Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: 'यहोशू 5:9-12' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'भजन संहिता 32 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
2 कोरिन्थॉस 5:16-21

16 इसलिए हमने मनुष्य की दृष्टि से किसी को भी समझना छोड़ दिया है. हाँ, एक समय था, जब हमने मसीह का अनुमान मनुष्य की दृष्टि से लगाया था—अब नहीं. अब हम उन्हें जान गए हैं. 17 यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है. पुराना बीत गया. देख लो: सब बातें नई हो गई हैं! 18 यह सब परमेश्वर की ओर से है, जिन्होंने मसीह के द्वारा स्वयं से हमारा मेल-मिलाप किया और हमें मेल-मिलाप की सेवकाई सौंपी है. 19 दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने संसार के खुद से मेल-मिलाप की स्थापना की प्रक्रिया में मसीह में मनुष्य के अपराधों का हिसाब न रखा. अब उन्होंने हमें मेल-मिलाप की सेवकाई सौंप दी है. 20 इसलिए हम मसीह के राजदूत हैं. परमेश्वर हमारे द्वारा तुमसे विनती कर रहे हैं. मसीह की ओर से तुमसे हमारी विनती है: परमेश्वर से मेल-मिलाप कर लो. 21 वह, जो निष्पाप थे, उन्हें परमेश्वर ने हमारे लिए पाप बना दिया कि हम उनमें परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएँ.

लूकॉ 15:1-3

परमेश्वर की दयालुता के विषय में तीन दृष्टान्त

15 सभी चुँगी लेने वाले और पापी लोग मसीह येशु के प्रवचन सुनने उनके पास आए किन्तु फ़रीसी और शास्त्री बड़बड़ाने लगे, “यह व्यक्ति पापियों से मित्रता रखते हुए उनके साथ संगति करता है.”

इसलिए मसीह येशु ने उनके सामने यह दृष्टान्त प्रस्तुत किया:

लूकॉ 15:11-32

खोया हुआ पुत्र

11 मसीह येशु ने आगे कहा, “किसी व्यक्ति के दो पुत्र थे. 12 छोटे पुत्र ने पिता से विनती की, ‘पिताजी, सम्पत्ति में से मेरा भाग मुझे दे दीजिए.’ इसलिए पिता ने दोनों पुत्रों में अपनी सम्पत्ति बांट दी.

13 “शीघ्र ही छोटे पुत्र ने अपने भाग में आई सारी सम्पत्ति ली और एक दूर देश की ओर चला गया. वहाँ उसने अपना सारा धन मनमानी जीवनशैली में उड़ा दिया. 14 और अब, जब उसका सब कुछ समाप्त हो गया था, सारे देश में भीषण अकाल पड़ा किन्तु उसके पास अब कुछ भी बाकी न रह गया था. 15 इसलिए वह उसी देश के एक नागरिक के यहाँ चला गया जिसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने भेज दिया. 16 वह सूअरों के चारे से ही अपना पेट भरने के लिए तरस जाता था. कोई भी उसे खाने के लिए कुछ नहीं देता था.

17 “अपनी परिस्थिति के बारे में होश में आने पर वह विचार करने लगा: ‘मेरे पिता के कितने ही सेवकों को अधिक मात्रा में भोजन उपलब्ध है और यहाँ मैं भूखा मर रहा हूँ! 18 मैं लौट कर अपने पिता के पास जाऊँगा और उनसे कहूँगा: पिताजी! मैंने वह, जो स्वर्ग में हैं, उनके विरुद्ध तथा आपके विरुद्ध पाप किया है. 19 इसके बाद मैं इस योग्य नहीं रह गया कि आपका पुत्र कहलाऊँ. अब आप मुझे अपने यहाँ मज़दूर ही रख लीजिए’. 20 इसलिए वह अपने पिता के पास लौट गया.

“वह दूर ही था कि पिता ने उसे देख लिया और वह दया से भर गया. वह दौड़ कर अपने पुत्र के पास गया और उसे गले लगा कर चूमता रहा.

21 “पुत्र ने पिता से कहा, ‘पिताजी! मैंने परमेश्वर के विरुद्ध तथा आपके प्रति पाप किया है, मैं अब इस योग्य नहीं रहा कि मैं आपका पुत्र कहलाऊँ.’

22 “किन्तु पिता ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, ‘बिना देर किए सबसे अच्छे वस्त्र ला कर इसे पहनाओ और इसकी उँगली में अंगूठी और पाँवों में जूतियाँ भी पहनाओ; 23 जा कर एक सबसे अच्छे बछड़े से भोजन तैयार करो. चलो, हम सब आनन्द मनाएँ 24 क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, अब जीवित हो गया है; यह खो गया था किन्तु अब मिल गया है.’ इसलिए वे सभी आनन्द से भर गए.

25 “उस समय बड़ा बेटा अपने खेतों में काम कर रहा था. जब वह लौट कर घर आ रहा था, पास आने पर उसे संगीत और नाचने की आवाज़ सुनाई दी. 26 उसने एक सेवक को बुला कर उससे पूछा, ‘यह सब क्या हो रहा है?’ 27 ‘आपका भाई लौट आया है,’ उस सेवक ने उत्तर दिया, ‘और आपके पिता ने सबसे अच्छा बछड़ा ले कर भोज तैयार करवाया है क्योंकि उनका पुत्र उन्हें सकुशल और सुरक्षित मिल गया है.’

28 “गुस्से में बड़े भाई ने घर के भीतर तक जाना न चाहा. इसलिए उसके पिता ने ही बाहर आ कर उससे विनती की. 29 उसने अपने पिता को उत्तर दिया, ‘देखिए, इन सभी वर्षों में मैं दास जैसे आपकी सेवा करता रहा हूँ और कभी भी आपकी आज्ञा नहीं टाली फिर भी आपने कभी मुझे एक मेमना तक न दिया कि मैं अपने मित्रों के साथ मिल कर आनन्द मना सकूँ. 30 किन्तु जब आपका यह पुत्र, जिसने आपकी सम्पत्ति वेश्याओं पर उड़ा दी, घर लौट आया, तो आपने उसके लिए सबसे अच्छे बछड़े का भोजन बनवाया है!’

31 “‘मेरे पुत्र!’ पिता ने कहा, ‘तुम तो सदा से ही मेरे साथ हो. वह सब, जो मेरा है, तुम्हारा ही है. 32 हमारे लिए आनन्द मनाना और हर्षित होना सही ही है क्योंकि तुम्हारा यह भाई, जो मर गया था, अब जीवित हो गया है; वह, जो खो गया था, अब मिल गया है.’”

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.