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14 और फिर यहूदा की धरती पर अपने राज्यपाल काल के दौरान न तो मैंने और न मेरे भाईयों ने उस भोजन को ग्रहण किया जो राज्यपाल के लिये न्यायपूर्ण नहीं था। मैंने अपने भोजन को खरीदने के वास्ते कर चुकाने के लिए कभी किसी पर दबाव नहीं डाला। राजा अर्तक्षत्र के शासन काल के बीसवें साल से बत्तीसवें साल तक मैं वहाँ का राज्यपाल रहा। मैं बारह साल तक यहूदा का राज्यपाल रहा। 15 किन्तु मुझ से पहले के राज्यपालों ने लोगों के जीवन को दूभर बना दिया था। वे राज्यपाल लोगों पर लगभग एक पौंड चाँदी चालीस शकेल देने के लिए दबाव डाला करते थे। उन लोगों पर वे खाना और दाखमधु देने के लिये भी दबाव डालते थे। उन राज्यपालों के नीचे के हाकिम भी लोगों पर हुकूमत चलाते थे और जीवन को औऱ अधिक दूभर बनाते रहते थे। किन्तु मैं क्योंकि परमेश्वर का आदर करता था, और उससे डरता था, इसलिए मैंने कभी वैसे काम नहीं किये। 16 नगर परकोटे की दीवार को बनाने में मैंने कड़ी मेहनत की थी। वहाँ दीवार पर काम करने के लिए मेरे सभी लोग आ जुटे थे!
17 मैं, अपने भोजन की चौकी पर नियमित रूप से हाकिमों समेत एक सौ पचास यहूदियों को खाने पर बुलाया करता था। मैं चारों ओर के देशों के लोगों को भी भोजन देता था जो मेरे पास आया करते थे। 18 मेरे साथ मेरी मेज़ पर खाना खाने वाले लोगों के लिये इतना खाना सुनिश्चित किया गया था: एक बैल, छ: तगड़ी भेड़ें और अलग—अलग तरीके के पक्षी। इसके अलावा हर दसों दिन मेरी मेज़ पर हर प्रकार का दाखमधु लाया जाता था। फिर भी मैंने कभी ऐसे भोजन की मांग नहीं की, जो राज्यपाल के लिए अनुमोदित नहीं था। मैंने अपने भोजन का दाम चुकाने के लिये कर चुकाने के वास्ते, उन लोगों पर कभी दबाव नहीं डाला। मैं यह जानता था कि वे लोग जिस काम को कर रहे हैं वह बहुत कठिन है। 19 हे परमेश्वर, उन लोगों के लिये मैंने जो अच्छा किया है, तू उसे याद रख।
अधिक समस्याएँ
6 इसके बाद सम्बल्लत, तोबियाह, अरब के रहने वाले गेशेम तथा हमारे दूसरे शत्रुओं ने यह सुना कि मैं परकोटे की दीवार का निर्माण करा चुका हूँ। हम उस दीवार में दरवाजे बना चुके थे किन्तु तब तक दरवाजों पर जोड़ियाँ नहीं चढ़ाई गई थीं। 2 सो सम्बल्लत और गेशेम ने मेरे पास यह सन्देश भिजवाया: “नहेमायाह, तुम आकर हमसे मिलो। हम ओनो के मैदान में कैफरीम नाम के कस्बे में मिल सकते हैं।” किन्तु उनकी योजना तो मुझे हानि पहुँचाने की थी।
3 सो मैंने उनके पास इस उत्तर के साथ सन्देश भेज दिया: “मैं यहाँ महत्वपूर्ण काम में लगा हूँ। सो मैं नीचे तुम्हारे पास नहीं आ सकता। मैं सिर्फ इसलिए काम बन्द नहीं करना चाहूँगा कि तुम्हारे पास आकर तुमसे मिल सकूँ।”
4 सम्बल्लत और गेमेश ने मेरे पास चार बार वैसे ही सन्देश भेजे और हर बार मैंने भी उन्हें वही उत्तर भिजवा दिया। 5 फिर पाँचवी बार सम्बल्लत ने उसी सन्देश के साथ अपने सहायक को मेरे पास भेजा। उसके हाथ में एक पत्र था जिस पर मुहर नहीं लगी थी। 6 उस पत्र में लिखा था:
“चारों तरफ एक अफवाह फैली हुई है। हर कहीं लोग उसी बात की चर्चा कर रहे हैं और गेमेश का कहना है कि वह सत्य है। लोगों का कहना है कितू और यहूदी, राजा से बगावत की योजना बना रहे हो और इसी लिए तुम यरूशलेम के नगर परकोटे का निर्माण कर रहे हो। लोगों का यह भी कहना है कितू ही यहूदियों का नया राजा बनेगा। 7 और यह अफ़वाह भी है कि तू ने यरूशलेम में अपने विषय में यह घोषणा करने के लिए भविष्यवक्ता भी चुन लिये हैं: ‘यहूदा में एक राजा है!’
