Book of Common Prayer
पौलॉस का स्थानान्तरण कयसरिया नगर को
23 तब सेनापति ने दो नायकों को बुला कर आज्ञा दी, “रात के तीसरे घण्टे तक दो सौ सैनिकों को लेकर कयसरिया नगर को प्रस्थान करो. उनके साथ सत्तर घुड़सवार तथा दो सौ भालाधारी सैनिक भी हों. 24 पौलॉस के लिए घोड़े की सवारी का प्रबन्ध करो कि वह राज्यपाल फ़ेलिक्स के पास सुरक्षित पहुँचा दिए जाएँ.”
25 सेनापति ने उनके हाथ यह पत्र भेज दिया:
26 परमश्रेष्ठ राज्यपाल फ़ेलिक्स की सेवा में,
क्लॉदियॉस लिसियस का सादर,
अभिनन्दन.
27 जब इस व्यक्ति को यहूदियों ने दबोचा और इसकी हत्या करने पर ही थे, मैं घटना स्थल पर अपनी सैनिक टुकड़ी के साथ जा पहुँचा और इसे उनके पंजों से मुक्त कराया क्योंकि मुझे यह मालूम हुआ कि यह एक रोमी नागरिक है. 28 तब इस पर लगाए आरोपों की पुष्टि के उद्देश्य से मैंने इसे उनकी महासभा के सामने प्रस्तुत किया. 29 वहाँ मुझे यह मालूम हुआ कि इस पर लगाए गए आरोप मात्र उनकी ही व्यवस्था की विधियों से सम्बन्धित हैं, न कि ऐसे, जिनके लिए हमारे नियमों के अनुसार मृत्युदण्ड या कारावास दिया जाए. 30 फिर मुझे यह सूचना प्राप्त हुई कि इस व्यक्ति के विरुद्ध हत्या का षड्यन्त्र रचा जा रहा है. मैंने इसे बिना देर किए आपके पास भेजने का निश्चय किया. मैंने आरोपियों को भी ये निर्देश दे दिए हैं कि वे इसके विरुद्ध सभी आरोप आपके ही सामने प्रस्तुत करें.
31 इसलिए आज्ञा के अनुसार सैनिकों ने रातों-रात पौलॉस को अन्तिपातरिस नगर के पास पहुँचा दिया. 32 दूसरे दिन घुड़सवारों को पौलॉस के साथ भेज कर वे स्वयं सैनिक गढ़ लौट आए. 33 कयसरिया नगर पहुँच कर उन्होंने राज्यपाल को वह पत्र सौंपा और पौलॉस को उनके सामने प्रस्तुत किया. 34 पत्र पढ़ कर राज्यपाल ने पौलॉस से प्रश्न किया कि वह किस प्रदेश के हैं. यह मालूम होने पर कि वह किलिकिया प्रदेश के हैं 35 राज्यपाल ने कहा, “तुम्हारे आरोपियों के यहाँ पहुँचने पर ही मैं तुम्हारी सुनवाई करूँगा” और उसने पौलॉस को हेरोदेस के राजभवन परिसर में रखने की आज्ञा दी.
कर का प्रश्न
(मत्ति 22:15-22; लूकॉ 20:20-26)
13 यहूदियों ने मसीह येशु के पास कुछ फ़रीसियों तथा हेरोदेस समर्थकों को भेजा कि मसीह येशु को उनकी ही किसी बात में फँसाया जा सके. 14 उन्होंने आ कर मसीह येशु से यह प्रश्न किया, “गुरुवर, यह तो हमें मालूम है कि आप एक सच्चे व्यक्ति हैं. आपको किसी के मत-समर्थन की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आप में पक्षपात है ही नहीं. आप पूरी सच्चाई में परमेश्वर सम्बन्धी शिक्षा देते हैं. हमें यह बताइए: कयसर को कर देना व्यवस्था के अनुसार है या नहीं? 15 हम कर दें या नहीं?”
उनका पाखण्ड भाँप कर मसीह येशु ने उनसे कहा, “क्यों मुझे फँसाने की युक्ति कर रहे हो? दीनार की मुद्रा ला कर मुझे दिखाओ.”
16 वे मसीह येशु के पास एक मुद्रा ले आए. मसीह येशु ने वह मुद्रा उन्हें दिखाते हुए उनसे प्रश्न किया, “यह छाप तथा नाम किसका है?”
“कयसर का,” उन्होंने उत्तर दिया.
17 मसीह येशु ने उनसे कहा, “जो कयसर का है, वह कयसर को दो और जो परमेश्वर का, वह परमेश्वर को.”
यह सुन वे दंग रह गए.
मरे हुओं के जी उठने का प्रश्न
(मत्ति 22:23-33; लूकॉ 20:27-40)
18 कुछ सदूकी मसीह येशु के पास आए. सदूकियों की मान्यता है कि मृतक दोबारा जीवित नहीं होते. उन्होंने मसीह येशु से प्रश्न किया, 19 “गुरुवर, हमारे लिए मोशेह का आदेश है कि यदि किसी का भाई अपनी पत्नी पीछे छोड़ निस्सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उस विधवा से विवाह करे और अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे. 20 इसी सन्दर्भ में एक घटना इस प्रकार है: सात भाई थे. पहले ने विवाह किया और बिना सन्तान ही चल बसा. 21 दूसरे भाई ने उसकी पत्नी वे विवाह कर लिया, वह भी बिना सन्तान ही चल बसा. तीसरे भाई की भी यही स्थिति रही. 22 इस प्रकार सातों भाइयों की मृत्यु बिना सन्तान ही हो गई. इसके बाद उस स्त्री की भी मृत्यु हो गई. 23 पुनरुत्थान में दुबारा जी उठने पर वह किसकी पत्नी कहलाएगी—क्योंकि वह तो सातों भाइयों की पत्नी रह चुकी है?”
24 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम्हारी इस भूल का कारण यह नहीं कि तुम न तो पवित्रशास्त्र का भेद समझते हो और न ही परमेश्वर के सामर्थ्य को? 25 पुनरुत्थान में लोग न तो विवाहित होते हैं और न ही वहाँ विवाह कराये जाते हैं—वहाँ वे स्वर्गदूतों के समान होंगे. 26 जहाँ तक मरे हुओं के दुबारा जी उठने का प्रश्न है, क्या तुमने मोशेह के ग्रन्थ में नहीं पढ़ा, जहाँ जलती हुई झाड़ी का वर्णन है? परमेश्वर ने मोशेह से कहा था, ‘मैं ही अब्राहाम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर तथा याक़ोब का परमेश्वर हूँ’? 27 आप लोग बड़ी गम्भीर भूल में पड़े हैं! वह मरे हुओं के नहीं परन्तु जीवितों के परमेश्वर हैं.”
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