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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)
Version
दरसन 12-18

माईलोगन अऊ सांप सहीं पसु

12 अकास म एक महान अऊ अद्भूत चिन्‍हां परगट होईस; एक झन माईलोगन ह सूरज ला पहिरे रहय। ओकर गोड़ के खाल्‍हे म चंदा रहय अऊ ओकर मुड़ी म बारह ठन तारामन के मुकुट रहय। ओह पेट म रिहिस, अऊ लइका जनमे के पीरा ले कलपत रिहिस। तब एक अऊ चिन्‍हां अकास म परगट होईस; एक बड़े लाल रंग के सांप सहीं पसु रहय। ओकर सात ठन मुड़ी अऊ दस ठन सिंग रहय अऊ सातों मुड़ी म सात ठन मुकुट रहय। ओकर पुंछी ह अकास के एक तिहाई तारामन ला खींचके धरती ऊपर फटिक दीस। सांप सहीं पसु ह ओ माईलोगन के आघू म ठाढ़ हो गीस, जेकर लइका होवइया रहय, ताकि ओह लइका के जनमतेच ही ओ लइका ला लील सकय। ओ माईलोगन ह एक बेटा ला जनमिस, जऊन ह लोहा के राजदंड ले जम्मो देस ऊपर राज करही। अऊ ओ लइका ला झपटके परमेसर अऊ ओकर सिंघासन करा लाने गीस। तब ओ माईलोगन ह सुनसान जगह ला भाग गीस; उहां परमेसर ह ओकर बर एक जगह तियार करे रिहिस, जिहां एक हजार दू सौ साठ दिन तक ओकर देख-भाल करे जा सकय।

तब स्‍वरग म लड़ई होय लगिस। मीकाएल अऊ ओकर दूतमन सांप सहीं पसु के संग लड़िन, अऊ सांप सहीं पसु अऊ ओकर दूतमन एमन के संग लड़िन[a] पर सांप सहीं पसु ह हार गीस, अऊ ओला अऊ ओकर दूतमन ला स्‍वरग म अपन जगह ला छोड़ना पड़िस। ओ सांप सहीं पसु ला फटिक दिये गीस। ए सांप सहीं पसु ह ओ पुराना सांप ए, जऊन ला इबलीस या सैतान कहे जाथे अऊ जऊन ह संसार के जम्मो मनखेमन ला धोखा देथे। ओला अऊ ओकर दूतमन ला धरती म फटिक दिये गीस।

10 तब मेंह स्‍वरग ले एक ऊंचहा अवाज आवत सुनेंव, जऊन ह ए कहत रहय:

“अब हमर परमेसर ले उद्धार ह आ गे हवय!
    परमेसर ह राजा के रूप म अपन सामरथ ला देखाय हवय,
    अऊ ओकर मसीह ह अपन अधिकार ला देखाय हवय।
काबरकि हमर भाईमन ऊपर दोस लगइया ला स्‍वरग ले फटिक दे गे हवय,
    जऊन ह दिन रात हमर परमेसर के आघू म ओमन ऊपर दोस लगावत रिहिस।
11 हमर भाईमन मेढ़ा-पीला के लहू
    अऊ अपन गवाही के बचन के दुवारा ओ सैतान ऊपर जय पाईन;
    ओमन अपन जिनगी ला देके मरे बर तियार रिहिन।
12 एकरसेति, हे स्‍वरग अऊ ओम रहइयामन,
    आनंद मनावव! पर हे धरती अऊ समुंदर तुमन ला धिक्‍कार ए,
    काबरकि सैतान ह उतरके तुम्‍हर करा आय हवय!
ओह कोरोध ले भरे हवय, काबरकि ओह जानथे
    कि ओकर करा अऊ थोरकन समय बचे हवय।”

13 जब ओ सांप सहीं पसु ह देखिस कि ओला धरती ऊपर फटिक दिये गे हवय, त ओह ओ माईलोगन के पाछू पड़ गीस, जऊन ह एक बेटा ला जनमे रिहिस। 14 ओ माईलोगन ला एक बड़े गिधवा के दू ठन डेना दिये गीस, ताकि ओह सुनसान जगह म ओ ठऊर ला उड़ के जा सकय, जिहां सांप के पहुंच ले बाहिर, ओकर साढ़े तीन साल तक देख-भाल करे जावय। 15 तब सांप ह अपन मुहूं ले ओ माईलोगन कोति नदिया सहीं पानी के धार छोंड़िस, ताकि माईलोगन ह पानी के धार म बोहा जावय। 16 पर धरती ह ओ माईलोगन के मदद करिस। धरती ह अपन मुहूं ला खोलके ओ पानी ला पी गीस, जऊन ह ओ सांप सहीं पसु के मुहूं ले निकरत रिहिस। 17 तब ओ सांप सहीं पसु ह ओ माईलोगन ऊपर गुस्सा करिस अऊ ओह माईलोगन के बांचे संतानमन ले लड़ई करे बर निकरिस – याने कि ओ मनखेमन ले, जऊन मन परमेसर के हुकूम ला मानथें अऊ यीसू के ऊपर बिसवास म अटल रहिथें। 18 अऊ ओ सांप सहीं पसु ह समुंदर तीर म ठाढ़ हो गीस।

