Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
6 यही अहसास हमें हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है कि जब तक हम अपनी शारीरिक देह के इस घर में हैं, हम प्रभु—अपने घर—से दूर हैं 7 क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, विश्वास से जीवित हैं. 8 हम पूरी तरह आश्वस्त हैं तथा हमारी इच्छा है कि हम शरीर से अलग हो प्रभु के साथ अपने घर में निवास करें. 9 हमारी बड़ी इच्छा भी यही है कि चाहे हम घर में हों या उससे दूर, हम प्रभु को भाते रहें 10 क्योंकि यह अवश्य है कि हम सब मसीह के न्यायासन के सामने उपस्थित हों कि हर एक को शारीरिक देह में किए गए उचित या अनुचित के अनुसार फल प्राप्त हो.
मेल-मिलाप-सेवकाई
11 हमें यह अहसास है कि परमेश्वर का भय क्या है, इसलिए हम सभी को समझाने का प्रयत्न करते हैं. परमेश्वर के सामने यह स्पष्ट है कि हम क्या हैं और मैं आशा करता हूँ कि तुम्हारे विवेक ने भी इसे पहचान लिया है. 12 यह तुम्हारे सामने अपनी बड़ाई नहीं परन्तु यह तुम्हारे लिए एक ऐसा सुअवसर है कि तुम हम पर गर्व करो कि तुम उन्हें इसका उत्तर दे सको, जो अपने मन की बजाय बाहरी रूप का घमण्ड़ करते हैं. 13 यदि हम बेसुध प्रतीत होते हैं, तो यह परमेश्वर के लिए है और यदि कोमल, तो तुम्हारे लिए. 14 अपने लिए मसीह के प्रेम का यह अहसास हमें परिपूर्ण कर देता है कि सबके लिए एक की मृत्यु हुई इसलिए सभी की मृत्यु हो गई; 15 और वह, जिनकी मृत्यु सभी के लिए हुई कि वे, जो जीवित हैं, मात्र अपने लिए नहीं परन्तु उनके लिए जिएँ, जिन्होंने प्राणों का त्याग कर दिया तथा मरे हुओं में से सभी के लिए जीवित किए गए.
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