Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
इस्राएल के इतिहास से शिक्षाएं और चेतावनी
10 प्रियजन, मैं नहीं चाहता कि तुम इस बात से अनजान रहो कि हमारे सारे पूर्वज बादल की छाया में यात्रा करते रहे, और सभी ने समुद्र पार किया. 2 उन सभी का मोशेह में, बादल में और समुद्र में बपतिस्मा हुआ. 3 सबने एक ही आत्मिक भोजन किया, 4 सबने एक ही आत्मिक जल पिया क्योंकि वे सब एक ही आत्मिक चट्टान में से पिया करते थे, जो उनके साथ-साथ चलती थी और वह चट्टान थे मसीह. 5 यह सब होने पर भी परमेश्वर उनमें से बहुतों से संतुष्ट न थे इसलिए जंगल में ही उनके प्राण ले लिए गए.
6 ये सभी घटनाएँ हमारे लिए चेतावनी थीं कि हम बुराई की लालसा न करें, जैसे हमारे पूर्वजों ने की थी. 7 न ही तुम मूर्तिपूजक बनो, जैसे उनमें से कुछ थे, जैसा पवित्रशास्त्र का लेख है: वे बैठे तो खाने-पीने के लिए और उठे तो नाचने के लिए. 8 हम वेश्यागामी में लीन न हों, जैसे उनमें से कुछ हो गए थे और परिणामस्वरूप एक ही दिन में तेईस हज़ार की मृत्यु हो गई. 9 न हम प्रभु को परखें, जैसे उनमें से कुछ ने किया और साँपों के ड़सने से उनका नाश हो गया. 10 न ही तुम कुड़कुड़ाओ, जैसा उनमें से कुछ ने किया और नाश करने वाले द्वारा नाश किए गए.
11 उनके साथ घटी हुई ये घटनाएँ चिन्ह थीं, जो हमारे लिए चेतावनी के रूप में लिखी गईं क्योंकि हम उस युग में हैं, जो अन्त के पास है. 12 इसलिए वह, जो यह समझता है कि वह स्थिर है, सावधान रहे कि कहीं गिर न पड़े. 13 कोई ऐसी परीक्षा तुम पर नहीं आई, जो सभी के लिए सामान्य न हो. परमेश्वर विश्वासयोग्य हैं. वह तुम्हें किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़ने देंगे, जो तुम्हारी क्षमता के परे हो परन्तु वह परीक्षा के साथ उपाय भी करेंगे कि तुम स्थिर रह सको.
पश्चाताप की विनती
13 उसी समय वहाँ उपस्थित कुछ लोगों ने मसीह येशु को उन गलीलवासियों की याद दिलायी, जिनका लहू पिलातॉस ने उन्हीं के बलिदानों में मिला दिया था. 2 मसीह येशु ने उनसे पूछा, “क्या तुम्हारे विचार से ये गलीली अन्य गलीलवासियों की तुलना में अधिक पापी थे कि उनकी यह स्थिति हुई? 3 नहीं! मैं तुमसे कहता हूँ कि यदि तुम मन न फिराओ तो तुम सब भी इसी प्रकार नाश हो जाओगे. 4 या वे अठारह व्यक्ति, जिन पर सीलोअम का खम्भा गिरा, जिससे उनकी मृत्यु हो गई, येरूशालेमवासियों की अपेक्षा अधिक दोषी थे? 5 नहीं! मैं तुमसे कहता हूँ कि यदि तुम मन न फिराओ तो तुम सब भी इसी प्रकार नाश हो जाओगे.”
6 तब मसीह येशु ने उन्हें इस दृष्टान्त के द्वारा समझाना प्रारम्भ किया, “एक व्यक्ति ने अपने बगीचे में एक अंजीर का पेड़ लगाया. वह फल की आशा में उसके पास आया. 7 उसने माली से कहा, ‘देखो, मैं तीन वर्ष से इस पेड़ में फल की आशा लिए आ रहा हूँ और मुझे अब तक कोई फल प्राप्त नहीं हुआ. काट डालो इसे! भला क्यों इसके कारण भूमि व्यर्थ ही घिरी रहे?’
8 “किन्तु माली ने स्वामी से कहा, ‘स्वामी, इसे इस वर्ष और रहने दीजिए. मैं इसके आस-पास की भूमि खोदकर इसमें खाद डाल देता हूँ. 9 यदि अगले वर्ष यह फल लाए तो अच्छा नहीं तो इसे कटवा दीजिएगा.’”
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