Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
सान्ति क राजा आवत अहइ
11 एक ठू अंकुर क नाई जे उ पेड़ स उगत ह जउन कटा जात रहा, एक ठू अंकुर (पूत) यिसै क ठुँठ (परिवार) स उगब सुरू होइ। हाँ, इ अब डार यिसै क जड़ स उगी। 2 उ पूत मँ यहोवा क आतिमा होइ। उ आतिमा विवेक, समझबूझ, मार्ग दर्सन अउ सक्ति क आतिमा होइ। उ आतिमा 3 इ पूत क यहोवा क समुझइ अउर ओकर आदर करइ मँ मदद देइ। उ इ पूत यहोवा क आदर करी अउर एहसे उ खुस होइ।
इ पूत वस्तुअन जइसी देखॉइ देत रही होइ, ओकरे अनुसार लोगन क निआव नाहीं करी। उ सुनी, सुनाई क आधार पइ ही निआव नाहीं करी। 4-5 उ गरीब लोगन क निआव ईमानदारी अउर सच्चाई क साथ करी। धरती क दीन जनन बरे जउन कछू करइ क उ निर्णय लेइ, ओहमाँ उ पच्छपात रहित होइ। जदि उ निर्णय करत ह कि लोगन पइ मार पड़इ तउ उ आदेस देइ अउर ओन लोगन पइ मार पड़ी। जदि उ निर्णय करत ह कि ओन लोगन क मउत होइ चाही तउ उ आदेस देइ अउर ओन दुस्टन क मउत क घाट उतार दीन्ह जाइ। नेकी अउर सच्चाई इ पूत क सक्ति प्रदान करी। ओकरे बरे नेकी अउर सच्चाई एक अइसे कमर बंद क नाई होइहीं जेका उ आपन कमर क चारिहुँ कइँती लपेटत ह।
6 ओकरे सासन काल मँ मेमना अउर जंगली भेड़िया सांति स एक साथ रइहीं। चीता अउ बोकरी क बच्चा एक संग सान्ति स पड़ा रइहीं। बछवन, सेर अउर साँड़ आपुस मँ सान्ति क साथ रइहीं। एक ठु नान्ह सा गदेला ओकर अगुवाई करी। 7 गइयन अउर रीछिन सान्ति क संग संग आपन खइया क खइहीं। ओनकर बच्चन साथे-साथे बइठा करिहीं अउर आपुस मँ एक दूसर क नोस्कान नाहीं पहोंचइही। सेर गइयन क नाईं घास चरिहीं 8 अउर हिआँ तलक कि साँप भी लोगन क नोस्कान नाहीं पहोंचइहीं। काले नाग क बिल क लगे एक गदेला तलक खेल सकी। कउनो भी गदेला बिसैला नाग क बिले मँ हाथ डाइ सकी।
9 इ सबइ बातन देखाँवत हीं कि हुवाँ सब कहूँ सान्ति होइ। कउनो मनई कउनो दूसर क नोस्कान नाहीं पहोंचाइ। मोर पवित्तर पर्वत क लोग वस्तुअन क नस्ट नाहीं करइ चइहीं। काहेकि लोग यहोवा क फुरइ जान लेइहीं। उ सबइ ओकरे गियान स अइसे परिपूर्ण होइहीं जइसे सागर जल स परिपूर्ण होत ह।
20 यहोवा मूसा अउ हारून स कहेस, 21 “इ मनइयन स दूर हटा। मइँ अब ओनकर नास करइ चाहत हउँ।”
22 मुला मूसा अउ हारून भुइयाँ प निहुरेन अउ चिचियानेन, “परमेस्सर! तू जानत ह कि मनइयन क सोचत हीं। तू सब प्राणी क आतिमा क परमेस्सर। का एक मनई क पाप क कारण सारा किरोध मण्डली प होइ। एक मनई फुरइ पाप किहे अहइ।”
23 तब यहोवा मूसा स कहेस, 24 “मनइयन स कहा कि उ पचे कोरह, दातान अउ अबीराम क सिबिर स दूर हटि जाइँ।”
25 मूसा खड़ा भवा अउ दातान अउर अबीराम क लगे गवा। इस्राएल क सबहिं बुजुर्गन ओकरे पाछे चलेन। 26 मूसा धामिर्क सभा स कहेस, “इ बुरा लोगन तम्बू स दूरि हटि जा। ऍनकइ चीज क जिन छुआ। जदि तू पचे छूब्या तउ ऍनके पापन क कारण बिलाइ जाब्या।”