समुंदर ले निकरे पसु

13 अऊ मेंह एक ठन पसु ला समुंदर ले निकरत देखेंव। ओकर दस ठन सिंग अऊ सात ठन मुड़ी रिहिस। ओकर दस ठन सिंग म दस ठन मुकुट रहय अऊ ओकर हर एक मुड़ी म एक निन्दा करइया नांव लिखाय रहय। जऊन पसु ला मेंह देखेंव, ओह चीता के सहीं रहय, पर ओकर गोड़मन भलुआ के गोड़ सहीं रहंय अऊ ओकर मुहूं ह सिंह के मुहूं सहीं रहय। सांप सहीं पसु ह ए पसु ला अपन सक्ति, अपन सिंघासन अऊ बहुंते अधिकार दीस। अइसने लगत रहय कि ओ पसु के एक ठन मुड़ी म एक बड़े घाव होय रिहिस, पर ओ बड़े घाव ह बने हो गे रिहिस। जम्मो संसार के मनखेमन अचरज करिन अऊ ओ पसु के पाछू हो लीन। मनखेमन सांप सहीं पसु के पूजा करिन, काबरकि ओह पसु ला अधिकार दे रिहिस; अऊ ओमन ए कहत पसु के घलो पूजा करिन, “ए पसु के सहीं कोन हवय? एकर संग कोन लड़ई कर सकथे?”

ओ पसु ला डींग मारे के अऊ निन्दा करे के अनुमती दिये गीस। ओला बियालीस महिना तक अपन अधिकार के उपयोग करे के अनुमती घलो दिये गीस। ओह परमेसर के निन्दा करिस। ओह परमेसर के नांव अऊ ओकर रहे के जगह अऊ ओ मनखेमन के निन्दा करिस, जऊन मन स्‍वरग म रहिथें। ओला अनुमती दिये गीस कि ओह पबितर मनखेमन संग लड़ई करय अऊ ओमन ऊपर जय पावय। अऊ ओला हर एक जाति, मनखे, भासा अऊ देस ऊपर अधिकार दिये गीस। धरती के रहइया जम्मो मनखेमन ओ पसु के पूजा करहीं – याने कि ओ जम्मो मनखे, जेमन के नांव ह सिरिस्टी के रचे के पहिली ले जिनगी के किताब म नइं लिखाय हवय। ए जिनगी के किताब ह ओ मेढ़ा-पीला के अय, जऊन ह मार डारे गीस।

जेकर कान हवय, ओह सुन ले!

10 कहूं कोनो ला कैद म जाना हवय,
    त ओह कैद म जाही।
कहूं कोनो ला तलवार ले मरना हवय,
    त ओह तलवार ले मारे जाही।

एकर खातिर पबितर मनखेमन ला धीरज अऊ बिसवास के जरूरत हवय।

धरती म ले निकरे पसु

11 तब मेंह एक ठन अऊ पसु ला देखेंव, जऊन ह धरती म ले निकरत रहय। ओकर मेढ़ा-पीला के सिंग सहीं दू ठन सिंग रहय, पर ओह सांप सहीं पसु जइसने गोठियावय। 12 ओह पहिली पसु कोति ले ओकर जम्मो अधिकार के उपयोग करथे। ओह धरती अऊ ओकर रहइयामन ला बाध्य करथे कि ओमन ओ पहिली पसु के पूजा करंय, जेकर एक बड़े घाव ह बने हो गे रिहिस। 13 ए दूसरा पसु ह बड़े-बड़े चमतकार देखाईस, अऊ त अऊ ओह मनखेमन के देखत म अकास ले धरती ऊपर आगी बरसा देवत रिहिस। 14 पहिली पसु कोति ले, ओला जऊन चमतकार देखाय के अधिकार मिले रिहिस, ओ चमतकार के दुवारा ओह धरती के मनखेमन ला भरमा दीस। ओह मनखेमन ला हुकूम दीस कि ओमन ओ पसु के आदर म एक मूरती बनावंय, जऊन ह तलवार ले घात करे के बाद घलो जीयत रिहिस। 15 ओला पहिली पसु के मूरती ला जीयाय के सक्ति दिये गीस, ताकि ओ मूरती ह गोठियावय, अऊ ओ जम्मो झन ला मरवा देवय, जऊन मन ओ मूरती के पूजा नइं करिन। 16 ओह छोटे या बड़े, धनी या गरीब, सुतंतर या गुलाम, जम्मो मनखे मन ला बाध्य करथे कि ओमन जेवनी हांथ या अपन माथा म एक छाप लगावंय। 17 बिगर ओ छाप के, कोनो घलो मनखे लेन-देन नइं कर सकंय। ओ छाप म पसु के नांव या ओकर नांव के संख्‍या लिखाय रहय।

