Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद का एक गीत।
1 हे मेरी आत्मा, तू यहोवा के गुण गा!
हे मेरी अंग—प्रत्यंग, उसके पवित्र नाम की प्रशंसा कर।
2 हे मेरी आत्मा, यहोवा को धन्य कह
और मत भूल की वह सचमुच कृपालु है!
3 उन सब पापों के लिये परमेश्वर हमको क्षमा करता है जिनको हम करते हैं।
हमारी सब व्याधि को वह ठीक करता है।
4 परमेश्वर हमारे प्राण को कब्र से बचाता है,
और वह हमे प्रेम और करुणा देता है।
5 परमेश्वर हमें भरपूर उत्तम वस्तुएँ देता है।
वह हमें फिर उकाब सा युवा करता है।
6 यहोवा खरा है।
परमेश्वर उन लोगों को न्याय देता है, जिन पर दूसरे लोगों ने अत्याचार किये।
7 परमेश्वर ने मूसा को व्यवस्था का विधान सिखाया।
परमेश्वर जो शक्तिशाली काम करता है, वह इस्राएलियों के लिये प्रकट किये।
8 यहोवा करुणापूर्ण और दयालु है।
परमेश्वर सहनशील और प्रेम से भरा है।
एक व्यक्ति विश्राम के दिन काम करता है
32 इस समय, इस्राएल के लोग अभी तक मरुभूमि में ही थे। ऐसा हुआ कि एक व्यक्ति को जलाने के लिए कुछ लकड़ी मिलीं। इसलिए वह व्यक्ति लकड़ियाँ इकट्ठी करता रहा। किन्तु वह सब्त (विश्राम) का दिन था। कुछ अन्य लोगों ने उसे यह करते देखा। 33 जिन लोगों ने उसे लकड़ी इकट्ठी करते देखा, वे उसे मूसा और हारून के पास लाए और सभी लोग चारों ओर इकट्ठे हो गए। 34 उन्होंने उस व्यक्ति को वहाँ रखा क्योंकि वे नहीं जानते थे कि उसे कैसे दण्ड दें।
35 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “इस व्यक्ति को मरना चाहिए। सभी लोग डेरे से बाहर इसे पत्थर से मारेंगे।” 36 इसलिए लोग उसे डेरे से बाहर ले गए और उसे पत्थरों से मार डाला। उन्होंने यह वैसे ही किया जैसा मूसा को यहोवा ने आदेश दिया था।
परमेश्वर नियमों को याद रखने में लोगों की सहायता करता है
37 यहोवा ने मूसा से कहा, 38 “इस्राएल के लोगों से बातें करो और उनसे यह कहोः मैं तुम लोगों को कुछ अपने आदेशों को याद रखने के लिए दूँगा। धागे के कई टुकड़ों को एक साथ बांधकर उन्हें अपने वस्त्रों के कोने पर बांधो। एक नीले रंग का धागा हर एक ऐसी गुच्छियों में डालो। तुम इन्हें अब से हमेशा के लिये पहनोगे। 39 तुम लोग इन गुच्छियों को देखते रहोगे और यहोवा ने जो आदेश तुम्हें दिये हैं, उन्हें याद रखोगे। तब तुम आदेशों का पालन करोगे। तुम लोग आदेशों को नहीं भूलोगे और आँखों तथा शरीर की आवश्यकताओं से प्रेरित होकर कोई पाप नहीं करोगे। 40 तुम हमारे सभी आदेशों के पालन की बात याद रखोगे। तब तुम यहोवा के विशेष लोग बनोगे। 41 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। वह मैं हूँ जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। मैंने यह किया अतः मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”
3 उसका ध्यान करो जिसने पापियों का ऐसा विरोध इसलिए सहन किया ताकि थक कर तुम्हारा मन हार न मान बैठे।
परमेश्वर, पिता के समान है
4 पाप के विरुद्ध अपने संघर्ष में तुम्हें इतना नहीं लड़ना पड़ा है कि अपना लहू ही बहाना पड़ा हो। 5 तुम उस साहसपूर्ण वचन को भूल गये हो। जो तुम्हेंपुत्र के नाते सम्बोधित है:
“हे मेरे पुत्र, प्रभु के अनुशासन का तिरस्कार मत कर,
उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान,
6 क्योंकि प्रभु उनको डाँटता है जिनसे वह प्रेम करता है।
वैसे ही जैसे पिता उस पुत्र को दण्ड देता, जो उसको अति प्रिय है।”(A)
7 कठिनाई को अनुशासन के रूप में सहन करो। परमेश्वर तुम्हारे साथ अपने पुत्र के समान व्यवहार करता है। ऐसा पुत्र कौन होगा जिसे अपने पिता के द्वारा ताड़ना न दी गई हो? 8 यदि तुम्हें वैसे ही ताड़ना नहीं दी गयी है जैसे सबको ताड़ना दी जाती है तो तुम अपने पिता से पैदा हुए पुत्र नहीं हो और सच्ची संतान नहीं हो। 9 और फिर यह भी कि इन सब को वे पिता भी जिन्होंने हमारे शरीर को जन्म दिया है, हमें ताड़ना देते हैं। और इसके लिए हम उन्हें मान देते हैं तो फिर हमें अपनी आत्माओं के पिता के अनुशासन के तो कितना अधिक अधीन रहते हुए जीना चाहिए। 10 हमारे पिताओं ने थोड़े से समय के लिए जैसा उन्होंने उत्तम समझा, हमें ताड़ना दी, किन्तु परमेश्वर हमें हमारी भलाई के लिये ताड़ना दी है, जिससे हम उसकी पवित्रता के सहभागी हो सकें। 11 जिस समय ताड़ना दी जा रही होती है, उस समय ताड़ना अच्छी नहीं लगती, बल्कि वह दुखद लगती है किन्तु कुछ भी हो, वे जो ताड़ना का अनुभव करते हैं, उनके लिए यह आगे चलकर नेकी और शांति का सुफल प्रदान करता है।
चेतावनी: परमेश्वर को नकारो मत
12 इसलिए अपनी दुर्बल बाहों और निर्बल घुटनों को सबल बनाओ। 13 अपने पैरों के लिए मार्ग बना ताकि जो लँगड़ा है, वह अपंग नहीं, वरन चंगा हो जाए।
14 सभी के साथ शांति के साथ रहने और पवित्र होने के लिए हर प्रकार से प्रयत्नशील रहो; बिना पवित्रता के कोई भी प्रभु का दर्शन नहीं कर पायेगा। 15 इस बात का ध्यान रखो कि परमेश्वर के अनुग्रह से कोई भी विमुख न हो जाए और तुम्हें कष्ट पहुँचाने तथा बहुत लोगों को विकृत करने के लिए कोई झगड़े की जड़ न फूट पड़े। 16 देखो कि कोई भी व्यभिचार न करे अथवा उस एसाव के समान परमेश्वर विहीन न हो जाये जिसे सबसे बड़ा पुत्र होने के नाते उत्तराधिकार पाने का अधिकार था किन्तु जिसने उसे बस एक निवाला भर खाना के लिए बेच दिया। 17 जैसा कि तुम जानते ही हो बाद में जब उसने इस वरदान को प्राप्त करना चाहा तो उसे अयोग्य ठहराया गया। यद्यपि उसने रो-रो कर वरदान पाना चाहा किन्तु वह अपने किये का पश्चाताप नहीं कर पाया।
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