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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
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प्रेरित 24:24-25:12

24 कुछ दिनों के बाद फ़ेलिक्स अपनी पत्नी द्रुसिल्ला के साथ वहाँ आया, जो यहूदी थी. उसने पौलॉस को बुलवाने की आज्ञा दी और उनसे उनके मसीह येशु में विश्वास विषय पर बातें सुनी. 25 जब पौलॉस धार्मिकता, संयम तथा आनेवाले न्याय का वर्णन कर रहे थे, फ़ेलिक्स ने भयभीत हो पौलॉस से कहा, “इस समय तो तुम जाओ. जब मेरे पास समय होगा, मैं स्वयं तुम्हें बुलवा लूँगा.” 26 फ़ेलिक्स पौलॉस से धनराशि प्राप्ति की आशा लगाए हुए था. इसी आशा में वह पौलॉस को बातचीत के लिए बार-बार अपने पास बुलावाता था.

27 यही क्रम दो वर्षों तक चलता रहा. तब फ़ेलिक्स के स्थान पर पोर्कियॉस फ़ेस्तुस इस पद पर चुना गया और यहूदियों को प्रसन्न करने के उद्धेश्य से फ़ेलिक्स ने पौलॉस को बन्दी ही बना रहने दिया.

कयसर से पौलॉस की विनती

25 कार्यभार सम्भालने के तीन दिन बाद फ़ेस्तुस कयसरिया नगर से येरूशालेम गया. वहाँ उसके सामने प्रधान याजकों और मुख्य यहूदियों ने पौलॉस के विरुद्ध मुकद्दमा प्रस्तुत किया. उन्होंने फ़ेस्तुस से विनती की कि वह विशेष कृपादृष्टि कर पौलॉस को येरूशालेम भेज दें. वास्तव में उनकी योजना मार्ग में घात लगाकर पौलॉस की हत्या करने की थी. फ़ेस्तुस ने इसके उत्तर में कहा, “पौलॉस तो कयसरिया में बन्दी है और मैं स्वयं शीघ्र वहाँ जा रहा हूँ. इसलिए आप में से कुछ प्रधान व्यक्ति मेरे साथ वहाँ चलें. यदि पौलॉस को वास्तव में दोषी पाया गया तो उस पर मुकद्दमा चलाया जाएगा.”

आठ-दस दिन ठहरने के बाद फ़ेस्तुस कयसरिया लौट गया और अगले दिन पौलॉस को न्यायालय में लाने की आज्ञा दी. पौलॉस के वहाँ आने पर येरूशालेम से आए यहूदियों ने उन्हें घेर लिया और उन पर अनेक गम्भीर आरोपों की बौछार शुरु कर दी, जिन्हें वे स्वयं साबित न कर पाए.

अपने बचाव में पौलॉस ने कहा, “मैंने न तो यहूदियों की व्यवस्था के विरुद्ध किसी भी प्रकार का अपराध किया है और न ही मन्दिर या कयसर के विरुद्ध.”

फिर भी यहूदियों को प्रसन्न करने के उद्धेश्य से फ़ेस्तुस ने पौलॉस से प्रश्न किया, “क्या तुम चाहते हो कि तुम्हारे इन आरोपों की सुनवाई मेरे सामने येरूशालेम में हो?” 10 इस पर पौलॉस ने उत्तर दिया, “मैं कयसर के न्यायालय में खड़ा हूँ. ठीक यही है कि मेरी सुनवाई यहीं हो. मैंने यहूदियों के विरुद्ध कोई अपराध नहीं किया है यह तो आपको भी भली-भांति मालूम है. 11 यदि मैं अपराधी ही हूँ और यदि मैंने मृत्युदण्ड के योग्य कोई अपराध किया ही है, तो मुझे मृत्युदण्ड स्वीकार है. किन्तु यदि इन यहूदियों द्वारा मुझ पर लगाए आरोप सच नहीं हैं तो किसी को यह अधिकार नहीं कि वह मुझे इनके हाथों में सौंपे. यहाँ मैं अपनी सुनवाई की याचिका कयसर के न्यायालय में भेज रहा हूँ.”

12 अपनी महासभा से विचार-विमर्श के बाद फ़ेस्तुस ने घोषणा की, “ठीक है. तुमने कयसर से सुनवाई की विनती की है तो तुम्हें कयसर के पास ही भेजा जाएगा.”

मारक 12:35-44

35 मन्दिर के आँगन, में शिक्षा देते हुए मसीह येशु ने उनके सामने यह प्रश्न रखा, “शास्त्री यह क्यों कहते हैं कि मसीह दाविद के वंशज हैं? 36 दाविद ने, पवित्रात्मा, में आत्मलीन हो कहा था:

“‘प्रभु याहवेह ने मेरे प्रभु से कहा:
    “मेरी दायीं ओर बैठे रहो
मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे अधीन करूँगा.” ’

37 स्वयं दाविद उन्हें प्रभु कह कर सम्बोधित कर रहे हैं इसलिए किस भाव में प्रभु दाविद के पुत्र हुए?”

भीड़ उनके इस वाद-विवाद का आनन्द ले रही थी.

शास्त्रियों और फ़रीसियों का पाखण्ड

(मत्ति 23:1-12; लूकॉ 20:45-47)

38 आगे शिक्षा देते हुए मसीह येशु ने कहा, “उन शास्त्रियों से सावधान रहना, जो लम्बे-ढीले-लहराते वस्त्र पहने हुए घूमा करते हैं, जिन्हें सार्वजनिक स्थलों पर सम्मानपूर्ण नमस्कार की इच्छा रहती है. 39 उन्हें सभागृहों में प्रधान आसन तथा भोज के अवसरों पर मुख्य मुख्य स्थान की आशा रहती है. 40 वे विधवाओं के घर हड़प जाते हैं तथा मात्र दिखावे के उद्देश्य से लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं. कठोरतम होगा इनका दण्ड!”

कंगाल विधवा का दान

(लूकॉ 21:1-4)

41 मसीह येशु मन्दिर-कोष के सामने बैठे हुए थे. वह देख रहे थे कि लोग मन्दिर कोष में किस प्रकार दान दे रहे हैं. अनेक धनी लोग बड़ी-बड़ी राशि डाल रहे थे. 42 एक निर्धन विधवा भी वहाँ आई और उसने कोष में ताम्बे की मात्र दो बहुत छोटी मुद्राएं डालीं.

43 मसीह येशु ने अपने शिष्यों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, “मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: जितनों ने भी कोष में दान दिया है, इस विधवा का दान उन सबसे बढ़कर है 44 क्योंकि शेष सभी ने तो अपने धन की बढ़ती में से दिया है किन्तु इस विधवा ने अपनी निर्धनता में से अपनी सारी सम्पत्ति ही दे दी—यह उसकी सारी जीविका थी.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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