18 एकर खातिर बुद्धि के जरूरत हवय। कहूं काकरो करा बुद्धि हवय, त ओह ए पसु के संख्‍या के हिसाब कर ले, काबरकि एह एक मनखे के संख्‍या ए। एकर संख्‍या 666 ए।

मेढ़ा-पीला अऊ 144,000 मनखे

14 तब मेंह देखेंव कि मेढ़ा-पीला ह सियोन पहाड़ ऊपर ठाढ़े हवय अऊ ओकर संग 144,000 ओ मनखेमन रहंय, जेमन के माथा म ओकर नांव अऊ ओकर ददा के नांव लिखाय रहय। तब मेंह स्‍वरग ले एक अवाज सुनेंव, जऊन ह तेजी ले बोहावत पानी के अवाज अऊ बादर के भयंकर गरजन सहीं रहय। जऊन अवाज ला मेंह सुनेंव, ओह अइसने रिहिस, मानो बीना बजइयामन बीना बजावत हवंय। ओ मनखेमन सिंघासन अऊ चार जीयत परानी अऊ अगुवामन के आघू म एक नवां गीत गावत रहंय। ओ 144,000 मनखे, जऊन मन ला धरती म ले दाम देके छोंड़ाय गे रिहिस, ओमन के छोंड़, अऊ कोनो ओ गीत ला सीख नइं सकिन। एमन ओ मनखे रिहिन, जेमन के सारीरिक संबंध माईलोगनमन संग नइं रिहिस अऊ ओमन अपन-आप ला सुध रखे रिहिन। अऊ जिहां कहूं मेढ़ा-पीला ह जाथे; एमन ओकर पाछू-पाछू चलथें। एमन ला मनखेमन ले बिसोय गे रिहिस अऊ एमन ला परमेसर अऊ मेढ़ा-पीला करा पहिली फर के रूप म चघाय गे रिहिस। एमन कभू लबारी नइं मारिन; एमन म कोनो किसम के दोस नइं ए।

तीन स्‍वरगदूत

तब मेंह एक अऊ स्‍वरगदूत ला अकास म उड़त देखेंव। ओकर करा धरती के जम्मो देस, जाति अऊ भासा के मनखेमन ला सुनाय बर एक सदाकाल के सुघर संदेस रहय। ओह ऊंचहा अवाज म कहिस, “परमेसर के भय मानव अऊ ओकर महिमा करव, काबरकि ओकर नियाय करे के बेरा ह आ गे हवय। जऊन ह स्‍वरग, धरती, समुंदर अऊ पानी के सोतमन ला बनाईस, ओकर अराधना करव।”

एकर बाद एक दूसरा स्‍वरगदूत आईस अऊ कहिस, “सतियानास हो गीस। बड़े सहर बाबूल के सतियानास हो गीस,[b] जऊन ह अपन छिनारीपन के तीखा मंद जम्मो देस के मनखेमन ला पीयाय रिहिस।”

एकर बाद, एक तीसरा स्‍वरगदूत आईस अऊ ऊंचहा अवाज म कहिस, “कहूं कोनो ओ पसु या ओकर मूरती के पूजा करथे अऊ अपन माथा म या अपन हांथ म ओ पसु के छाप ला लेथे, 10 त ओला घलो परमेसर के कोरोध रूपी मंद ला पीये पड़ही, जऊन ला ओकर कोरोध रूपी कटोरा म पूरा बल सहित ढारे गे हवय। ओह पबितर स्वरगदूतमन के अऊ मेढ़ा-पीला के आघू म आगी अऊ गंधक के पीरा ला भोगही। 11 जऊन मन ओ पसु अऊ ओकर मूरती के पूजा करथें या ओकर नांव के छाप ला लेथें, ओमन के पीरा के धुआं ह जुग-जुग तक उठते रहिही; अऊ ओमन ला रात अऊ दिन कभू चैन नइं मिलही।” 12 एकर खातिर, ओ पबितर मनखेमन ला धीरज के जरूरत हवय, जऊन मन परमेसर के हुकूम ला मानथें अऊ यीसू म अपन बिसवास ला बनाय रखथें।

