Book of Common Prayer
जीभ की शक्ति
3 प्रियजन, तुम में से अनेकों शिक्षक बनने को उत्सुक न हों. याद रहे कि हम शिक्षकों का न्याय कठोरता पूर्वक होगा. 2 हम सभी अनेक क्षेत्रों में चूक जाते हैं. सिद्ध है वह, जिसके वचन में कोई भूल-चूक नहीं होती. वह अपने सारे शरीर पर भी लगाम लगाने में सक्षम है.
3 घोड़े हमारे संकेतों का पालन करें, इसके लिए हम उनके मुँह में लगाम डाल देते हैं और उसी के द्वारा उनके सारे शरीर को नियन्त्रित करते हैं. 4 जलयानों को ही देख लो, हालांकि वे विशालकाय होते हैं और तेज़ हवा बहने से चलते हैं, तौभी एक छोटी-सी पतवार द्वारा चालक की इच्छा से हर दिशा में मोड़े जा सकते हैं. 5 इसी प्रकार जीभ भी शरीर का एक छोटा अंग है, फिर भी ऊंचे-ऊंचे विषयों का घमण्ड़ भरती है. कल्पना करो: एक छोटी सी चिंगारी कैसे एक विशाल वन को स्वाहा कर देती है. 6 जीभ भी आग है—सारे शरीर में अधर्म का भण्डार—एक ऐसी आग, जो हमारे सारे शरीर को अशुद्ध कर देती है. जीभ जीवन की गति को नाश करनेवाली ज्वाला में बदल सकती है तथा स्वयं नरक की आग से जलकर दहकती रहती है.
7 पशु-पक्षी, रेंगते जन्तु तथा समुद्री प्राणियों की हर एक प्रजाति वश में की जा सकती है और मानव द्वारा वश में की भी जा चुकी है 8 किन्तु जीभ को कोई भी वश में नहीं कर सकता. यह एक विद्रोही और हानिकारक है, जो प्राणनाशक विष से छलक रही है.
9 इसी जीभ से हम प्रभु और पिता परमेश्वर की वन्दना करते हैं और इसी से हम मनुष्यों को, जो परमेश्वर के स्वरूप में रचे गए हैं, शाप भी देते हैं. 10 प्रियजन, एक ही मुख से आशीर्वाद और शाप का निकलना! गलत है यह! 11 क्या जल के एक ही सोते से कड़वे और मीठे दोनों प्रकार का जल निकलना सम्भव है? 12 प्रियजन, क्या अंजीर का पेड़ ज़ैतून या दाखलता अंजीर उत्पन्न कर सकती है? वैसे ही खारे जल का सोता मीठा जल नहीं दे सकता.
मसीह येशु पिलातॉस के न्यायालय में
(मत्ति 27:1-2; लूकॉ 22:66-71)
15 भोर होते ही प्रधान पुरोहितों, नेतागण तथा शास्त्रियों ने सारी महासभा का सत्र बुला कर विचार किया और मसीह येशु को, जो अभी भी बँधे हुए थे, ले जा कर पिलातॉस को सौंप दिया.
2 पिलातॉस ने मसीह येशु से पूछा, “क्या यहूदियों के राजा तुम हो?”
मसीह येशु ने इसके उत्तर में कहा, “सच्चाई वही है जो आपने कहा है.”
3 प्रधान याजक मसीह येशु पर अनेक आरोप लगाते रहे. 4 इस पर पिलातॉस ने मसीह येशु से पूछा, “कोई उत्तर नहीं दोगे? देखो, ये लोग तुम पर आरोप पर आरोप लगाते चले जा रहे हैं!”
5 किन्तु मसीह येशु ने कोई उत्तर न दिया. यह पिलातॉस के लिए आश्चर्य का विषय था.
6 उत्सव के अवसर पर वह किसी एक बन्दी को, लोगों की विनती के अनुसार, छोड़ दिया करता था. 7 कारागार में बार-अब्बास नामक एक बन्दी था. वह अन्य विद्रोहियों के साथ विद्रोह में हत्या के आरोप में बन्दी बनाया गया था. 8 भीड़ ने पिलातॉस के पास जा कर उनकी प्रथापूर्ति की विनती की.
9 इस पर पिलातॉस ने उनसे पूछा, “अच्छा, तो तुम यह चाह रहे हो कि मैं तुम्हारे लिए यहूदियों के राजा को छोड़ दूँ?” 10 अब तक पिलातॉस को यह मालूम हो चुका था कि प्रधान पुरोहितों ने मसीह येशु को जलनवश पकड़वाया था. 11 किन्तु प्रधान पुरोहितों ने भीड़ को उकसाया कि वे मसीह येशु के स्थान पर बार-अब्बास को छोड़ देने की विनती करें.
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