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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 119:65-72

तेथ्

65 हे यहोवा, तूने अपने दास पर भलाईयाँ की है।
    तूने ठीक वैसा ही किया जैसा तूने करने का वचन दिया था।
66 हे यहोवा, मुझे ज्ञान दे कि मैं विवेकपूर्ण निर्णय लूँ,
    तेरे आदेशों पर मुझको भरोसा है।
67 संकट में पड़ने से पहले, मैंने बहुत से बुरे काम किये थे।
    किन्तु अब, सावधानी के साथ मैं तेरे आदेशों पर चलता हूँ।
68 हे परमेश्वर, तू खरा है, और तू खरे काम करता है,
    तू अपनी विधान की शिक्षा मुझको दे।
69 कुछ लोग जो सोचते हैं कि वे मुझ से उत्तम हैं, मेरे विषय में बुरी बातें बनाते हैं।
    किन्तु यहोवा मैं अपने पूर्ण मन के साथ तेरे आदेशों को निरन्तर पालता हूँ।
70 वे लोग महा मूर्ख हैं।
    किन्तु मैं तेरी शिक्षाओं को पढ़ने में रस लेता हूँ।
71 मेरे लिये संकट अच्छ बन गया था।
    मैंने तेरी शिक्षाओं को सीख लिया।
72 हे यहोवा, तेरी शिक्षाएँ मेरे लिए भली है।
    तेरी शिक्षाएँ हजार चाँदी के टुकड़ों और सोने के टुकड़ों से उत्तम हैं।

2 इतिहास 12:1-12

मिस्री राजा शीशक का यरूशलेम पर आक्रमण

12 रहूबियाम एक शक्तिशाली राजा हो गया। उसने अपने राज्य को भी शक्तिशाली बनाया। तब रहूबियाम और यहूदा के सभी लोगों ने यहोवा के नियम का पालन करने से इन्कार कर दिया।

रहूबियाम के राज्यकाल के पाँचवें वर्ष शीशक ने यरूशलेम पर आक्रमण किया। शीशक मिस्र का राजा था। यह इसलिये हुआ कि रहूबियाम और यहूदा के लोग यहोवा के प्रति निष्ठावान नहीं थे। शीशक के पास बारह हज़ार रथ, साठ हज़ार अश्वारोही, और एक सेना थी जिसे कोई गिन नहीं सकता था। शीशक की सेना में लूबी, सुक्किय्यी और कूशी सैनिक थे। शीशक ने यहूदा के शक्तिशाली नगरों को पराजित कर दिया। तब शीशक अपनी सेना को यरूशलेम लाया।

तब शमायाह नबी रहूबियाम और यहूदा के प्रमुखों के पास आया। यहूदा के वे प्रमुख यरूशलेम में इकट्ठे हुए थे क्योंकि वे सभी शीशक से भयभीत थे। शमायाह ने रहूबियाम और यहूदा के प्रमुखों से कहा, “यहोवा जो कहता है वह यह हैः ‘रहूबियाम, तुम और यहूदा के लोगों ने मुझे छोड़ दिया है और मेरे नियम का पालन करने से इन्कार कर दिया है। इसलिये मैं तुमको अपनी सहायता के बिना शीशक का सामना करने को छोड़ूँगा।’”

तब यहूदा के प्रमुखों और राजा रहूबियाम ने ग्लानि का अनुभव करते हुये अपने को विनम्र किया और कहा कि, “यहोवा न्यायी है।”

यहोवा ने देखा कि राजा और यहूदा के प्रमुखों ने अपने आप को विनम्र बनाया है। तब यहोवा का सन्देश शमायाह के पास आया। यहोवा ने शमायाह से कहा, “राजा और लोगों ने अपने को विनम्र किया है, इसलिये मैं उन्हें नष्ट नहीं करूँगा अपितु मैं उन्हें शीघ्र ही बचाऊँगा। मैं शीशक का उपयोग यरूशलेम पर अपना क्रोध उतारने के लिये नहीं करूँगा। किन्तु यरूशलेम के लोग शीशक के सेवक हो जाएंगे। यह इसलिये होगा कि वे सीख सकें कि मेरी सेवा करना दूसरे राष्ट्रों के राजाओं की सेवा करने से भिन्न है।”