13 तब मेंह स्‍वरग ले एक अवाज सुनेंव, जऊन ह मोला ए कहत रहय, “लिख! धइन एं ओ मनखेमन, जऊन मन अब ले परभू म बिसवास करत मरथें।”

पबितर आतमा ह कहिथे, “वास्तव म, ओमन धइन अंय। ओमन अपन मिहनत के बाद अराम पाहीं, काबरकि ओमन के भलई के काममन ओमन के संग जाही।”

धरती के फसल

14 तब मोला उहां एक सफेद बादर दिखिस अऊ ओ बादर ऊपर मनखे के बेटा सहीं कोनो बईठे रहय। ओकर मुड़ी म सोन के मुकुट अऊ ओकर हांथ म धारदार हंसिया रहय। 15 तब एक आने स्‍वरगदूत मंदिर म ले निकरिस अऊ ऊंचहा अवाज म बादर ऊपर बईठे मनखे ला कहिस, “अपन हंसिया ला ले अऊ लुवई कर, काबरकि लुवई के बेरा आ गे हवय, अऊ धरती के फसल ह पक चुके हवय।” 16 तब जऊन ह बादर ऊपर बईठे रिहिस, ओह अपन हंसिया ला धरती ऊपर चलाईस, अऊ धरती के फसल ह लुवा गे।

17 तब एक अऊ स्‍वरगदूत स्‍वरग के मंदिर म ले निकरिस, अऊ ओकर करा घलो एक धारदार हंसिया रहय। 18 तब एक अऊ स्‍वरगदूत, जऊन ला आगी ऊपर अधिकार दिये गे रिहिस, बेदी म ले आईस अऊ ऊंचहा अवाज म ओ स्‍वरगदूत ला कहिस, जेकर करा धारदार हंसिया रहय, “अपन हंसिया ला ले अऊ धरती के अंगूर के नार के गुच्‍छामन ला काट अऊ अंगूर ला संकेल ले, काबरकि ओकर अंगूरमन पाक गे हवंय।” 19 तब ओ स्‍वरगदूत ह अपन हंसिया ला धरती के अंगूर के नारमन म चलाईस अऊ अंगूर ला संकेलिस अऊ ओला परमेसर के कोरोध रूपी अंगूर के बड़े कुन्‍ड म झोंक दीस[c] 20 ओमन ला सहर के बाहिर अंगूर के कुन्‍ड म कुचरे गीस अऊ ओ कुन्‍ड ले जऊन लहू निकरिस, ओह करीब पांच फुट ऊंच होके तीन सौ किलोमीटर तक बोहाईस।

सात स्‍वरगदूत अऊ सात महामारी

15 तब मेंह अकास म एक ठन अऊ महान अऊ अद्भूत चिन्‍हां देखेंव: सात स्‍वरगदूत सात ठन महामारी ला धरे रहंय। एमन आखिरी बिपत्ती अंय, काबरकि एकर बाद परमेसर के कोरोध ह पूरा हो जाही। अऊ मेंह अइसने चीज देखेंव, जऊन ह आगी म मिले कांच के एक समुंदर सहीं दिखत रहय अऊ ओ कांच के समुंदर के तीर म ओ मनखेमन ठाढ़े रिहिन, जऊन मन ओ पसु अऊ ओकर मूरती अऊ ओकर नांव के संख्‍या ऊपर जय पाय रिहिन। ओमन परमेसर के दुवारा दिये गय बीनामन ला धरे रहंय। अऊ ओमन परमेसर के सेवक मूसा के गीत अऊ मेढ़ा-पीला के ए गीत गावत रहंय:

“हे सर्वसक्तिमान परभू परमेसर!
    तोर काम महान अऊ अद्भूत ए।
हे जुग-जुग के राजा!
    तोर रसता ह सही अऊ सच्‍चा ए।
हे परभू! जम्मो झन तोर भय मानहीं,
    अऊ तोर नांव के महिमा करहीं।
काबरकि तेंहीच ह पबितर अस।
    जम्मो देस के मनखेमन आहीं
    अऊ तोर अराधना करहीं,
काबरकि तोर धरमी काममन ह परगट हो गे हवंय।”

