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The Daily Audio Bible

This reading plan is provided by Brian Hardin from Daily Audio Bible.
Duration: 731 days

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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
एज्रा 7:1-8:20

एज्रा यरूशलेम आता है

फारस के राजा अर्तक्षत्र के शासनकाल में इन सब बातों के हो जाने के बाद[a] एज्रा बाबेल से यरूशलेम आया। एज्रा सरायाह का पुत्र था। सरायाह अजर्याह का पुत्र था। अजर्याह हिलिकय्याह का पुत्र था। हिल्किय्याह शल्लूम का पुत्र था। शल्लूम सादोक का पुत्र था। सादोक अहीतूब का पुत्र था। अहीतूब अमर्याह का पुत्र था। अमर्याह अजर्याह का पुत्र था। अजर्याह मरायोत का पुत्र था। मरायोत जरह्याह का पुत्र था। जरह्याह उज्जी का पुत्र था। उज्जी बुक्की का पुत्र था। बुक्की अबीशू का पुत्र था। अबीशू पीनहास का पुत्र था। पीनहास एलीआज़र का पुत्र था। एलीआज़र महायाजक हारून का पुत्र था।

एज्रा बाबेल से यरूशलेम आया। एज्रा का शिक्षक था। वह मूसा के नियमों को अच्छी तरह जानता था। मूसा का नियम यहोवा इस्राएल के परमेश्वर द्वारा दिया गया था। राजा अर्तक्षत्र ने एज्रा को वह हर चीज़ दी जिसे उसने माँगा क्योंकि यहावा परमेशवर एज्रा के साथ था। इस्राएल के बहुत से लोग एज्रा के साथ आए। वे याजक लेवीवंशी, गायक, द्वारपाल और मन्दिर के सेवक थे। इस्राएल के वे लोग अर्तक्षत्र के शासनकाल के सातवें वर्ष यरूशलेम आए। एज्रा यरूशलेम में राजा अर्तक्षत्र के राज्यकाल के सातवें वर्ष के पाँचवें महीन में आया। एज्रा और उसके समूह ने बाबेल को पहले महीने के पहले दिन छोड़ा। वह पाँचवें महीने के पहले दिन यरूशलेम पहुँचा। यहोव परमेशवर एज्रा के साथ था। 10 एज्रा ने अपना पूरा समय और ध्यान यहोवा के नियमों को पढ़ने और उनके पालन करने में दिय। एज्रा इस्राएल के लोगों को यहोवा के नियमों और आदेशों की शिक्षा देना चाहता था और वह इस्राएल में लोगों को उन नियमों का अनुसरण करने में सहायता देना चाहता था।

राजा अर्तक्षत्र का एज्रा को पत्र

11 एज्रा एक याजक और शिक्षक था। इस्राएल को यहोवा द्वारा दिये गए आदेशों और नियमों के बारे में वह पर्याप्त ज्ञान रखता था। यह उस पत्र की प्रतिलिपि है जिसे राजा अर्तक्षत्र ने उपदेशक एज्रा को दिया था।

12 [b] राजा अर्तक्षत्र की ओर से,

याजक एज्रा को जो स्वर्ग के परमेशवर के नियमों का शिक्षक है:

अभिवादन!

13 मैं यह आदेश देता हूँ: कोई व्यक्ति, याजक या इस्राएल का लेवीवंशी जो मेरे राज्य में रहता है और एज्रा के साथ यरूशलेम जाना चाहता है, जा सकता है।

14 एज्रा, मैं और मेरे सात सलाहकार तुम्हें भेजते हैं। तुम्हें यहूदा और यरूशलेम को जाना चाहिये। यह देखो कि तुम्हारे लोग तुम्हारे परमेश्वर के नियमों का पालन कैसे कर रहे हैं। तुम्हारे पास वह नियम है।

15 मैं और मेरे सलाहकार इस्राएल के परमेशवर को सोना—चाँदी दे रहे हैं। परमेश्वर का निवास यरूशलेम में है। तुम्हें यह सोना चाँदी अपने साथ ले जाना चाहिये। 16 तुम्हें बाबेल के सभी प्रान्तों से होकर जाना चाहिये। अपने लोगों, याजकों और लेवीवंशियों से भी भेटें इकट्ठी करो। ये भेटें उनके यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये हैं।

