Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
16 तुमने मुझे नहीं परन्तु मैंने तुम्हे चुना है और तुम्हें नियुक्त किया है कि तुम फल दो—ऐसा फल, जो स्थायी हो—जिससे मेरे नाम में तुम पिता से जो कुछ माँगो, वह तुम्हें दे सकें. 17 मेरी आज्ञा यह है: एक दूसरे से प्रेम करो.
संसार की ओर से घृणा की चेतावनी
18 “यदि संसार तुमसे घृणा करता है तो याद रखो कि उसने तुमसे पहले मुझसे घृणा की है. 19 यदि तुम संसार के होते तो संसार तुमसे अपनों जैसा प्रेम करता. तुम संसार के नहीं हो—संसार में से मैंने तुम्हे चुन लिया है—संसार तुमसे इसीलिए घृणा करता है. 20 याद रखो कि मैंने तुमसे क्या कहा था: दास अपने स्वामी से बढ़कर नहीं होता. यदि उन्होंने मुझे सताया तो तुम्हें भी सताएंगे. यदि उन्होंने मेरी शिक्षा ग्रहण की तो तुम्हारी शिक्षा भी ग्रहण करेंगे. 21 वे यह सब तुम्हारे साथ मेरे कारण करेंगे क्योंकि वे मेरे भेजनेवाले को नहीं जानते. 22 यदि मैं न आता और यदि मैं उनसे ये सब न कहता तो वे दोषी न होते. परन्तु अब उनके पास अपने पाप को छिपाने के लिए कोई भी बहाना नहीं बचा है. 23 वह, जो मुझसे घृणा करता है, मेरे पिता से भी घृणा करता है. 24 यदि मैं उनके मध्य वे काम न करता, जो किसी अन्य व्यक्ति ने नहीं किए तो वे दोषी न होते, परन्तु अब उन्होंने मुझे देख लिया और उन्होंने मुझसे व मेरे पिता दोनों से घृणा की है 25 कि व्यवस्था का यह लेख पूरा हो: उन्होंने अकारण ही मुझसे घृणा की.
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