“नहेमायाह! अब मैं तुझे चेतावनी देता हूँ। राजा अर्तक्षत्र इस विषय की सुनवाई करेगा सो हमारे पास आ और हमसे मिल कर इस बारे में बातचीत कर।”
8 सो मैंने सम्बल्लत के पास यह उत्तर भिजवा दिया: “तुम जैसा कह रहे हो वैसा कुछ नहीं हो रहा है। यह सब बातें तुम्हारी अपनी खोपड़ी की उपज हैं।”
9 हमारे शत्रु बस हमें डराने का जतन कर रहे थे। वे अपने मन में सोच रहे थे, “यहूदी लोग डर जायेंगे और काम को चलता रखने के लिये बहुत निर्बल पड़ जायेंगे और फिर परकोटे की दीवार पूरी नहीं हो पायेगी।”
किन्तु मैंने अपने मन में यह विनती की, “परमेश्वर मुझे मजबूत बना।”
10 मैं एक दिन दलायाह के पुत्र शमायाह के घर गया। दलायाह महेतबेल का पुत्र था। शमायाह को अपने घर में ही रुकना पड़ता था। शमायाह ने कहा, “नहेमायाह आओ हम परमेश्वर के मन्दिर के भीतर मिलें। आओ चलें भीतर हम मन्दिर के और बन्द द्वारों को कर लें आओ, वैसा करें हम क्यों? क्योंकि लोग हैं आ रहे मारने को तुझको। वे आ रहे हैं आज रात मार डालने को तुझको।”
11 किन्तु मैंने शमायाह से कहा, “क्या मेरे जैसे किसी व्यक्ति को भाग जाना चाहिए? तुम तो जानते ही हो कि मेरे जैसे व्यक्ति को अपने प्राण बचाने के लिये मन्दिर में नहीं भाग जाना चाहिए। सो मैं वहाँ नहीं जाऊँगा!”
12 मैं जानता था कि शमायाह को परमेश्वर ने नहीं भेजा है। मैं जानता था कि मेरे विरुद्ध वह इस लिये ऐसी झूठी भविष्यवाणियाँ कर रहा है कि तोबियाह और सम्बल्लत ने उसे वैसा करने के लिए धन दिया है। 13 शमायाह को मुझे तंग करने और डराने के लिये भाड़े पर रखा गया था। वे यह चाहते थे कि डर कर छिपने के लिये मन्दिर में भाग कर मैं पाप करू ताकि मेरे शत्रुओं के पास मुझे लज्जित करने और बदनाम करने का कोई आधार हो।
14 हे परमेश्वर! तोबियाह और सम्बल्लत को याद रख। उन बुरे कामों को याद रख जो उन्होंने किये हैं। उस नबिया नोअद्याह तथा उन नबियों को याद रख जो मुझे भयभीत करने का जतन करते रहे हैं।
परकोटे पूरा हो गया
15 इस प्रकार एलूल[a] नाम के महीने की पच्चीसवीं तारीख को यरूशलेम का परकोटा बनकर तैयार हो गया। परकोटा की दीवार को बनकर पूरा होने में बावन दिन लगे। 16 फिर हमारे सभी शत्रुओं ने सुना कि हमने परकोटे बनाकर तैयार कर लिया है। हमारे आस—पास के सभी देशों ने देखा कि निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इससे उनकी हिम्मत टूट गयी क्योंकि वे जानते थे कि हमने यह कार्य हमारे परमेश्वर की सहायता से पूरा किया है।