17 इस धन का उपयोग बैल, मेंढ़े और नर मेमने खरीदने में करो। उन बलियों के साथ जो अन्न भेंट और पेय भेंट चढ़ाई जानी है, उन्हें खरीदो। तब उन्हें यरूशलेम में अपने परमेश्वर के मन्दिर की वेदी पर बलि चढ़ाओ। 18 उसके बाद तुम और अन्य यहूदी बचे हुये सोने चाँदी को जैसे भी चाहो, खच कर सकते हो। इसका उपयोग वैसे ही करो जो तुम्हारे परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला हो। 19 उन सभी चीज़ों को यरूशलेम के परमेश्वर के पास ले जाओ। वे चीज़ें तुम्हारी परमेश्वर के मन्दिर में उपासना के लिये हैं। 20 तुम कोई भी अन्य चीज़ों ले सकते हो जिन्हें तुम अपने परमेश्वर के मन्दिर के लिये आवश्यक समझते हो। राजा के खज़ाने के धन का उपयोग जो कुछ तुम चाहते हो उसके खरीदने के लिये कर सकते हो।

21 अब मैं, राजा अर्तक्षत्र यह आदेश देता हूँ: मैं उन सभी लोगों को जो फरात नदी के पश्चिमी क्षेत्र में राजा के कोषपाल हैं, आदेश देता हूँ कि वे एज्रा को जो कुछ भी वह माँगे दें। एज्रा स्वर्ग के परमेश्वर के नियमों का शिक्षक और याजक है। इस आदेश का शीघ्र और पूर्ण रूप से पालन करो। 22 एज्रा को इतना तक दे दो: पौने चार टन चाँदी, छ: सौ बुशल गेहूँ, छ: सौ गैलन दाखमधु, छ: सौ गैलन जैतून का तेल और उतना नमक जितना एज्रा चाहे। 23 स्वर्ग का परमेश्वर, एज्रा को जिस चीज़ को पाने के लिये आदेश दे उसे तुम्हें शीघ्र और पूर्ण रूप से एज्रा को देना चाहिये। स्वर्ग के परमेश्वर के मन्दिर के लिये ये सब चीज़ें करो। हम नहीं चाहते कि परमेश्वर मेरे राज्य या मेरे पुत्रों पर क्रोधित हो।

24 मैं चाहता हूँ कि तुम लोगों को ज्ञात हो कि याजकों, लेवियों, गायकों, द्वारपालों और परमेश्वर के मन्दिर के अन्य कर्मचारियों ताथ सेवकों को किसी भी प्रकार का कर देने के लिये बाध्य करना, नियम के विरोध है। 25 एज्रा मैं तुम्हें तुम्हारे परमेश्वर द्वारा प्राप्त बुद्धि के उपयोग तथा सरकारी और धार्मिक न्यायाधीशों को चुनने का अधिकार देता हूँ। ये लोग फरात नदी के पश्चिम में रहने वाले सभी लोगों के लिये न्यायाधीश होंगे। वे उन सभी लोगों का न्याय करेंगे जो तुम्हारे परमेश्वर के नियमों को जानते हैं। यदि कोई व्यक्ति उन नियमों को नहीं जानता तो वे न्यायाधीश उसे उन नियमों को बताएंगे। 26 यदि कोई ऐसा व्यक्ति हो जो तुम्हारे परमेश्वर के नियमों या राजा के नियमों का पालन नाहीं करता हो, तो उसे अवश्य दण्डित किया जाना चाहिये। अपराध के अनुसार उसे मृत्यु दण्ड, देश निकाला, उसकी सम्पत्ति को जब्त करना या बन्दीगृह में डालने का दण्ड दिया जाना चाहिए।

एज्रा परमेश्वर की स्तुति करता है

27 [c] हमारे पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की स्तुति करो। उस ने राजा के मन में ये विचार डाला कि वह यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर का सम्मान करे। 28 यहोवा ने राजा, उसके सलाहकारों और बड़े अधिकारियों के सामने मुझ पर अपना सच्चा प्रेम प्रकट किया। यहोवा मेरा परमेश्वर मेरे साथ था, अत: मैं साहसी रहा और मैंने इस्राएल के प्रमुखों को अपने साथ यरूशलेम जाने के लिये इकट्ठा किया।

