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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रकाशन 18

स्वर्गदूत द्वारा बाबेल के पतन की घोषणा

18 इसके बाद मैंने एक दूसरे स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते हुए देखा. वह बहुत ही सामर्थी था. उसके तेज से पृथ्वी चमक उठी. उसने ऊँचे शब्द में घोषणा की:

“गिर गया! गिर गया!
    भव्य महानगर बाबेल गिर गया.
अब यह दुष्टात्माओं का घर, अशुद्ध आत्माओं का आश्रय और हर एक अशुद्ध तथा घृणित पक्षी का बसेरा बन गई है.
सब राष्ट्रों ने उसके वेश्यागामी के लगन का दाखरस का पान किया है.
    पृथ्वी के राजाओं ने उसके साथ वेश्यागामी की है तथा पृथ्वी के व्यापारी उसके भोगविलास के धन से धनी हो गए हैं.”

परमेश्वर की प्रजा का अलग किया जाना.

तब मुझे एक अन्य शब्द सुनाई दिया:

“‘मेरी प्रजा उस नगरी से बाहर निकल आओ कि तुम,’
    उसके पापों में उसके सहभागी न बनो कि,
    उसकी विपत्तियाँ तुम पर न आ पड़ें.
उसके पापों का ढ़ेर स्वर्ग तक आ पहुँचा है.
    परमेश्वर ने उसके अधर्मों को याद किया है.
उसने जैसा किया है तुम भी उसके साथ वैसा ही करो.
    उसके अधर्मों के अनुसार उससे दो गुणा बदला लो.
उसने जिस प्याले में मिश्रण तैयार किया है,
    तुम उसी में उसके लिए दो गुणा तेज़ मिश्रण तैयार करो.
उसने जितनी अपनी प्रशंसा की और उसने जितना भोग विलास किया है,
    तुम भी उसे उतनी ही यातना और पीड़ा दो क्योंकि वह मन ही मन कहती है,
‘मैं तो रानी समान विराजमान हूँ—मैं विधवा नहीं हूँ;
    मैं कभी विलाप न करूंगी.’
यही कारण है कि एक ही दिन में उस पर विपत्ति आ पड़ेगी:
    महामारी, विलाप और अकाल.
उसे आग में जला दिया जाएगा, क्योंकि सामर्थी हैं प्रभु परमेश्वर,
    जो उसका न्याय करेंगे.

पृथ्वी पर बाबेल के लिए विलाप

“तब पृथ्वी के राजा, जो उसके साथ वेश्यागामी में लीन रहे, जिन्होंने उसके साथ भोगविलास किया, उस ज्वाला का धुआँ देखेंगे, जिसमें वह स्वाहा की गई और वे उसके लिए रोएंगे तथा विलाप करेंगे.

10 “उसकी यातना की याद कर डर के मारे दूर खड़े हुए वे कहेंगे:

“‘धिक्कार! धिक्कार, हे महानगरी, सामर्थी महानगरी बाबेल!
    धिक्कार है तुझ पर!
    घण्टे भर में ही तेरे दण्ड का समय आ पहुँचा है!’

11 “पृथ्वी के व्यापारी उस पर रोते हुए विलाप करेंगे क्योंकि उनकी वस्तुएं अब कोई नहीं खरीदता: 12 सोने, चांदी, कीमती रत्न, मोती, उत्तम मलमल, बैंगनी तथा लाल रेशम, सब प्रकार की सुगन्धित लकड़ी तथा हाथी-दाँत की वस्तुएं, कीमती लकड़ी की वस्तुएं, काँसे, लोहे तथा संगमरमर से बनी हुई वस्तुएं, 13 दालचीनी, मसाले, धूप, मुर्र, लोबान, दाखरस, ज़ैतून का तेल, मैदा, गेहूं, पशुधन, भेड़ें, घोड़े तथा चौपहिया वाहन; दासों तथा मनुष्यों का कोई खरीददार नहीं रहा.