17 इसके अतिरिक्त उन दिनों जब वह दीवार बन कर पूरी हो चुकी थी तो यहूदा के धनी लोग तोबियाह को पत्र लिख—लिख कर पत्र भेजने लगे, तोबियाह उनके पत्रों का उत्तर दिया करता। 18 वे इन पत्रों को इसलिए भेजा करते थे कि यहूदा के बहुत से लोगों ने उसके प्रति वफादार बने रहने की कसम उठाई हुई थी। इसका कारण यह था कि वह आरह के पुत्र शकम्याह का दामाद था तथा तोबियाह के पुत्र यहोहानान ने मशुल्लाम की पुत्री से विवाह किया था। मशुल्लाम बेरेक्याह का पुत्र था, 19 तथा अतीतकाल में उन लोगों ने तोबियाह को एक विशेष वचन भी दे रखा था। सो वे लोग मुझसे कहते रहते थे कि तोबियाह कितना अच्छा है और उधर वे, जो काम मैं किया करता था, उनके बारे में तोबियाह को सूचना देते रहते थे। तोबियाह मुझे डराने के लिये पत्र भेजता रहता था।
7 इस प्रकार हमने दीवार बनाने का काम पूरा किया। फिर हमने द्वार पर दरवाज़े लगाये। फिर हमने उस द्वार के पहरेदारों, मन्दिर के गायकों तथा लेवियों को चुना जो मन्दिर में गीत गाते और याजकों की मदद करते थे। 2 इसके बाद मैंने अपने भाई हनानी को यरूशलेम का हाकिम नियुक्त कर दिया। मैंने हनन्याह नाम के एक और व्यक्ति को चुना और उसे किलेदार नियुक्त कर दिया। मैंने हनानी को इसलिए चुना था कि वह बहुत ईमानदार व्यक्ति था तथा वह परमेश्वर से आम लोगों से कहीं अधिक डरता था। 3 तब मैंने हनानी और हनन्याह से कहा, “तुम्हें हर दिन यरूशलेम का द्वार खोलने से पहले घंटों सूर्य चढ़ जाने के बाद तक इंतजार करते रहना चाहिए और सूर्य छुपने से पहले ही तुम्हें दरवाजें बन्द करके उन पर ताला लगा देना चाहिए। यरूशलेम में रहने वाले लोगों में से तुम्हें कुछ और लोग चुनने चाहिए और उन्हें नगर की रक्षा करने के लिए विशेष स्थानों पर नियुक्त करो तथा कुछ लोगों को उनके घरों के पास ही पहरे पर लगा दो।”
लौटे हुए बन्दियों की सूची
4 अब देखो, वह एक बहुत बड़ा नगर था जहाँ पर्याप्त स्थान था। किन्तु उसमें लोग बहुत कम थे तथा मकान अभी तक फिर से नहीं बनाये गये थे। 5 इसलिए मेरे परमेश्वर ने मेरे मन में एक बात पैदा की कि मैं सभी लोगों की एक सभा बुलाऊँ सो मैंने सभी महत्वपूर्ण लोगों को, हाकिमों को तथा सर्वसाधारण को एक साथ बुलाया। मैंने यह काम इसलिए किया था कि मैं उन सभी परिवारों की एक सूची तैयार कर सकूँ। मुझे ऐसे लोगों की पारिवारिक सूचियाँ मिलीं जो दासता से सबसे पहले छूटने वालों में से थे। वहाँ जो लिखा हुआ मुझे मिला, वह इस प्रकार है।
6 ये इस क्षेत्र के वे लोग हैं जो दासत्व से मुक्त होकर लौटे (बाबेल का राजा, नबूकदनेस्सर इन लोगों को बन्दी बनाकर ले गया था। ये लोग यरूशलेम और यहूदा को लौटे। हर व्यक्ति अपने—अपने नगर में चला गया। 7 ये लोग जरुब्बाबेल, येशू, नेहमायाह, अजर्याह, राम्याह, नहमानी, मोर्दकै, बिलशान, मिस्पेरेत, बिग्वै, नहूम और बाना के साथ लौटे थे।) इस्राएल के लोगों की सूची:
8 पॅरोश के वंशज | 2,172 |
9 सपत्याह के वंशज | 372 |
10 आरह के वंशज | 652 |