एज्रा के साथ लौटने वाले परिवार प्रमुखों की सूची

यह बाबेल से यरूशलेम लौटने वाले परिवार प्रमुखों और अन्य लोगों की सूची है जो मेरे (एज्रा) के साथ लौटे। हम लोग राजा अर्तक्षत्र के शासनकाल में यरूशलेम लौटे। यह नामों की सूची है:

पीनहास के वंशजों में से गेर्शोम था: ईतामार के वंशजों में से दानिय्येल था: दाऊद के वंशजों में से हत्तूस था;

शकन्याह के वंशजों में से परोश, जकर्याह के वंशज तथा डेढ़ सौ अन्य लोग;

पहत्मोआब के वंशजों में से जरह्याह का पुत्र एल्यहोएनै और अन्य दो सौ लोग;

जत्तु के वंशजों में से यहजीएल का पुत्र शकन्याह और तीन सौ अन्य लोग;

आदीन के वंशजों में से योनातान का पुत्र एबेद, और पचास अन्य लोग;

एलाम के वंशजों में से अतल्याह का पुत्र यशायाह और सत्तर अन्य लोग;

शपत्याह के वंशजों में से मीकाएल का पुत्र जबद्याह और अस्सी अन्य लोग;

योआब के वंशजों में से यहीएल का पुत्र ओबद्याह और दो सौ अट्ठारह अन्य व्यक्ति;

10 शलोमति के वंशजों में से योसिय्याह का पुत्र शलोमति और एक सौ साठ अन्य लोग;

11 बेबै के वंशजों में से बेबै का पुत्र जकर्याह और अट्ठाईस अन्य व्यक्ति;

12 अजगाद के वंशजों में से हक्कातान का पुत्र योहानान, और एक सौ दस अन्य लोग;

13 अदोनीकाम के अंतिम वंशजों में से एलीपेलेत, यीएल, समायाह और साठ अन्य व्यक्ति थे;

14 बिगवै के वंशजों में से ऊतै, जब्बूद और सत्तर अन्य लोग।

यरूशलेम को वापसी

15 मैंने (एज्रा) उन सभी लोगों को अहवा की और बहने वाली नदी के पास एक साथ इकट्ठा होने को बुलाया। हम लोगों ने वहाँ तीन दिन तक डेरा डाला। मुझे यह पता लगा कि उस समूह में याजक थे, किन्तु कोई लेवीवंशी नहीं था। 16 सो मैंने इन प्रमुखों को बुलाया: एलीएजेर, अरीएल, शमायाह, एलनातान, यारीब, एलनातान, नातान, जकर्याह और मशुल्लाम और मैंने योयारीब और एलनातान (ये लोग शिक्षक थे) को बुलाया। 17 मैंने उन व्यक्तियों को इद्दो के पास भेजा। इद्दो कासिप्या नगर का प्रमुख है। मैंने उन व्यक्ति को बताया कि वे इद्दो और उसके सम्बन्धियों से क्या कहें। उसके सम्बन्धि कासिप्या में मन्दिर के सेवक हैं। मैंने उन लोगों को इद्दो के पास भेजा जिससे इद्दो परमेश्वर के मन्दिर में सेवा करने के लिये हमारे पास सेवकों को भेजे। 18 क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ था, इद्दो के सम्बन्धियों ने इन लोगों को हमारे पास भेजा: महली के वंशजों में से शेरेब्याह नामक बुद्धिमान व्यक्ति। महली लेवी के पुत्रों में से एक था। (लेवी इस्राएल के पुत्रों में से एक था।) उन्होंने हमारे पास शेरेब्याह के पुत्रों और बन्धुओं को भेज। ये सब मिलाकर उस परिवार से ये अट्ठारह व्यक्ति थे। 19 उन्होंने मरारी के वंशजों में से हशब्याह और यशायाह को भी उनके बन्धुओं और उनके पुत्रों के साथ भेजा। उस परिवार से कुल मिलाकर बीस व्यक्ति थे। 20 उन्होंने मन्दिर के दो सौ बीस सेवक भी भेजे। उनके पूर्वज वे लोग थे जिन्हें दाऊद और बड़े अधिकारियों ने लेवीवंशियों की सहायता के लिये चुना था। उन सबके नाम सूची में लिखे हुए थे।