27 एह बरे मनइयन कोरह, दातान अउ अबीराम क तम्बू स दूर परानेन। दातान अउ अबीराम आपन तम्बू क बाहेर आपन मेहरारु, लरिकन अउ गदेलन क संग खड़ा रहेन।
28 तब मूसा कहेस, “मइँ तोहका परमान देब कि यहोवा मोका ओन चीजन क करइ क पठए बाटइ जउन मइँ तोहका केहउँ ह। मइँ देखाउब कि उ सबइ मोर बिचार नाहीं रहेन। 29 इ मनइयन हिआँ मरिहीं। मुला इ पचे साधारन रीति स मरत ह जउने तरह आदमी हमेसा मरत ह तउ इ परगट होइ कि यहोवा फुरे मोका नाहीं पठाएस। 30 मुला जदि यहोवा ऍनका दूसर रीति स मरइ देत ह तउ तू पचे जनब्या कि इ मनइयन सचमुच यहोवा क खिलाफ पाप किहे अहइँ। इहइ प्रमाण बाटइ: भुइयाँ फाटि जाइ अउ इ मनइयन क डकार जाइ। उ सबइ आपन कब्रन मँ जिअत जइहीं। अउर ऍनकइ हर चीज ऍनके संग जाइ।”
31 तब मूसा इ बातन क कहब खतम किहेस। मनइयन क गोड़े क तरे जमीन फाटि गइ। 32 इ अइसा रहा कि मान ल्या धरती आपन मुँह बाएस अउ ऍनका खाइ लिहस अउ ओनके सारा परिवार अउ कोरह क सबहिं मनइयन अउ ओनकइ सब चीजन धरती मँ चली गइन। 33 उ पचे जिअत भ कब्र मँ चला गएन। ओनकइ हर एक चीज ओनके संग गइ। तब धरती ओनके ऊपर बन्द होइ गइ। उ पचे मर बिलाइ गएन अउ उ सबइ सभा स लोप हो गएन।
34 इस्राएल क मनइयन नास कीन्ह जात मनइयन क रोउब चिचियाब सुनेन। एह बरे उ सबइ चारिहुँ कइँती दौड़ेन अउ कहइ लागेन, “धरती हम लोगन क लील जाइ।”
35 तब्बइ यहोवा स आगी आइ अउ 250 मनइयन क, जउन धूप भेंट करत रहेन, माटी मँ मिलाइ दिहस।
23 तउ उ पचे ओकरे साथ एक दिन ठहराएन। अउर फिन जहाँ उ ठहरा रहा, बड़ी गनती मँ ओइके उ लोग बटुर गएन। मूसा क व्यवस्था अउर नबी लोगन क किताबन स ईसू क बारे मँ ओनका समझावइ क जतन करत भए उ परमेस्सर क राज्य क बारे मँ आपन साच्छी दिहेस अउर समुझाएस। 24 उ जउन कछू कहे रहा, ओहसे कछू मिला तउ बात मान गएन मुला कछू बिसवास नाहीं किहेन। 25 फिन आपुस मँ एक दूसर स असहमत होत भएन उ पचे हुवाँ स जाइ लागेन। तब पौलुस एक बात अउर कहेस, “यसायाह नबी क जरिया पवित्तर आतिमा तोहरे पूर्वजन स केतॅना ठीक कहे रहा,
26 ‘जाइके इन लोगन स कहि द्या:
तू पचे सुनब्या,
पर न बुझब्या कबहुँ।
लखत ही लखत बस तू रहब्या हज
न बुझब्या कबहुँ भी!
27 काहेकि ऍनकइ हिरदय मूर्खपन स गवा भरि
कान ऍनकइ मुस्किल स सुनत हीं
अउर कइ लिहन मूँद आँखी आपन इ सबइ,
काहेकि अइसा न होइ जाइ कि
इ सबइ आँखीन स लखइँ, सुनइँ
अउर कान स आपन
अउर समुझइँ हिरदय मँ, लौटइँ
साइद अउर करइ पड़ब मोका चंगा ओनका।’ (A)
28 “यह बरे तोहका जान लेइ चाही कि परमेस्सर क इ उद्धार बिधर्मियन क लगे पठइ दीन्ह ग अहइ। उ पचे ऍका सुनिहीं।” 29 [a]
30 हुआँ किराये क आपन मकान मँ पौलुस पूरा दुइ बरिस तलक ठहरा। जउन कउनो भी ओसे मिलइ आवत, उ ओकर सुआगत करत। 31 उ परमेस्सर क राज्य क प्रचार करत रहत अउर पर्भू ईसू मसीह क बारे मँ उपदेस देत। उ इ कारज क पूरा बेडर होइके अउर बगेरे कउनो बाधा क मानत भवा करत रहा।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.