11 पहत्मोआब के वंशज येशू और योआब के परिवार की संतानें | 2,818 |
12 एलाम के वंशज | 1,254 |
13 जत्तू के वंशज | 845 |
14 जक्कै के वंशज | 760 |
15 बिन्नूई के वंशज | 648 |
16 बेबै के वंशज | 628 |
17 अजगाद की संतानें | 2,322 |
18 अदोनीकाम के वंशज | 667 |
19 बिग्वै के वंशज | 2,067 |
20 आदीन के वंशज | 655 |
21 आतेर के वंशज हिजीकयाह के परिवार से | 98 |
22 हाशम के वंशज | 328 |
23 बेसै के वंशज | 324 |
24 हारीप के वंशज | 112 |
25 गिबोन के वंशज | 95 |
26 बेतलेहेम और नतोपा नगरों के लोग | 188 |
27 अनातोत नगर के लोग | 128 |
28 बेतजमावत नगर के लोग | 42 |
29 किर्यत्यारीम, कपीर तथा बेरोत नगरों के लोग | 743 |
30 रामा और गेबा नगरों के लोग | 621 |
31 मिकपास नगर के लोग | 122 |
32 बेतेल और ऐ नगर के लोग | 123 |
33 नबो नाम के दूसरे नगर के लोग | 52 |
34 एलाम नाम के दूसरे नगर के लोग | 1,254 |
35 हरीम नाम के नगर के लोग | 320 |
36 यरीहो नगर के लोग | 345 |
37 लोद, हादीद और ओनो नाम के नगरों के लोग | 721 |
38 सना नाम के नगर के लोग | 3,930 |
39 याजकों की सूची:
यदायाह के वंशज येशू के परिवार से | 973 |
40 इम्मेर के वंशज | 1,052 |
41 पशहूर के वंशज | 1,247 |
42 हारीम के वंशज | 117 |
43 लेवी परिवार समूह के लोगों की सूची:
येशू के वंशज कदमीएल के द्वारा होदवा के परिवार से | 74 |
44 गायकों की सूची:
आसाप के वंशज | 148 |
45 द्वारपालों की सूची:
शल्लूम, आतेर, तल्मोन, अक्कूब,
हतीता और शोबै के वंशज | 138 |
46 मन्दिर के सेवकों की सूची:
सीहा, हसूपा और तब्बाओत की सन्तानें,
47 केरोस, सीआ और पादोन की सन्तानें,
48 लबाना, हगाबा और शल्मै के वंशज,
49 हानान, गिद्देल, गहर के वंशज,
50 राया, रसीन और नकोदा की संतानें,
51 गज्जाम, उज्जा और पासेह के वंशज,
52 बेसै, मूनीम, नपूशस के वंशज,
53 बकबूक, हकूपा हर्हूर के वंशज,
54 बसलीत, महीदा और हर्षा के वंशज,
55 बकर्स, सीसरा और तेमेह की संन्तानें,
56 नसीह और हतीपा के वंशज,
57 सुलैमान के सेवकों के वंशज:
सोतै, सोपेरेत और परीदा के वंशज,
58 याला दकर्न और गिद्देल के वंशज,
59 शपत्याह, हत्तील, पोकेरेत—सवायीम और आमोन की संतानें,
60 मन्दिर के सभी सेवक और सुलैमान के सेवकों के वंशज थे | 392 |
61 यह उन लोगों की एक सूची है जो तेलमेलह, तेलहर्षा, करुब अद्दोन तथा इम्मेर नाम के नगरों से यरूशलेम आये थे। किन्तु ये लोग यह प्रमाणित नहीं कर सके कि उनके परिवार वास्तव में इस्राएल के लोगों से सम्बन्धित थे:
62 दलायाह, तोबियाह और नेकोदा के वंशज थे | 642 |
63 यह एक उनकी सूची है जो याजक थे। ये वे लोग थे जो यह प्रमाणित नहीं कर सके थे कि उनके पूर्वज वास्तव में इस्राएल के लोगों के वंशज थे।
