Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
परमेश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करना
10 इसलिए, प्रभु व उनके अपार सामर्थ्य में बलवन्त बनो. 11 परमेश्वर के सभी अस्त्र-शस्त्रों से स्वयं को सुसज्जित कर लो कि तुम शैतान के छल-बल के प्रतिरोध में खड़े रह सको. 12 हमारा मल्ल-युद्ध सिर्फ मनुष्यों से नहीं, परन्तु प्रधानों, अधिकारियों, अन्धकार की सांसारिक शक्तियों और आकाशमण्डल में दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है. 13 इसलिए स्थिर खड़े रहने के लिए सभी ज़रूरतों को पूरी कर परमेश्वर के सभी अस्त्र-शस्त्रों से स्वयं को सुसज्जित कर लो कि तुम उस बुरे दिन में सामना कर सको. 14 इसलिए अपनी कमर सच से कस कर, धार्मिकता का कवच धारण कर स्थिर खड़े रहो. 15 पाँवों में शान्ति के ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार की तत्परता के जूते धारण कर लो. 16 इनके अलावा विश्वास की ढाल भी, कि तुम दुष्ट के सभी जलते हुए बाणों को बुझा सको. 17 तब उद्धार का टोप तथा आत्मा की तलवार—परमेश्वर का वचन—धारण कर लो 18 तथा आत्मा में हर समय विनती और प्रार्थना की जाती रहे. जागते हुए लगातार बिना थके प्रयास करना तुम्हारा लक्ष्य हो. सभी पवित्र लोगों के लिए निरन्तर प्रार्थना किया करो.
19 मेरे लिए भी प्रार्थना करो कि मेरा मुख खुलने पर मुझे ईश्वरीय सुसमाचार के भेद की साहस के साथ बोलने की क्षमता प्रदान की जाए, 20 जिस ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं इन बेड़ियों में भी राजदूत हूँ कि मैं इनमें रहते हुए साहस के साथ बोल सकूँ—जैसा कि सही भी है.
56 जो मेरा शरीर खाता और मेरा लहू पीता है, वही है, जो मुझमें बना रहता है और मैं उसमें. 57 जैसे जीवन्त पिता परमेश्वर ने मुझे भेजा है और मैं पिता के कारण जीवित हूँ, वैसे ही वह भी, जो मुझे ग्रहण करता है, मेरे कारण जीवित रहेगा. 58 यह वह रोटी है, जो स्वर्ग से उतरी हुई है; वैसी नहीं, जो पूर्वजों ने खाई और फिर भी उनकी मृत्यु हो गई; परन्तु वह, जो यह रोटी खाता है, हमेशा जीवित रहेगा.” 59 मसीह येशु ने ये बातें कफ़रनहूम नगर के यहूदी सभागृह में शिक्षा देते हुए बताईं.
अनेक शिष्यों द्वारा मसीह येशु का त्याग
60 यह बातें सुन कर उनके अनेक शिष्यों ने कहा, “बहुत कठोर है यह शिक्षा. कौन इसे स्वीकार कर सकता है?”
61 अपने चेलों की बड़बड़ाहट का अहसास होने पर मसीह येशु ने कहा, “क्या यह तुम्हारे लिए ठोकर का कारण है? 62 तुम तब क्या करोगे जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊपर स्वर्ग में जाते देखोगे, जहाँ वह पहले था? 63 आत्मा ही हैं, जो शरीर को जीवन देती है. केवल शरीर का कुछ महत्व नहीं. जो शब्द मैंने तुमसे कहे हैं, वे आत्मा हैं और जीवन भी. 64 फिर भी तुम में कुछ हैं, जो मुझमें विश्वास नहीं करते.” मसीह येशु प्रारम्भ से जानते थे कि कौन हैं, जो उनमें विश्वास नहीं करेंगे और कौन है वह, जो उनके साथ धोखा करेगा. 65 तब मसीह येशु ने आगे कहा, “इसीलिए मैंने तुमसे यह कहा कि कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता जब तक पिता उसे मेरे पास न आने दें.”
66 इसके परिणामस्वरूप मसीह येशु के अनेक चेले पीछे हट गए और उनके पीछे चलना छोड़ दिया.
पेतरॉस द्वारा अपने विश्वासमत का प्रकाशन
67 यह देख मसीह येशु ने अपने बारह शिष्यों से अभिमुख हो उनसे पूछा, “कहीं तुम भी तो लौट जाना नहीं चाहते?”
68 शिमोन पेतरॉस ने उत्तर दिया, “प्रभु, हम किसके पास जाएँ? अनन्त काल के जीवन की बातें तो आप ही के पास हैं. 69 हमने विश्वास किया और जान लिया है कि आप ही परमेश्वर के पवित्र जन हैं.”
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