं उन्हें स्वस्थ कर दूँ.”

41 यशायाह ने यह वर्णन इसलिए किया कि उन्होंने प्रभु का प्रताप देखा और उसका वर्णन किया.

42 अनेकों ने, यहाँ तक कि अधिकारियों ने भी मसीह येशु में विश्वास किया किन्तु फ़रीसियों के कारण सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया कि कहीं उन्हें यहूदी सभागृह से निकाल न दिया जाए 43 क्योंकि उन्हें परमेश्वर से प्राप्त आदर की तुलना में मनुष्यों से प्राप्त आदर अधिक प्रिय था.

मसीह येशु द्वारा अपने सन्देश की संक्षेपावृत्ति.

44 मसीह येशु ने ऊँचे शब्द में कहा, “जो कोई मुझ में विश्वास करता है, वह मुझ में ही नहीं परन्तु मेरे भेजनेवाले में विश्वास करता है. 45 क्योंकि जो कोई मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है. 46 मैं संसार में ज्योति हो कर आया हूँ कि वे सभी, जो मुझ में विश्वास करें, अन्धकार में न रहें.

47 “मैं उस व्यक्ति पर दोष नहीं लगाता, जो मेरे सन्देश सुन कर उनका पालन नहीं करता क्योंकि मैं संसार पर दोष लगाने नहीं परन्तु संसार के उद्धार के लिए आया हूँ. 48 जो कोई मेरा तिरस्कार करता है और मेरे समाचार को ग्रहण नहीं करता, उसका एक ही आरोपी है: मेरा समाचार. वही उसे अन्तिम दिन दोषी घोषित करेगा. 49 मैंने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा, परन्तु मेरे पिता ने, जो मेरे भेजनेवाले हैं, आज्ञा दी है कि मैं क्या कहूँ और कैसे कहूँ. 50 मैं जानता हूँ कि उनकी आज्ञा का पालन अनन्त जीवन है. इसलिए जो कुछ मैं कहता हूँ, ठीक वैसा ही कहता हूँ, जैसा पिता ने मुझे कहने की आज्ञा दी है.”

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.