14 “जिस संतुष्टि की तुमने इच्छा की थी, वह अब रही ही नहीं. विलासिता और ऐश्वर्य की सभी वस्तुएं तुम्हें छोड़ कर चली गईं. वे अब तुम्हें कभी न मिल सकेंगी. 15 इन वस्तुओं के व्यापारी, जो उस नगरी के कारण धनवान हो गए, अब उसकी यातना के कारण भयभीत हो दूर खड़े हो रोएंगे और विलाप करते हुए कहेंगे:

16 “‘धिक्कार है! धिक्कार है! हे, महानगरी,
    जो उत्तम मलमल के बैंगनी तथा लाल वस्त्र धारण करती थी और स्वर्ण,
    कीमती रत्नों तथा मोतियों से दमकती थी!
17 क्षण मात्र में ही उजड़ गया तेरा वैभव!’

“हर एक जलयान स्वामी, हर एक नाविक, हर एक यात्री तथा हर एक, जो अपनी जीविका समुद्र से कमाता है, दूर ही खड़ा रहा. 18 उसे भस्म करती हुई ज्वाला का धुआँ देख वे पुकार उठे, ‘है कहीं इस भव्य महानगरी जैसा कोई अन्य नगर?’ 19 अपने सिर पर धूल डाल, रोते-चिल्लाते, विलाप करते हुए वे कहने लगे:

“‘धिक्कार है! धिक्कार है, तुझ पर भव्य महानगरी,
    जिसकी सम्पत्ति के कारण सभी जलयान
    स्वामी धनी हो गए,
अब तू घण्टे भर में उजाड़ हो गई है!’

20 “आनन्दित हो हे स्वर्ग!
    आनन्दित, हो पवित्र लोग!
    प्रेरित तथा भविष्यद्वक्ता!
क्योंकि परमेश्वर ने उसे तुम्हारे साथ
    किये दुर्व्यवहार के लिए दण्डित किया है.”

21 इसके बाद एक बलवान स्वर्गदूत ने विशाल चक्की के पाट के समान पत्थर उठा कर समुद्र में प्रचण्ड वेग से फेंकते हुए कहा:

“इसी प्रकार फेंक दिया जाएगा भव्य महानगर बाबेल भी,
    जिसका कभी कोई अवशेष तक न मिलेगा.
22 अब से तुझमें गायकों, वीणा,
    बाँसुरी तथा तुरही का शब्द कभी सुनाई न पड़ेगा.
अब से किसी भी कारीगर का कोई कार्य तुझ में न पाया जाएगा.
    अब से तुझ में चक्की की आवाज़ सुनाई न देगी.
23 अब से तुझ में एक भी दीप न जगमगाएगा,
    अब से तुझमें वर और वधू का उल्लसित शब्द भी न सुना जाएगा,
तेरे व्यापारी पृथ्वी के सफल व्यापारी थे.
    तेरे जादू ने सभी राष्ट्रों को भरमा दिया था.
24 तुझमें ही भविष्यद्वक्ताओं और
    पवित्र लोगों, तथा पृथ्वी पर घात किए गए सभी व्यक्तियों का लहू पाया गया.”

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योहन 17

मसीह येशु की अपने ही लिए प्रार्थना

17 इन बातों के प्रकट करने के बाद मसीह येशु ने स्वर्ग की ओर दृष्टि उठा कर प्रार्थना की.

“पिता, वह समय आ गया है. अपने पुत्र को महिमित कीजिए कि पुत्र आपको महिमित करे. क्योंकि आपने उसे सारी मानवजाति पर अधिकार दिया है कि वह उन सबको अनन्त जीवन प्रदान करे जिन्हें आपने उसे सौंपा है. अनन्त जीवन यह है कि वे आपको, जो एकमात्र सच्चे परमेश्वर हैं और मसीह येशु को, जिसे आपने भेजा है, जानें. जो काम आपने मुझे सौंपा था, उसे पूरा कर मैंने पृथ्वी पर आपको महिमित किया है. इसलिए पिता, आप मुझे अपने साथ उसी महिमा से महिमित कीजिए, जो महिमा मेरी आपके साथ संसार की सृष्टि से पहले थी.