एकर बाद मेंह देखेंव कि स्‍वरग म गवाही के तम्‍बू के मंदिर ह खुल गीस। अऊ ओ मंदिर म ले सात स्‍वरगदूत निकरिन, जेमन करा सात ठन महामारी रहय। ओ स्वरगदूतमन साफ अऊ चमकत सन के कपड़ा पहिरे रहंय अऊ ओमन के छाती म सोन के पट्टा बंधाय रहय। तब ओ चार जीयत परानी म ले एक झन ओ सातों स्वरगदूतमन ला सात ठन सोन के कटोरा दीस, जऊन म जुग-जुग तक जीयत रहइया परमेसर के कोरोध भराय रहय अऊ परमेसर के महिमा अऊ ओकर सामरथ के कारन मंदिर ह धुआं ले भर गीस अऊ कोनो ओ मंदिर भीतर नइं जा सकिन, जब तक कि ओ सात स्वरगदूतमन के सात महामारीमन पूरा नइं हो गीन।

परमेसर के कोरोध के सात ठन कटोरा

16 तब मंदिर म ले मोला एक ऊंचहा अवाज सुनई पड़िस, जऊन ह सातों स्वरगदूतमन ले ए कहत रहय, “जावव, अऊ परमेसर के कोरोध के सातों कटोरा ला धरती ऊपर उंड़ेर देवव।”

पहिला स्‍वरगदूत ह गीस अऊ धरती ऊपर अपन कटोरा ला उंड़ेर दीस। जऊन मनखेमन ऊपर पसु के छाप लगे रिहिस अऊ जऊन मन ओकर मूरती के पूजा करे रिहिन, ओमन के ऊपर घिनौना अऊ पीरा देवइया फोड़ा निकर आईस।

दूसरा स्‍वरगदूत ह समुंदर ऊपर अपन कटोरा ला उंड़ेरिस अऊ समुंदर के पानी ह मरे मनखे के लहू सहीं हो गीस अऊ समुंदर के जम्मो जीव मर गीन।

तीसरा स्‍वरगदूत ह अपन कटोरा ला नदिया अऊ पानी के सोता मन ऊपर उंड़ेरिस अऊ ओमन के पानी ह लहू बन गीस। तब मेंह ओ स्‍वरगदूत, जेकर करा पानी के ऊपर अधिकार रिहिस, ए कहत सुनेंव:

“हे परम पबितर! तेंह जीयत हवस अऊ तेंह हमेसा जीयत रहय;
    तेंह नियाय करे म धरमी अस,
    काबरकि तेंह अइसने नियाय करे हवस।
मनखेमन तोर पबितर मनखे अऊ अगमजानीमन के लहू बहाय हवंय, अऊ तेंह ओमन ला पीये बर लहू दे हवस,
    काबरकि ओमन एकरे लइक अंय।”

अऊ बेदी ला मेंह ए कहत सुनेंव:

“हव, हे सर्वसक्तिमान परभू परमेसर,
    तोर नियाय ह सच्‍चा अऊ सही अय।”

तब चौथा स्‍वरगदूत ह अपन कटोरा ला सूरज ऊपर उंड़ेरिस, अऊ सूरज ला मनखेमन ला आगी ले लेसे के अनुमती दिये गीस। मनखेमन भारी गरमी ले लेसा गीन अऊ ओमन परमेसर के नांव ला सराप दीन, जऊन ह कि ए महामारी ऊपर अधिकार रखथे, पर ओमन पछताप नइं करिन अऊ परमेसर के महिमा करे नइं चाहिन।

10 तब पांचवां स्‍वरगदूत ह अपन कटोरा ला पसु के सिंघासन ऊपर उंड़ेरिस, अऊ पसु के राज म अंधियार छा गीस। मनखेमन पीरा के मारे अपन जीभ चबाय लगिन, 11 अऊ अपन पीरा अऊ फोड़ामन के कारन स्‍वरग के परमेसर ला सराप देय लगिन, पर ओमन अपन कुकरम खातिर पछताप नइं करिन।

12 तब छठवां स्‍वरगदूत ह अपन कटोरा ला महान नदी फरात ऊपर उंड़ेरिस। नदी के पानी ह सूखा गीस, ताकि पूरब दिग ले अवइया राजामन बर रसता बन जावय। 13 तब मेंह सांप सहीं पसु के मुहूं ले, अऊ ओ पसु के मुहूं ले अऊ लबरा अगमजानी के मुहूं ले तीन असुध आतमामन ला निकरत देखेंव। ए असुध आतमामन मेचका के रूप म रहंय। 14 एमन दुस्‍ट आतमा अंय, जऊन मन चमतकार देखाथें। एमन जम्मो संसार के राजामन करा जाथें अऊ ओमन ला ओ लड़ई बर संकलथें, जऊन ह सर्वसक्तिमान परमेसर के महान दिन म होही।

15 देख! मेंह एक चोर के सहीं आवत हंव। धइन ए ओह, जऊन ह जागत रहिथे, अऊ अपन कपड़ा ला पहिरे रहिथे, ताकि ओह नंगरा झन गिंजरय, अऊ मनखेमन के आघू म ओकर बेजत्ती झन होवय।

