Revised Common Lectionary (Complementary)
अलामोथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये कोरह परिवार का एक पद।
1 परमेश्वर हमारे पराक्रम का भण्डार है।
संकट के समय हम उससे शरण पा सकते हैं।
2 इसलिए जब धरती काँपती है
और जब पर्वत समुद्र में गिरने लगता है, हमको भय नही लगता।
3 हम नहीं डरते जब सागर उफनते और काले हो जाते हैं,
और धरती और पर्वत काँपने लगते हैं।
4 वहाँ एक नदी है, जो परम परमेश्वर के नगरी को
अपनी धाराओं से प्रसन्नता से भर देती है।
5 उस नगर में परमेश्वर है, इसी से उसका कभी पतन नही होगा।
परमेश्वर उसकी सहायता भोर से पहले ही करेगा।
6 यहोवा के गरजते ही, राष्ट्र भय से काँप उठेंगे।
उनकी राजधानियों का पतन हो जाता है और धरती चरमरा उठती हैं।
7 सर्वशक्तिमान यहोवा हमारे साथ है।
याकूब का परमेश्वर हमारा शरणस्थल है।
8 आओ उन शक्तिपूर्ण कर्मो को देखो जिन्हें यहोवा करता है।
वे काम ही धरती पर यहोवा को प्रसिद्ध करते हैं।
9 यहोवा धरती पर कहीं भी हो रहे युद्धों को रोक सकता है।
वे सैनिक के धनुषों को तोड़ सकता है। और उनके भालों को चकनाचूर कर सकता है। रथों को वह जलाकर भस्म कर सकता है।
10 परमेश्वर कहता है, “शांत बनो और जानो कि मैं ही परमेश्वर हूँ!
राष्ट्रों के बीच मेरी प्रशंसा होगी।
धरती पर मेरी महिमा फैल जायेगी!”
11 यहोवा सर्वशाक्तिमान हमारे साथ है।
याकूब का परमेश्वर हमारा शरणस्थल है।
25 इस प्रकार भाईयों ने मिस्र को छोड़ा और कनान देश में अपने पिता के पास गए। 26 भाईयों ने उससे कहा, “पिताजी यूसुफ अभी जीवित है और वह पूरे मिस्र देश का प्रशासक है।”
उनका पिता चकित हुआ। उसने उन पर विश्वास नहीं किया। 27 किन्तु यूसुफ ने जो बातें कही थीं, भाईयों ने हर एक बात अपने पिता से कही। तब याकूब ने उन गाड़ियों को देखा जिन्हें यूसुफ ने उसे मिस्र की वापसी यात्रा के लिए भेजा था। तब याकूब भाबुक हो गया और अत्यन्त प्रसन्न हुआ। 28 इस्राएल ने कहा, “अब मुझे विश्वास है कि मेरा पुत्र यूसुफ अभी जीवित है। मैं मरने से पहले उसे देखने जा रहा हूँ।”
परमेश्वर इस्राएल को विश्वास दिलाता है
46 इसलिए इस्राएल ने मिस्र की अपनी यात्रा प्रारम्भ की। पहले इस्राएल बेर्शेबा पहुँचा। वहाँ इस्राएल ने अपने पिता इसहाक के परमेश्वर की उपासना की। उसने बलि दी। 2 रात में परमेश्वर इस्राएल से सपने में बोला। परमेश्वर ने कहा, “याकूब, याकूब।”
और इस्राएल ने उत्तर दिया, “मैं यहाँ हूँ।”
3 तब यहोवा ने कहा, “मैं यहोवा हूँ तुम्हारे पिता का परमेश्वर। मिस्र जाने से न डरो। मिस्र में मैं तुम्हें महान राष्ट्र बनाऊँगा। 4 मैं तुम्हारे साथ मिस्र चलूँगा और मैं तुम्हें फिर मिस्र से बाहर निकाल लाऊँगा। तुम मिस्र में मरोगे। किन्तु यूसुफ तुम्हारे साथ रहेगा। जब तुम मरोगे तो वह स्वयं अपने हाथों से तुम्हारी आँखें बन्द करेगा।”
इस्राएल मिस्र को जाता है
5 तब याकूब ने बेर्शेबा छोड़ा और मिस्र तक यात्रा की। उसके पुत्र, अर्थात् इस्राएल के पुत्र अपने पिता, अपनी पत्नियों और अपने सभी बच्चों को मिस्र ले आए। उन्होंने फ़िरौन द्वारा भेजी गयी गाड़ियों में यात्रा की। 6 उनके पास उनके पशु और कनान देश में उनका अपना जो कुछ था, वह भी साथ था। इस प्रकार इस्राएल अपने सभी बच्चे और अपने परिवार के साथ मिस्र गया। 7 उसके साथ उसके पुत्र और पुत्रियाँ एवं पौत्र और पौत्रियाँ थीं। उसका सारा परिवार उसके साथ मिस्र को गया।
33 जब उन्होंने यह सुना तो वे आग बबूला हो उठे और उन्हें मार डालना चाहा। 34 किन्तु महासभा में से एक गमलिएल नामक फ़रीसी, जो धर्मशास्त्र का शिक्षक भी था, तथा जिसका सब लोग आदर करते थे, खड़ा हुआ और आज्ञा दी कि इन्हें थोड़ी देर के लिये बाहर कर दिया जाये। 35 फिर वह उनसे बोला, “इस्राएल के पुरूषो, तुम इन लोगों के साथ जो कुछ करने पर उतारू हो, उसे सोच समझ कर करना। 36 कुछ समय पहले अपने आपको बड़ा घोषित करते हुए थियूदास प्रकट हुआ था। और कोई चार सौ लोग उसके पीछे भी हो लिये थे, पर वह मार डाला गया और उसके सभी अनुयायी तितर-बितर हो गये। परिणाम कुछ नहीं निकला। 37 उसके बाद जनगणना के समय गलील का रहने वाला यहूदा प्रकट हुआ। उसने भी कुछ लोगों को अपने पीछे आकर्षित कर लिया था। वह भी मारा गया। उसके भी सभी अनुयायी इधर उधर बिखर गये। 38 इसीलिए इस वर्तमान विषय में मैं तुमसे कहता हूँ, इन लोगों से अलग रहो, इन्हें ऐसे अकेले छोड़ दो क्योंकि इनकी यह योजना या यह काम मनुष्य की ओर से है तो स्वयं समाप्त हो जायेगा। 39 किन्तु यदि यह परमेश्वर की ओर से है तो तुम उन्हें रोक नहीं पाओगे। और तब हो सकता है तुम अपने आपको ही परमेश्वर के विरोध में लड़ते पाओ!”
उन्होंने उसकी सलाह मान ली। 40 और प्रेरितों को भीतर बुला कर उन्होंने कोड़े लगवाये और यह आज्ञा देकर कि वे यीशु के नाम की कोई चर्चा न करें, उन्हें चले जाने दिया। 41 सो वे प्रेरित इस बात का आनन्द मनाते हुए कि उन्हें उसके नाम के लिये अपमान सहने योग्य गिना गया है, यहूदी महासभा से चले गये। 42 फिर मन्दिर और घर-घर में हर दिन इस सुसमाचार का कि यीशु मसीह है उपदेश देना और प्रचार करना उन्होंने कभी नहीं छोड़ा।
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