होबायाह, हक्कोस और बर्जिल्लै के वंशज (बर्जिलै वह व्यक्ति था जिस ने गिलाद निवासी बर्जिल्लै की एक पुत्री से विवाह किया था। इसीलिए उसे यह नाम दिया गया था।)
64 जिन लोगों ने अपने परिवारों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को खोजा और वे उन्हें पा नहीं सके, उनका नाम याजकों की इस सूची में नहीं जोड़ा जा सका। वे शुद्ध नहीं थे सो याजक नहीं बन सकते थे। 65 सो राज्यपाल ने उन्हें एक आदेश दिया जिसके तहत वे किसी भी अति पवित्र भोजन को नहीं खा सकते थे। उस भोजन में से वे उस समय तक कुछ भी नहीं खा सकते थे जब तक ऊरीम और तुम्मीम का उपयोग करने वाला महायाजक इस बारे में परमेश्वर की अनुमति न ले ले।
66-67 उस समूचे समूह में लोगों की संख्या 42,360 थी और उनके पास 7,337 दास और दासियाँ थीं, उनके पास 245 गायक और गायिकाएँ थीं। 68-69 उनके पास 736 घोड़े थे, 245 खच्चर, 435 ऊँट तथा 6,720 गधे थे।
70 परिवार के कुछ मुखियाओं ने उस काम को बढ़ावा देने के लिए धन दिया था। राज्यपाल के द्वारा निर्माण—कोष में उन्नीस पौंड सोना दिया गया था। उसने याजकों के लिये पचास कटोरे और पाँच सौ तीस जोड़ी कपड़े भी दिये थे। 71 परिवार के मुखियाओं ने तीन सौ पचहत्तर पौंड सोना उस काम को बढ़ावा देने के लिये निर्माण कोष में दिया और दो हजार दो सौ मीना चाँदी उनके द्वारा भी दी गयी। 72 दूसरे लोगों ने कुल मिला कर बीस हजार दर्कमोन सोना उस काम को बढ़ावा देने के लिए निर्माण कोष को दिया। उन्होंने दो हजार मीना चाँदी और याजकों के लिए सढ़सठ जोड़े कपड़े भी दिये।
73 इस प्रकार याजक लेवी परिवार समूह के लोग, गायक और मन्दिर के सेवक अपने—अपने नगरों में बस गये और इस्राएल के दूसरे लोग भी अपने—अपने नगरों में रहने लगे और फिर साल के सातवें महीने तक इस्राएल के सभी लोग अपने—अपने नगरों में बस गये।
चढ़ावे का भोजन
8 अब मूर्तियों पर चढ़ाई गई बलि के विषय में हम यह जानते हैं, “हम सभी ज्ञानी हैं।” ज्ञान लोगों को अहंकार से भर देता है। किन्तु प्रेम से व्यक्ति अधिक शक्तिशाली बनता है। 2 यदि कोई सोचे कि वह कुछ जानता है तो जिसे जानना चाहिये उसके बारे में तो उसने अभी कुछ जाना ही नहीं। 3 यदि कोई परमेश्वर को प्रेम करता है तो वह परमेश्वर के द्वारा जाना जाता है।
4 सो मूर्तियों पर चढ़ाये गये भोजन के बारे में हम जानते हैं कि इस संसार में वास्तविक प्रतिमा कहीं नहीं है। और यह कि परमेश्वर केवल एक ही है। 5 और धरती या आकाश में यद्यपि तथाकथित बहुत से “देवता” हैं, बहुत से “प्रभु” हैं। 6 किन्तु हमारे लिये तो एक ही परमेश्वर है, हमारा पिता। उसी से सब कुछ आता है। और उसी के लिये हम जीते हैं। प्रभु केवल एक है, यीशु मसीह। उसी के द्वारा सब वस्तुओं का अस्तित्व है और उसी के द्वारा हमारा जीवन है।
