Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
35 “यह वही मोशेह हैं, जिन्हें इस्राएलियों ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था, ‘किसने तुम्हें हम पर राजा और न्याय करनेवाला ठहराया है?’ परमेश्वर ने उन्हीं को उस स्वर्गदूत द्वारा, जो झाड़ी में उन्हें दिखाई दिया था, राजा तथा छुड़ानेवाला ठहराकर भेज दिया. 36 यह वही मोशेह थे, जिन्होंने उनका नायक होकर उन्हें बाहर निकाला और मिस्र देश, लाल सागर तथा चालीस वर्ष जंगल में अद्भुत चिह्न दिखाते हुए उनका मार्गदर्शन किया.
37 “यही थे वह मोशेह, जिन्होंने इस्राएल की सन्तान के सामने यह घोषणा पहले से ही की थी, ‘तुम्हारे ही बन्धुओं में से परमेश्वर मेरे ही समान एक भविष्यद्वक्ता को उठाएंगे.’ 38 यह वही हैं, जो जंगल में इस्राएली समुदाय में उस स्वर्गदूत के साथ मौजूद थे, जिसने उनसे सीनय पर्वत पर बातें कीं और जो हमारे पूर्वजों के साथ थे तथा मोशेह ने तुम्हें सौंप देने के लिए जिनसे जीवित वचन प्राप्त किए.
39 “हमारे पूर्वज उनके आज्ञापालन के इच्छुक नहीं थे. वे मन ही मन मिस्र देश की कामना करने लगे. 40 वे हारोन से कहते रहे, ‘हमारे आगे-आगे जाने के लिए देवताओं को स्थापित करो. इस मोशेह की, जो हमें मिस्र साम्राज्य से बाहर लेकर आया है, कौन जाने क्या हुआ!’ 41 तब उन्होंने बछड़े की एक मूर्ति बनाई, उसे बलि चढ़ाई तथा अपने हाथों के कामों पर उत्सव मनाने लगे. 42 इससे परमेश्वर ने उनसे मुँह मोड़कर उन्हें नक्षत्रों की उपासना करने के लिए छोड़ दिया, जैसा भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेख में लिखा है:
“‘इस्राएलवंशियों क्या तुमने जंगल
में चालीस वर्ष मुझे ही बलि तथा, भेंटें नहीं चढ़ाईं?
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