1 कुरिन्थियों 4

मसीह के संदेशवाहक

हमारे बारे में किसी व्यक्ति को इस प्रकार सोचना चाहिये कि हम लोग मसीह के सेवक हैं। परमेश्वर ने हमें और रहस्यपूर्ण सत्य सौंपे हैं। और फिर जिन्हें ये रहस्य सौंपे हैं, उन पर यह दायित्व भी है कि वे विश्वास योग्य हों। मुझे इसकी तनिक भी चिंता नहीं है कि तुम लोग मेरा न्याय करो या मनुष्यों की कोई और अदालत। मैं स्वयं भी अपना न्याय नहीं करता। क्योंकि मेरा मन स्वच्छ है। किन्तु इसी कारण मैं छूट नहीं जाता। प्रभु तो एक ही है जो न्याय करता है। इसलिए ठीक समय आने से पहले अर्थात् जब तक प्रभु न आ जाये, तब तक किसी भी बात का न्याय मत करो। वही अन्धेरे में छिपी बातों को उजागर करेगा और मन की प्रेरणा को प्रकट करेगा। उस समय परमेश्वर की ओर से हर किसी की उपयुक्त प्रशंसा होगी।

हे भाईयों, मैंने इन बातों को अपुल्लोस पर और स्वयं अपने पर तुम लोगों के लिये ही चरितार्थ किया है ताकि तुम हमारा उदाहरण देखते हुए उन बातों को न उलाँघ जाओ जो शास्त्र में लिखी हैं। ताकि एक व्यक्ति का पक्ष लेते हुए और दूसरे का विरोध करते हुए अहंकार में न भर जाओ। कौन कहता है कि तू किसी दूसरे से अधिक अच्छा है। तेरे पास अपना ऐसा क्या है? जो तुझे दिया नहीं गया है? और जब तुझे सब कुछ किसी के द्वारा दिया गया है तो फिर इस रूप में अभिमान किस बात का कि जैसे तूने किसी से कुछ पाया ही न हो।

तुम लोग सोचते हो कि जिस किसी वस्तु की तुम्हें आवश्यकता थी, अब वह सब कुछ तुम्हारे पास है। तुम सोचते हो अब तुम सम्पन्न हो गए हो। तुम हमारे बिना ही राजा बन बैठे हो। कितना अच्छा होता कि तुम सचमुच राजा होते ताकि तुम्हारे साथ हम भी राज्य करते। क्योंकि मेरा विचार है कि परमेश्वर ने हम प्रेरितों को कर्म-क्षेत्र में उन लोगों के समान सबसे अंत में स्थान दिया है जिन्हें मृत्यु-दण्ड दिया जा चुका है। क्योंकि हम समूचे संसार, स्वर्गदूतों और लोगों के सामने तमाशा बने हैं। 10 हम मसीह के लिये मूर्ख बने हैं किन्तु तुम लोग मसीह में बहुत बुद्धिमान हो। हम दुर्बल हैं किन्तु तुम तो बहुत सबल हो। तुम सम्मानित हो और हम अपमानित। 11 इस घड़ी तक हम तो भूखे-प्यासे हैं। फटे-पुराने चिथड़े पहने हैं। हमारे साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। हम बेघर हैं। 12 अपने हाथों से काम करते हुए हम मेहनत मज़दूरी करते हैं। 13 गाली खा कर भी हम आशीर्वाद देते हैं। सताये जाने पर हम उसे सहते हैं। जब हमारी बदनामी हो जाती है, हम तब भी मीठा बोलते हैं। हम अभी भी जैसे इस दुनिया का मल-फेन और कूड़ा कचरा बने हुए हैं।

14 तुम्हें लज्जित करने के लिये मैं यह नहीं लिख रहा हूँ। बल्कि अपने प्रिय बच्चों के रूप में तुम्हें चेतावनी दे रहा हूँ। 15 क्योंकि चाहे तुम्हारे पास मसीह में तुम्हारे दसियों हजार संरक्षक मौजूद हैं, किन्तु तुम्हारे पिता तो अनेक नहीं हैं। क्योंकि सुसमाचार द्वारा मसीह यीशु में मैं तुम्हारा पिता बना हूँ। 16 इसलिए तुमसे मेरा आग्रह है, मेरा अनुकरण करो। 17 मैंने इसीलिए तिमुथियुस को तुम्हारे पास भेजा है। वह प्रभु में स्थित मेरा प्रिय एवम् विश्वास करने योग्य पुत्र है। यीशु मसीह में मेरे आचरणों की वह तुम्हें याद दिलायेगा। जिनका मैंने हर कहीं, हर कलीसिया में उपदेश दिया है।