16 तब आतमामन राजामन ला ओ ठऊर म संकेलिन, जऊन ला इबरानी भासा म हरमगिदोन कहे जाथे।

17 तब सातवां स्‍वरगदूत ह हवा म अपन कटोरा ला उंड़ेरिस, अऊ मंदिर के सिंघासन म ले एक ऊंचहा अवाज आईस, जऊन ह ए कहत रिहिस, “पूरा हो गीस।” 18 तब बिजली के चमक, अवाज, बादर के गरजन अऊ भारी भुइंडोल होईस। अइसने भारी भुइंडोल मनखे के गढ़े जाय के समय ले अब तक कभू नइं होय रिहिस। 19 बड़े सहर के तीन भाग हो गीस अऊ देसमन के सहरमन नास हो गीन। परमेसर ह बड़े सहर बाबूल ला सुरता करिस अऊ ओला अपन भयंकर कोरोध ले भरे मंद के कटोरा ला पीये बर दीस। 20 जम्मो टापू अऊ पहाड़ मन गायब हो गीन। 21 अकास ले करीब पचास-पचास किलो के बड़े-बड़े करा मनखेमन ऊपर गिरिस, अऊ ए करा के महामारी के कारन मनखेमन परमेसर ला सराप दीन, काबरकि ए महामारी ह बहुंत भयंकर रिहिस।

बहुंत खराप बेस्या

17 तब जऊन सात स्वरगदूतमन सात ठन कटोरा धरे रिहिन, ओम के एक झन मोर करा आईस अऊ कहिस, “आ, मेंह तोला ओ बड़े बेस्या के दंड ला देखाहूं, जऊन ह कतको पानीमन ऊपर बईठे हवय। ओकर संग धरती के राजामन छिनारी करे हवंय अऊ धरती के मनखेमन ओकर छिनारीपन के मंद ला पीके मतवाला हो गे हवंय।”

तब ओ स्‍वरगदूत ह मोला आतमा म एक ठन सुनसान जगह म ले गीस। उहां मेंह एक झन माईलोगन ला लाल रंग के एक पसु ऊपर बईठे देखेंव। पसु के जम्मो देहें म खराप नांवमन लिखाय रहय, अऊ ओकर सात ठन मुड़ी अऊ दस ठन सिंग रहय। ओ माईलोगन ह बैंजनी अऊ लाल रंग के कपड़ा पहिरे रहय अऊ सोन, कीमती पथरा अऊ मोती मन ले सजे रहय। ओह अपन हांथ म एक ठन सोन के कटोरा धरे रहय। ओ कटोरा ह घिन-घिन चीज अऊ ओकर छिनारीपन के गंदगी ले भरे रहय। अऊ ओकर माथा म एक भेद के नांव लिखाय रहय:

महान बाबूल,

धरती के बेस्‍यामन के

अऊ घिन-घिन चीजमन के दाई।

मेंह देखेंव कि ओ माईलोगन ह पबितर मनखेमन के लहू अऊ यीसू के बिसवास लइक गवाहमन के लहू ला पीके माते हवय। जब मेंह ओला देखेंव, त बहुंत अचरज म पड़ गेंव। तब स्‍वरगदूत ह मोला कहिस, “तेंह काबर अचम्भो करत हवस? मेंह तोला ओ माईलोगन के भेद ला बताहूं अऊ ओ पसु के भेद ला घलो बताहूं, जेकर ऊपर ओ माईलोगन ह सवारी करे हवय अऊ जेकर सात ठन मुड़ी अऊ दस ठन सिंग हवय। जऊन पसु ला तेंह देखे, ओह पहिली रिहिस, पर अब नइं ए; ओह अथाह कुन्‍ड ले निकरके आही अऊ ओह नास हो जाही। धरती के ओ मनखेमन, जेकर नांव संसार के रचे के समय ले जिनगी के किताब म नइं लिखे हवय, ओमन पसु ला देखके अचम्भो करहीं, काबरकि ओह पहिली रिहिस, पर अब नइं ए, पर ओह फेर आही।”

एला समझे बर बुद्धि के जरूरत हवय। ओ सात ठन मुड़ीमन सात ठन पहाड़ अंय, जेकर ऊपर ओ माईलोगन ह बईठे हवय। 10 ओमन सात झन राजा घलो अंय। ओम ले पांच झन गिर गे हवंय; एक झन अभी राज करत हवय, अऊ दूसर ह अभी तक नइं आय हवय; पर जब ओह आही, त थोरकन समय तक राज करही। 11 ओ पसु जऊन ह पहिली रिहिस, पर अब नइं ए, ओह आठवां राजा ए। असल म, ओह ओ सातों म ले अय अऊ ओह नास हो जाही।

