Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 49:1-12

कोरह की संतानो का संगीत निर्देशक के लिए एक पद।

विभिन्न देशों के निवासियों, यह सुनो।
    धरती के वासियों यह सुनो।
    सुनो अरे दीन जनो, अरे धनिकों सुनो।
मैं तुम्हें ज्ञान
    और विवेक की बातें बताता हूँ।
मैंने कथाएँ सुनी हैं,
    मैं अब वे कथाएँ तुमको निज वीणा पर सुनाऊँगा।

ऐसा कोई कारण नहीं जो मैं किसी भी विनाश से डर जाऊँ।
    यदि लोग मुझे घेरे और फँदा फैलाये, मुझे डरने का कोई कारण नहीं।
वे लोग मूर्ख हैं जिन्हें अपने निज बल
    और अपने धन पर भरोसा है।
तुझे कोई मनुष्य मित्र नहीं बचा सकता।
    जो घटा है उसे तू परमेश्वर को देकर बदलवा नहीं सकता।
किसी मनुष्य के पास इतना धन नहीं होगा कि
    जिससे वह स्वयं अपना निज जीवन मोल ले सके।
किसी मनुष्य के पास इतना धन नहीं हो सकता
    कि वह अपना शरीर कब्र में सड़ने से बचा सके।
10 देखो, बुद्धिमान जन, बुद्धिहीन जन और जड़मति जन एक जैसे मर जाते हैं,
    और उनका सारा धन दूसरों के हाथ में चला जाता है।
11 कब्र सदा सर्वदा के लिए हर किसी का घर बनेगा,
    इसका कोई अर्थ नहीं कि वे कितनी धरती के स्वामी रहे थे।
12 धनी पुरूष मूर्ख जनों से भिन्न नहीं होते।
    सभी लोग पशुओं कि तरह मर जाते हैं।

सभोपदेशक 1:1-11

ये उपदेशक के शब्द हैं। उपदेशक दाऊद का पुत्र था और यरूशलेम का राजा था।

उपदेशक का कहना है कि हर वस्तु अर्थहीन है और अकारथ है![a] मतलब यह कि हर बात व्यर्थ है! इस जीवन में लोग जो कड़ी मेहनत करते हैं, उससे उन्हें सचमुच क्या कोई लाभ होता है? नहीं!

वस्तुएँ अपरिवर्तनशील हैं

एक पीढ़ी आती है और दूसरी चली जाती है किन्तु संसार सदा यूँ ही बना रहता है। सूरज उगता है और फिर ढल जाता है और फिर सूरज शीघ्र ही उसी स्थान से उदय होने की शीघ्रता करता है।

वायु दक्षिण दिशा की ओर बहती है और वायु उत्तर की ओर बहने लगती है। वायु एक चक्र में घूमती रहती है और फिर वायु जहाँ से चली थी वापस वहीं बहने लगती है।

सभी नदियाँ एक ही स्थान की ओर बार—बार बहा करती है। वे सभी समुद्र से आ मिलती हैं, किन्तु फिर भी समुद्र कभी नहीं भरता।

शब्द वस्तुओं का पूरा—पूरा वर्णन नहीं कर सकते। लेकिन लोग अपने विचार को व्यक्त नहीं कर पाते, सदा बोलते ही रहते हैं। शब्द हमारे कानों में बार—बार पड़ते हैं किन्तु उनसे हमारे कान कभी भी भरते नहीं हैं। हमारी आँखें भी, जो कुछ वे देखती हैं, उससे कभी अघाती नहीं हैं।

कुछ भी नया नहीं है

प्रारम्भ से ही वस्तुएँ जैसी थी वैसी ही बनी हुई हैं। सब कुछ वैसे ही होता रहेगा, जैसे सदा से होता आ रहा है। इस जीवन में कुछ भी नया नहीं है।

10 कोई व्यक्ति कह सकता है, “देखो, यह बात नई है!” किन्तु वह बात तो सदा से हो रही थी। वह तो हमसे भी पहले से हो रही थी!

11 वे बातें जो बहुत पहले घट चुकी हैं, उन्हें लोग याद नहीं करते और आगे भी लोग उन बातों को याद नहीं करेंगे जो अब घट रही हैं और उसके बाद भी अन्य लोग उन बातों को याद नहीं रखेंगे जिन्हें उनके पहले के लोगों ने किया था।

मरकुस 10:17-22

यीशु से एक धनी व्यक्ति का प्रश्न

(मत्ती 19:16-30; लूका 18:18-30)

17 यीशु जैसे ही अपनी यात्रा पर निकला, एक व्यक्ति उसकी ओर दौड़ा और उसके सामने झुक कर उसने पूछा, “उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकार पाने के लिये मुझे क्या करना चाहिये?”

18 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? केवल परमेश्वर के सिवा और कोई उत्तम नहीं है। 19 तू व्यवस्था की आज्ञाओं को जानता है: ‘हत्या मत कर, व्यभिचार मत कर, चोरी मत कर, झूठी गवाही मत दे, छल मत कर, अपने माता-पिता का आदर कर …’(A)

20 उस व्यक्ति ने यीशु से कहा, “गुरु, मैं अपने लड़कपन से ही इन सब बातों पर चलता रहा हुँ।”

21 यीशु ने उस पर दृष्टि डाली और उसके प्रति प्रेम का अनुभव किया। फिर उससे कहा, “तुझमें एक कमी है। जा, जो कुछ तेरे पास है, उसे बेच कर गरीबों में बाँट दे। स्वर्ग में तुझे धन का भंडार मिलेगा। फिर आ, और मेरे पीछे हो ले।”

22 यीशु के ऐसा कहने पर वह व्यक्ति बहुत निराश हुआ और दुखी होकर चला गया क्योंकि वह बहुत धनवान था।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International