Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: '2 इतिहास 30 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
प्रकाशन 16

परमेश्वर के क्रोध के सात कटोरे

16 तब मुझे मन्दिर में से एक ऊँचा शब्द उन सात स्वर्गदूतों को सम्बोधित करते हुए सुनाई दिया: “जाओ! परमेश्वर के क्रोध के सातों कटोरों को पृथ्वी पर उण्डेल दो.” इसलिए पहले स्वर्गदूत ने जाकर अपना कटोरा पृथ्वी पर उण्डेल दिया. परिणामस्वरूप उन व्यक्तियों को, जिन पर उस हिंसक पशु की मुहर थी तथा जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे, कष्टदायी और घातक फोड़े निकल आए.

दूसरे स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा समुद्र पर उण्डेला तो समुद्र मरे हुए व्यक्ति के लहू जैसा हो गया और समुद्र के हर एक प्राणी की मृत्यु हो गई.

तीसरे स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा नदियों और पानी के सोतों पर उण्डेला तो वे लहू बन गए. तब मैंने सारे जल के अधिकारी स्वर्गदूत को यह कहते हुए सुना:

“आप, जो हैं, जो थे, धर्मी हैं, परम पवित्र!
    उचित हैं आपके निर्णय!
    इसलिए कि उन्होंने पवित्र लोगों और भविष्यद्वक्ताओं का लहू बहाया,
पीने के लिए उन्हें आपने लहू ही दे दिया.
वे इसी योग्य हैं.”

तब मैंने समर्थन में वेदी को यह कहते हुए सुना:

“सच है, याहवेह सर्वशक्तिमान परमेश्वर!
    उचित और धर्मी हैं आपके निर्णय!”

चौथे स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा सूर्य पर उण्डेला तो सूर्य को यह अधिकार प्राप्त हो गया कि वह मनुष्यों को अपनी गर्मी से झुलसा दे. इसलिए मनुष्य उस बहुत गर्म ताप से झुलस गए और वे परमेश्वर के नाम की, जिन्हें इन सब विपत्तियों पर अधिकार है, शाप देने लगे. उन्होंने पश्चाताप कर परमेश्वर की महिमा करने से इनकार किया.

10 पाँचवें स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा उस हिंसक पशु के सिंहासन पर उण्डेला तो उसके साम्राज्य पर अन्धकार छा गया. पीड़ा के कारण मनुष्य अपनी जीभ चबाने लगे. 11 पीड़ा और फोड़ों के कारण वे स्वर्ग के परमेश्वर को शाप देने लगे. उन्होंने अपने कुकर्मों से पश्चाताप करने से इनकार किया.

12 छठे स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा महानद यूफ़्रातेस पर उण्डेला तो उसका जल सूख गया कि पूर्व दिशा के राजाओं के लिए मार्ग तैयार हो जाए. 13 तब मैंने तीन अशुद्ध आत्माओं को जो मेंढक के समान थीं; उस परों वाले साँप के मुख से, उस हिंसक पशु के मुख से तथा झूठे भविष्यद्वक्ता के मुख से निकलते हुए देखा. 14 ये वे दुष्टात्मायें है, जो चमत्कार चिह्न दिखाते हुए पृथ्वी के सभी राजाओं को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस न्याय दिवस पर युद्ध करने के लिए इकट्ठा करती हैं.

15 “याद रहे: मैं चोर के समान आऊँगा! धन्य वह है, जो जागता है और अपने वस्त्रों की रक्षा करता है कि उसे लोगों के सामने नग्न होकर लज्जित न होना पड़े.”

16 उन आत्माओं ने राजाओं को उस स्थान पर इकट्ठा किया, जो इब्री भाषा में हरमागेद्दौन कहलाता है.

17 सातवें स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा वायु पर उण्डेला, और मन्दिर के सिंहासन से एक ऊँचा शब्द सुनाई दिया, “पूरा हो गया!” 18 तुरन्त ही बिजली की कौन्ध, गड़गड़ाहट तथा बादलों की गर्जन होने लगी और एक भयन्कर भूकम्प आया. यह भूकम्प इतना शक्तिशाली था कि पृथ्वी पर ऐसा भयन्कर भूकम्प मनुष्य की उत्पत्ति से लेकर अब तक नहीं आया था—इतना शक्तिशाली था यह भूकम्प 19 कि महानगर फट कर तीन भागों में बंट गया. सभी राष्ट्रों के नगर धराशायी हो गए. परमेश्वर ने बड़े नगर बाबेल को याद किया कि उसे अपने क्रोध की जलजलाहट का दाखरस का प्याला पिलाएं. 20 हर एक द्वीप विलीन हो गया और सभी पर्वत लुप्त हो गए. 21 आकाश से मनुष्यों पर विशालकाय ओले बरसने लगे और एक-एक ओला लगभग 45 किलो का था. ओलों की इस विपत्ति के कारण लोग परमेश्वर को शाप देने लगे क्योंकि यह विपत्ति बहुत असहनीय थी.