शीशक ने यरूशलेम पर आक्रमण किया और यहोवा के मन्दिर में जो खजाना था, ले गया। शीशक मिस्र का राजा था और उसने उस खजाने को भी ले लिया जो राजा के महल में था। शीशक ने हर एक चीज ली और उनके खजानों को ले गया। उसने सोने की ढालों को भी लिया जिन्हें सुलैमान ने बनाया था। 10 राजा रहूबियाम ने सोने की ढालों के स्थान पर काँसे की ढालें बनाईं। रहूबियाम ने उन सेनापतियों को जो राजमहल के द्वारों की रक्षा के उत्तरदायी थे, काँसे की ढालें दीं। 11 जब राजा यहोवा के मन्दिर में जाता था तो रक्षक काँसे की ढालें बाहर निकालते थे। उसके बाद वे काँसे की ढालों को रक्षक—गृह में वापस रखते थे।

12 जब रहूबियाम ने अपने को विनम्र कर लिया तो यहोवा ने अपने क्रोध को उससे दूर कर लिया। इसलिये यहोवा ने रहूबियाम को पूरी तरह नष्ट नहीं किया। यहूदा में कुछ अच्छाई बची थी।

इब्रानियों 13:7-21

अपने मार्ग दर्शकों को याद रखो जिन्होंने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है। उनकी जीवन-विधि के परिणाम पर विचार करो तथा उनके विश्वास का अनुसरण करो। यीशु मसीह कल भी वैसा ही था, आज भी वैसा ही है और युग-युगान्तर तक वैसा ही रहेगा। हर प्रकार की विचित्र शिक्षाओं से भरमाये मत जाओ। तुम्हारे मनों के लिए यह अच्छा है कि वे अनुग्रह के द्वारा सुदृढ़ बने न कि खाने पीने सम्बन्धी नियमों को मानने से, जिनसे उनका कभी कोई भला नहीं हुआ, जिन्होंने उन्हें माना।

10 हमारे पास एक ऐसी वेदी है जिस पर से खाने का अधिकार उनको नहीं है जो तम्बू में सेवा करते है। 11 महायाजक परम पवित्र स्थान पर पापबलि के रूप में पशुओं का लहू तो ले जाता है, किन्तु उनके शरीर डेरों के बाहर जला दिए जाते हैं। 12 इसीलिए यीशु ने भी स्वयं अपने लहू से लोगों को पवित्र करने के लिए नगर द्वार के बाहर यातना झेली। 13 तो फिर आओ हम भी इसी अपमान को झेलते हुए जिसे उसने झेला था, डेरों के बाहर उसके पास चलें। 14 क्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थायी नगर नहीं है बल्कि हम तो उस नगर की बाट जोह रहे हैं जो आनेवाला है। 15 अतः आओ हम यीशु के द्वारा परमेश्वर को स्तुति रूपी बलि अर्पित करें जो उन होठों का फल है जिन्होंने उसके नाम को पहचाना है। 16 तथा नेकी करना और अपनी वस्तुओं को औरों के साथ बाँटना मत भूलो। क्योंकि परमेश्वर ऐसी ही बलियों से प्रसन्न होता है।

17 अपने मार्ग दर्शकों की आज्ञा मानो। उनके अधीन रहो। वे तुम पर ऐसे चौकसी रखते हैं जैसे उन व्यक्तियों पर रखी जाती है जिनको अपना लेखा जोखा उन्हें देना है। उनकी आज्ञा मानो जिससे उनका कर्म आनन्द बन जाए। न कि एक बोझ बने। क्योंकि उससे तो तुम्हारा कोई लाभ नहीं होगा।

18 हमारे लिए विनती करते रहो। हमें निश्चय है कि हमारी चेतना शुद्ध है। और हम हर प्रकार से वही करना चाहते हैं जो उचित है। 19 मैं विशेष रूप से आग्रह करता हूँ कि तुम प्रार्थना किया करो ताकि शीघ्र ही मैं तुम्हारे पास आ सकूँ।

20 जिसने भेड़ों के उस महान रखवाले हमारे प्रभु यीशु के लहू द्वारा उस सनातन करार पर मुहर लगाकर मरे हुओं में से जिला उठाया, वह शांतिदाता परमेश्वर 21 तुम्हें सभी उत्तम साधनों से सम्पन्न करे। जिससे तुम उसकी इच्छा पूरी कर सको। और यीशु मसीह के द्वारा वह हमारे भीतर उस सब कुछ को सक्रिय करे जो उसे भाता है। युग-युगान्तर तक उसकी महिमा होती रहे। आमीन!

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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