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Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
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Saral Hindi Bible (SHB)
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योहन 10:24-42

24 यहूदियों ने उन्हें घेर लिया और जानना चाहा, “तुम हमें कब तक दुविधा में डाले रहोगे? यदि तुम ही मसीह हो तो हमें स्पष्ट बता दो.” 25 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “मैंने तो आपको बता दिया है किन्तु आप ही विश्वास नहीं करते. सभी काम, जो मैं अपने पिता के नाम में करता हूँ, वे ही मेरे गवाह हैं. 26 आप विश्वास नहीं करते क्योंकि आप मेरी भेड़ें नहीं हैं. 27 मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं. मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं. 28 मैं उन्हें अनन्त काल का जीवन देता हूँ. वे कभी नाश न होंगी और कोई भी उन्हें मेरे हाथ से छीन नहीं सकता. 29 मेरे पिता, जिन्होंने उन्हें मुझे सौंपा है, सबसे बड़ा हैं और कोई भी इन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता. 30 मैं और पिता एक तत्व हैं.”

31 तब यहूदियों ने दोबारा उनका पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए. 32 मसीह येशु ने उनसे प्रश्न किया, “मैंने अपने पिता की ओर से तुम्हारे सामने अनेक भले काम किए. उनमें से किस काम के लिए तुम मेरा पथराव करना चाहते हो?”

33 यहूदियों ने उत्तर दिया, “भले काम के कारण नहीं, परन्तु परमेश्वर-निन्दा के कारण: तुम मनुष्य होते हुए स्वयं को परमेश्वर घोषित करते हो!” 34 मसीह येशु ने उनसे पूछा, “क्या तुम्हारे व्यवस्था में यह नहीं लिखा: मैंने कहा कि तुम ईश्वर हो? 35 जिन्हें परमेश्वर का सन्देश दिया गया था, उन्हें ईश्वर कह कर सम्बोधित किया गया—और पवित्रशास्त्र का लेख टल नहीं सकता, 36 तो जिसे परमेश्वर ने विशेष उद्धेश्य पूरा करने के लिए अलग कर संसार में भेज दिया है, उसके विषय में आप यह घोषणा कर रहे हैं: ‘तुम परमेश्वर-निन्दा कर रहे हो!’ क्या मात्र इसलिए कि मैंने यह दावा किया है, ‘मैं परमेश्वर-पुत्र हूँ’? 37 मत करो मुझमें विश्वास यदि मैं अपने पिता के काम नहीं कर रहा. 38 परन्तु यदि मैं ये काम कर ही रहा हूँ, तो भले ही तुम मुझमें विश्वास न करो, इन कामों में तो विश्वास करो कि तुम जान जाओ और समझ लो कि पिता परमेश्वर मुझ में हैं और मैं पिता परमेश्वर में.” 39 इस पर उन्होंने दोबारा मसीह येशु को बन्दी बनाने का प्रयास किया किन्तु वह उनके हाथ से बच कर निकल गए.

यरदन पार मसीह येशु की सेवा

40 इसके बाद मसीह येशु यरदन नदी के पार दोबारा उस स्थान को चले गए, जहाँ पहले योहन बपतिस्मा देते थे और वह वहीं ठहरे रहे. 41 वहाँ अनेक लोग उनके पास आने लगे. वे कह रहे थे, “यद्यपि योहन ने कोई अद्भुत चिह्न नहीं दिखाया, फिर भी जो कुछ उन्होंने इनके विषय में कहा था, वह सब सच है.” 42 वहाँ अनेक लोगों ने मसीह येशु में विश्वास किया.

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