Error: 'जकर्याह 12-13:1' not found for the version: Saral Hindi Bible
योहन 15

सच्ची दाखलता—मसीह येशु

15 “मैं ही सच्ची दाखलता हूँ और मेरे पिता किसान हैं. मुझमें लगी हुई हर एक डाली, जो फल नहीं देती, उसे वह काट देते हैं तथा हर एक फल देने वाली डाली को छांटते हैं कि वह और भी अधिक फल लाए. उस वचन के द्वारा, जो मैंने तुमसे कहा है, तुम शुद्ध हो चुके हो. मुझमें स्थिर बने रहो तो मैं तुम में स्थिर बना रहूँगा. शाखा यदि लता से जुड़ी न रहे तो फल नहीं दे सकती, वैसे ही तुम भी मुझ में स्थिर रहे बिना फल नहीं दे सकते.

“मैं दाखलता हूँ, तुम डालियाँ हो. वह, जो मुझमें स्थिर बना रहता है और मैं उसमें, बहुत फल देता है; मुझसे अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते. यदि कोई मुझमें स्थिर बना नहीं रहता, वह फेंकी हुई डाली के समान सूख जाता है. उन्हें इकट्ठा कर आग में झोंक दिया जाता है और वे स्वाहा हो जाती हैं. यदि तुम मुझमें स्थिर बने रहो और मेरे वचन तुम में स्थिर बने रहें तो तुम्हारे माँगने पर तुम्हारी इच्छा पूरी की जाएगी. तुम्हारे फलों की बहुतायत में मेरे पिता की महिमा और तुम्हारा मेरे शिष्य होने का सबूत है.

“जिस प्रकार पिता ने मुझसे प्रेम किया है उसी प्रकार मैंने भी तुम से प्रेम किया है; मेरे प्रेम में स्थिर बने रहो. 10 तुम मेरे प्रेम में स्थिर बने रहोगे, यदि तुम मेरे आदेशों का पालन करते हो, जैसे मैं पिता के आदेशों का पालन करता आया हूँ और उनके प्रेम में स्थिर हूँ. 11 यह सब मैंने तुमसे इसलिए कहा है कि तुम में मेरा आनन्द बना रहे और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए. आपसी प्रेम की आज्ञा 12 यह मेरी आज्ञा है कि तुम एक-दूसरे से उसी प्रकार प्रेम करो, जिस प्रकार मैंने तुमसे प्रेम किया है. 13 इससे श्रेष्ठ प्रेम और कोई नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिए अपने प्राण दे दे. 14 यदि तुम मेरी आज्ञाओं का पालन करते हो तो तुम मेरे मित्र हो. 15 मैंने तुम्हें दास नहीं, मित्र माना है क्योंकि दास स्वामी के कार्यों से अनजान रहता है. मैंने तुम्हें उन सभी बातों को बता दिया है, जो मुझे पिता से मिली हुई हैं. 16 तुमने मुझे नहीं परन्तु मैंने तुम्हे चुना है और तुम्हें नियुक्त किया है कि तुम फल दो—ऐसा फल, जो स्थायी हो—जिससे मेरे नाम में तुम पिता से जो कुछ माँगो, वह तुम्हें दे सकें. 17 मेरी आज्ञा यह है: एक दूसरे से प्रेम करो.

संसार की ओर से घृणा की चेतावनी

18 “यदि संसार तुमसे घृणा करता है तो याद रखो कि उसने तुमसे पहले मुझसे घृणा की है. 19 यदि तुम संसार के होते तो संसार तुमसे अपनों जैसा प्रेम करता. तुम संसार के नहीं हो—संसार में से मैंने तुम्हे चुन लिया है—संसार तुमसे इसीलिए घृणा करता है. 20 याद रखो कि मैंने तुमसे क्या कहा था: दास अपने स्वामी से बढ़कर नहीं होता. यदि उन्होंने मुझे सताया तो तुम्हें भी सताएंगे. यदि उन्होंने मेरी शिक्षा ग्रहण की तो तुम्हारी शिक्षा भी ग्रहण करेंगे. 21 वे यह सब तुम्हारे साथ मेरे कारण करेंगे क्योंकि वे मेरे भेजनेवाले को नहीं जानते. 22 यदि मैं न आता और यदि मैं उनसे ये सब न कहता तो वे दोषी न होते. परन्तु अब उनके पास अपने पाप को छिपाने के लिए कोई भी बहाना नहीं बचा है. 23 वह, जो मुझसे घृणा करता है, मेरे पिता से भी घृणा करता है. 24 यदि मैं उनके मध्य वे काम न करता, जो किसी अन्य व्यक्ति ने नहीं किए तो वे दोषी न होते, परन्तु अब उन्होंने मुझे देख लिया और उन्होंने मुझसे व मेरे पिता दोनों से घृणा की है 25 कि व्यवस्था का यह लेख पूरा हो: उन्होंने अकारण ही मुझसे घृणा की.

26 “जब सहायक—सच्चाई का आत्मा, जो पिता से हैं—आएंगे, जिन्हें मैं तुम्हारे लिए पिता के पास से भेजूँगा, वह मेरे विषय में गवाही देंगे. 27 तुम भी मेरे विषय में गवाही दोगे क्योंकि तुम शुरुआत से मेरे साथ रहे हो.

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.