12 जऊन दस ठन सिंग तेंह देखे, ओमन दस राजा अंय। ओमन ला अभी तक राज नइं मिले हवय, पर ओमन ला एक घंटा बर पसु के संग म राजामन सहीं अधिकार मिलही। 13 ओमन के एकेच उदेस्य हवय अऊ ओमन अपन सक्ति अऊ अधिकार पसु ला दे दिहीं। 14 ओमन मेढ़ा-पीला के बिरोध म लड़ई करहीं, पर मेढ़ा-पीला ह ओमन ऊपर जय पाही, काबरकि ओह परभूमन के परभू अऊ राजामन के राजा ए, अऊ जऊन मन ओकर संग रहिहीं, ओमन बलाय गे हवंय अऊ चुने गे हवंय अऊ ओमन बिसवास लइक अंय।

15 तब स्‍वरगदूत ह मोला कहिस, “जऊन पानी ला तेंह देखे, जिहां ओ बेस्या ह बईठे हवय, ओ पानी ह मनखेमन के भीड़, देस अऊ भासा मन अय। 16 जऊन पसु अऊ दस सिंगमन ला तेंह देखे, ओमन ओ बेस्या ले घिन करहीं। ओमन ओला नंगरी करके अकेला छोंड़ दिहीं। ओमन ओकर मांस ला खाहीं अऊ ओला आगी म जला दिहीं। 17 काबरकि परमेसर ह ओमन के मन म ए बात ला डाले हवय कि ओमन ओकर उदेस्य ला पूरा करंय अऊ जब तक परमेसर के बचन ह पूरा नइं हो जावय, तब तक ओमन एक मत होके अपन राज करे के अधिकार ला ओ पसु ला दे देवंय। 18 जऊन माईलोगन ला तेंह देखे, ओह ओ महान सहर ए, जऊन ह धरती के राजामन ऊपर राज करथे।”

बाबूल सहर के बिनास

18 एकर बाद मेंह एक अऊ स्‍वरगदूत ला स्‍वरग ले उतरत देखेंव। ओकर करा बड़े अधिकार रिहिस अऊ धरती ह ओकर सोभा ले जगमगा गीस। ओह ऊंचहा अवाज म चिचियाके कहिस,

“सतियानास हो गीस! बड़े सहर बाबूल ह सतियानास हो गीस!
    ओह भूतमन के अऊ जम्मो दुस्‍ट आतमामन के
अऊ जम्मो असुध अऊ घिन-घिन चिरईमन के डेरा हो गे हवय।
काबरकि जम्मो देस के मनखेमन ओकर छिनारीपन के मंद ला पीये हवंय।
    धरती के राजामन ओकर संग छिनारी करिन
    अऊ धरती के बेपारीमन ओकर बिलासिता के धन ले धनवान हो गे हवंय।”

तब मेंह स्‍वरग ले एक अऊ अवाज सुनेंव, जऊन ह ए कहत रहय:

“हे मोर मनखेमन, ओ सहर म ले निकर आवव,
    ताकि तुमन ओकर पाप के भागी झन होवव
    अऊ ओकर कोनो बिपत्ती तुम्‍हर ऊपर झन पड़य।
काबरकि ओकर पाप के घघरी ह भर गे हवय,
    अऊ परमेसर ह ओकर अपराध ला सुरता करे हवय।
ओकर संग वइसने करव,
    जइसने ओह तुम्‍हर संग करे हवय।
    ओकर कुकरम के दू गुना बदला चुकावव।
    जऊन कटोरा म ओह भरे हवय,
    ओ कटोरा म ओकर बर दू गुना भर देवव।
ओह जतेक डींग मारे हवय अऊ जतेक भोग-बिलास करे हवय,
    ओला ओतके दुःख अऊ तकलीफ देवव।
    ओह अपन मन म कहिथे,
‘मेंह रानी सहीं बईठथंव;
    मेंह बिधवा नो हंव, अऊ मेंह कभू दुःख नइं मनाहूं।’
एकरसेति एकेच दिन म ओकर ऊपर मिरतू,
    सोक अऊ अकाल के बिपत्ती आ पड़ही।
ओह आगी म भसम हो जाही।
    काबरकि जऊन ह ओकर नियाय करथे, ओह सर्वसक्तिमान परभू परमेसर ए।

धरती के जऊन राजामन ओकर संग छिनारी अऊ भोग-बिलास करिन, ओमन जब ओकर जरे के धुआं ला देखहीं, त ओमन रोहीं अऊ ओकर बर सोक मनाहीं। 10 ओमन ओकर पीरा ले डरके दूरिहा म ठाढ़ होहीं अऊ ए कहिहीं,

‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय!
    हे बाबूल, सक्तिसाली सहर! एकेच घंटा म तोला तोर दंड मिल गीस।’

11 धरती के बेपारीमन ओकर बर रोहीं अऊ कलपहीं, काबरकि अब कोनो ओमन के ए मालमन ला नइं बिसोही – 12 सोना, चांदी, कीमती पथरा, मोती; सुन्‍दर मलमल, बैंजनी, रेसमी अऊ लाल कपड़ा; जम्मो किसम के महकत कठवा, अऊ हाथी दांत, कीमती कठवा, पीतल, लोहा अऊ संगमरमर के जम्मो किसम के चीज; 13 अऊ दालचीनी, मसाला, धूप, इतर, लोबान, मंद, तेल, आंटा अऊ गहूं; बइला अऊ मेढ़ा-मेढ़ी, घोड़ा अऊ रथ, अऊ गुलाम अऊ मनखेमन के जीव।

14 बेपारीमन ओला कहिहीं, ‘जऊन फर के लालसा तेंह करत रहय, ओह तोर ले दूरिहा हो गे हवय। तोर जम्मो धन-संपत्ति अऊ तड़क-भड़क खतम हो गीस, अऊ ओह तोला फेर कभू नइं मिलय।’ 15 जऊन बेपारीमन ए चीजमन ला बेंचके बाबूल सहर ले धन कमाय रिहिन, ओमन ओकर पीरा ले डरके दूरिहा म ठाढ़ होहीं। ओमन रोहीं अऊ सोक मनाहीं; 16 अऊ ए कहिहीं:

‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय!
    तेंह सुन्‍दर मलमल, बैंजनी अऊ लाल कपड़ा पहिरे रहय
    अऊ सोन, कीमती पथरा अऊ मोती ले सजे रहय!

17 एकेच घंटा म ए जम्मो धन ह नास हो गीस!’

पानी जहाज के हर कप्तान, पानी जहाज म हर यातरा करइया, हर डोंगा खेवइया अऊ हर ओ मनखे, जऊन ह समुंदर ले अपन जिनगी चलाथे, ए जम्मो के जम्मो दूरिहा म ठाढ़े रहिहीं। 18 जब ओमन ओकर जरे के धुआं ला देखहीं, त ओमन चिचियाके कहिहीं, ‘का ए महान सहर सहीं कभू कोनो सहर रिहिस?’ 19 ओमन अपन मुड़ी ऊपर धूर्रा ला डारहीं, अऊ रोवत अऊ कलपत ओमन चिचिया-चिचियाके कहिहीं:

‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय!
    एह ओ सहर ए,
    जेकर धन के जरिये समुंदर के जम्मो जहाज के मालिकमन धनी हो गीन।
एकेच घंटा म, ओह नास हो गीस।’

20 हे स्‍वरग म रहइयामन अऊ पबितर मनखे अऊ प्रेरित अऊ अगमजानीमन!
    ओकर बिनास ऊपर आनंद मनावव।
    ओह तुम्‍हर संग जइसने बरताव करे रिहिस,
परमेसर ह ओला ओकर सजा दे हवय।”

21 तब एक सक्तिसाली स्‍वरगदूत ह चक्‍की के एक बड़े पाट सहीं पथरा ला उठाईस अऊ ए कहत ओला समुंदर म फटिक दीस:

“महान सहर बाबूल ह अइसने बेरहमी ले फटिक दिये जाही,
    अऊ ओकर फेर कभू पता नइं चलही।
22 बीना बजइया, अऊ संगीतकार,
    बांसुरी बजइया अऊ तुरही बजइया मन के अवाज,
ए सहर म फेर कभू सुनई नइं पड़ही। कोनो काम के कोनो घलो कारीगर,
    ए सहर म फेर कभू नइं मिलही।
चक्‍की चले के अवाज,
    ए सहर म फेर कभू सुनई नइं पड़ही।
23 दीया के अंजोर, ए सहर म फेर कभू नइं चमकही।
    दूल्हा अऊ दुल्हिन के अवाज,
ए सहर म फेर कभू सुनई नइं पड़ही।
    ए सहर के बेपारीमन संसार के बड़े मनखे रिहिन।
ए सहर ह अपन जादू के दुवारा जम्मो देस के मनखेमन ला बहकाय रिहिस।
24 ए सहर म अगमजानी अऊ पबितर मनखे मन के लहू पाय गीस,
    अऊ धरती ऊपर जऊन मनखेमन मार डारे गीन, ओमन के लहू घलो ए सहर म पाय गीस।”

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)

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