मसीह येशु की शिष्यों के लिए प्रार्थना

“मैंने आपको उन सब पर प्रगट किया, संसार में से जिनको चुन कर आपने मुझे सौंपा था. वे आपके थे किन्तु आपने उन्हें मुझे सौंपा था और उन्होंने आपके वचन का पालन किया. अब वे जान गए हैं कि जो कुछ आपने मुझे दिया है, वह सब आप ही की ओर से है क्योंकि आप से प्राप्त आज्ञाएँ मैं ने उन्हें दे दी है. उन्होंने उनको ग्रहण किया और वास्तव में यह जान लिया है कि मैं आप से आया हूँ; उन्होंने विश्वास किया कि आप ही मेरे भेजनेवाले हैं. आप से मेरी विनती संसार के लिए नहीं किन्तु उनके लिए है, जो आपके हैं और जिन्हें आपने मुझे सौंपा है. 10 वह सब, जो मेरा है, आपका है, जो आपका है, वह मेरा है और मैं उनमें महिमित हुआ हूँ 11 अब मैं संसार में नहीं रहूँगा; मैं आपके पास आ रहा हूँ, किन्तु वे सब संसार में हैं. पवित्र पिता! उन्हें अपने उस नाम में, जो आपने मुझे दिया है, सुरक्षित रखिए कि वे एक हों जैसे हम एक हैं. 12 जब मैं उनके साथ था, मैंने उन्हें आपके उस नाम में, जो आपने मुझे दिया था, सुरक्षित रखा. मैंने उनकी रक्षा की; उनमें से किसी का नाश नहीं हुआ, सिवाय विनाश के पुत्र के; वह भी इसलिए कि पवित्रशास्त्र का वचन पूरा हो. 13 अब मैं आपके पास आ रहा हूँ. ये सब मैं संसार में रहते हुए ही कह रहा हूँ कि वे मेरे आनन्द से परिपूर्ण हो जाएँ. 14 मैंने उनको आपका वचन-सन्देश दिया है. संसार ने उनसे घृणा की है क्योंकि वे संसार के नहीं हैं, जिस प्रकार मैं भी संसार का नहीं हूँ. 15 मैं आप से यह विनती नहीं करता कि आप उन्हें संसार में से उठा लें परन्तु यह कि आप उन्हें उस दुष्ट से बचाए रखें. 16 वे संसार के नहीं हैं, जिस प्रकार मैं भी संसार का नहीं हूँ. 17 उन्हें सच्चाई में अपने लिए अलग कीजिए—आपका वचन सत्य है. 18 जैसे आपने मुझे संसार में भेजा था, मैंने भी उन्हें संसार में भेजा. 19 उनके लिए मैं स्वयं को समर्पित करता हूँ कि वे भी सच्चाई में समर्पित हो जाएँ.

मसीह येशु की भविष्य में बनने वाले शिष्यों के लिए प्रार्थना

20 “मैं मात्र इनके लिए ही नहीं परन्तु उन सब के लिए भी विनती करता हूँ, जो इनके सन्देश के द्वारा मुझ में विश्वास करेंगे. 21 पिता! वे सब एक हों; जैसे आप मुझ में और मैं आप में, वैसे ही वे हम में एक हों जिससे संसार विश्वास करे कि आप ही मेरे भेजनेवाले हैं. 22 वह महिमा, जो आपने मुझे प्रदान की है, मैंने उन्हें दे दी है कि वे भी एक हों, जिस प्रकार हम एक हैं, 23 आप मुझमें और मैं उनमें कि वे पूरी तरह से एक हो जाएं जिससे संसार पर यह साफ़ हो जाए कि आपने ही मुझे भेजा और आपने उनसे वैसा ही प्रेम किया है जैसा मुझसे.

24 “पिता, मेरी इच्छा यह है कि वे भी, जिन्हें आपने मुझे सौंपा है, मेरे साथ वहीं रहें, जहाँ मैं हूँ कि वे मेरी उस महिमा को देख सकें, जो आपने मुझे दी है क्योंकि संसार की सृष्टि के पहले से ही आपने मुझसे प्रेम किया है.

25 “न्याय करने वाले पिता, संसार ने तो आपको नहीं जाना किन्तु मैं आपको जानता हूँ, उनको यह मालूम हो गया है कि आपने ही मुझे भेजा है. 26 मैंने आपको उन पर प्रकट किया है, और प्रकट करता रहूँगा कि जिस प्रेम से आपने मुझसे प्रेम किया है वही प्रेम उनमें बस जाए और मैं उनमें.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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