7 किन्तु यह ज्ञान हर किसी के पास नहीं है। कुछ लोग जो अब तक मूर्ति उपासना के आदी हैं, ऐसी वस्तुएँ खाते हैं और सोचते है जैसे मानो वे वस्तुएँ मूर्ति का प्रसाद हों। उनके इस कर्म से उनकी आत्मा निर्बल होने के कारण दूषित हो जाती है। 8 किन्तु वह प्रसाद तो हमें परमेश्वर के निकट नहीं ले जायेगा। यदि हम उसे न खायें तो कुछ घट नहीं जाता और यदि खायें तो कुछ बढ़ नहीं जाता।
9 सावधान रहो! कहीं तुम्हारा यह अधिकार उनके लिये, जो दुर्बल हैं, पाप में गिरने का कारण न बन जाये। 10 क्योंकि दुर्बल मन का कोई व्यक्ति यदि तुझ जैसे इस विषय के जानकार को मूर्ति वाले मन्दिर में खाते हुए देखता है तो उसका दुर्बल मन क्या उस हद तक नहीं भटक जायेगा कि वह मूर्ति पर बलि चढ़ाई गयी वस्तुओं को खाने लगे। 11 तेरे ज्ञान से, दुर्बल मन के व्यक्ति का तो नाश ही हो जायेगा तेरे उसी बन्धु का, जिसके लिए मसीह ने जान दे दी। 12 इस प्रकार अपने भाइयों के विरुद्ध पाप करते हुए और उनके दुर्बल मन को चोट पहुँचाते हुए तुम लोग मसीह के विरुद्ध पाप कर रहे हो। 13 इसलिए यदि भोजन मेरे भाई को पाप की राह पर बढ़ाता है तो मैं फिर कभी भी माँस नहीं खाऊँगा ताकि मैं अपने भाई के लिए, पाप करने की प्रेरणा न बनूँ!
1 हे सज्जन लोगों, यहोवा में आनन्द मनाओ!
सज्जनो सत पुरुषों, उसकी स्तुति करो!
2 वीणा बजाओ और उसकी स्तुति करो!
यहोवा के लिए दस तार वाले सांरगी बजाओ।
3 अब उसके लिये नया गीत गाओ।
खुशी की धुन सुन्दरता से बजाओ!
4 परमेश्वर का वचन सत्य है।
जो भी वह करता है उसका तुम भरोसा कर सकते हो।
5 नेकी और निष्पक्षता परमेश्वर को भाती है।
यहोवा ने अपने निज करुणा से इस धरती को भर दिया है।
6 यहोवा ने आदेश दिया और सृष्टि तुरंत अस्तित्व में आई।
परमेश्वर के श्वास ने धरती पर हर वस्तु रची।
7 परमेश्वर ने सागर में एक ही स्थान पर जल समेटा।
वह सागर को अपने स्थान पर रखता है।
8 धरती के हर मनुष्य को यहोवा का आदर करना और डरना चाहिए।
इस विश्व में जो भी मनुष्य बसे हैं, उनको चाहिए कि वे उससे डरें।
9 क्योंकि परमेश्वर को केवल बात भर कहनी है, और वह बात तुरंत घट जाती है।
यदि वह किसी को रुकने का आदेश दे, तो वह तुरंत थम दाती है।
10 परमेश्वर चाहे तो सभी सुझाव व्यर्थ करे।
वह किसी भी जन के सब कुचक्रों को व्यर्थ कर सकता है।
11 किन्तु यहोवा के उपदेश सदा ही खरे होते है।
उसकी योजनाएँ पीढी पर पीढी खरी होती हैं।
8 अपराधी का मार्ग कुटिलता—पूर्ण होता है किन्तु जो सज्जन हैं उसकी राह सीधी होती हैं।
9 झगड़ालू पत्नी के संग घर में निवास से, छत के किसी कोने पर रहना अच्छा है।
10 दुष्ट जन सदा पाप करने को इच्छुक रहता, उसका पड़ोसी उससे दया नहीं पाता।
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