18 कुछ लोग अंधकार में इस प्रकार फूल उठे हैं जैसे अब मुझे तुम्हारे पास कभी आना ही न हो। 19 अस्तु यदि परमेश्वर ने चाहा तो शीघ्र ही मैं तुम्हारे पास आऊँगा और फिर अहंकार में फूले उन लोगों की मात्र वाचालता को नहीं बल्कि उनकी शक्ति को देख लूँगा। 20 क्योंकि परमेश्वर का राज्य वाचालता पर नहीं, शक्ति पर टिका है। 21 तुम क्या चाहते हो: हाथ में छड़ी थामे मैं तुम्हारे पास आऊँ या कि प्रेम और कोमल आत्मा साथ में लाऊँ?

भजन संहिता 30

मन्दिर के समर्पण के लिए दाऊद का एक पद।

हे यहोवा, तूने मेरी विपत्तियों से मेरा उद्धार किया है।
    तूने मेरे शत्रुओं को मुझको हराने और मेरी हँसी उड़ाने नहीं दी।
    सो मैं तेरे प्रति आदर प्रकट करुँगा।
हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैंने तुझसे प्रार्थना की।
    तूने मुझको चँगा कर दिया।
कब्र से तूने मेरा उद्धार किया, और मुझे जीने दिया।
    मुझे मुर्दों के साथ मुर्दों के गर्त में पड़े हुए नहीं रहना पड़ा।

परमेश्वर के भक्तों, यहोवा की स्तुति करो!
    उसके शुभ नाम की प्रशंसा करो।
यहोवा क्रोधित हुआ, सो निर्णय हुआ “मृत्यु।”
    किन्तु उसने अपना प्रेम प्रकट किया और मुझे “जीवन” दिया।
मैं रात को रोते बिलखाते सोया।
    अगली सुबह मैं गाता हुआ प्रसन्न था।

मैं अब यह कह सकता हूँ, और मैं जानता हूँ
    यह निश्चय सत्य है, “मैं कभी नहीं हारुँगा!”
हे यहोवा, तू मुझ पर दयालु हुआ
    और मुझे फिर अपने पवित्र पर्वत पर खड़े होने दिया।
तूने थोड़े समय के लिए अपना मुख मुझसे फेरा
    और मैं बहुत घबरा गया।
हे परमेश्वर, मैं तेरी ओर लौटा और विनती की।
    मैंने मुझ पर दया दिखाने की विनती की।
मैंने कहा, “परमेश्वर क्या यह अच्छा है कि मैं मर जाऊँ
    और कब्र के भीतर नीचे चला जाऊँ
मरे हुए जन तो मिट्टी में लेटे रहते हैं,
    वे तेरे नेक की स्तुति जो सदा सदा बनी रहती है नहीं करते।
10 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन और मुझ पर करुणा कर!
    हे यहोवा, मेरी सहायता कर!”

11 मैंने प्रार्थना की और तूने सहायता की! तूने मेरे रोने को नृत्य में बदल दिया।
मेरे शोक वस्त्र को तूने उतार फेंका,
    और मुझे आनन्द में सराबोर कर दिया।
12 हे यहोवा, मैं तेरा सदा यशगान करुँगा। मैं ऐसा करुँगा जिससे कभी नीरवता न व्यापे।
    तेरी प्रशंसा सदा कोई गाता रहेगा।

नीतिवचन 20:28-30

28 राजा को सत्य और निष्ठा सुरक्षित रखते, किन्तु उसका सिंहासन करुणा पर टिकता है।

29 युवकों की महिमा उनके बल से होती है और वृद्धों का गौरव उनके पके बाल हैं।

30 यदि हमें दण्ड दिया जाये तो हम बुरा करना छोड़ देते हैं। दर्द मनुष्य का परिवर्तन कर सकता है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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