Old/New Testament
मसीह येशु का येरूशालेम में अपने ही भाइयों द्वारा उपहास
7 इन बातों के बाद मसीह येशु गलील प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में यात्रा करने लगे. वह यहूदिया प्रदेश में जाना नहीं चाहते थे क्योंकि यहूदी उनकी हत्या की ताक में थे. 2 यहूदियों का एक पर्व—झोपड़ियों का उत्सव—पास था. 3 मसीह येशु के भाइयों ने उनसे कहा, “यहूदिया चले जाओ जिससे तुम्हारे चेले तुम्हारे इन कामों को देख सकें; 4 ख्याति चाहनेवाला व्यक्ति अपने काम गुप्त में नहीं करता. जब तुम ये काम करते ही हो तो स्वयं को संसार पर प्रकट कर दो.” 5 मसीह येशु के भाइयों तक को उन में विश्वास नहीं था.
6 इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “तुम्हारा सही समय तो कभी भी आ सकता है किन्तु मेरा सही समय अभी नहीं आया. 7 संसार तुमसे घृणा नहीं कर सकता—वह मुझसे घृणा करता है क्योंकि मैं यह प्रकट करता हूँ कि उसके काम बुरे हैं. 8 तुम पर्व में जाओ. मैं अभी नहीं जाऊँगा क्योंकि मेरा समय अभी नहीं आया है.” 9 यह कह कर मसीह येशु गलील प्रदेश में ही ठहरे रहे.
मन्दिर में मसीह येशु का निर्भीक प्रचार
10 अपने भाइयों के झोपड़ियों के उत्सव में चले जाने के बाद वह भी गुप्त रूप से वहाँ गए. 11 उत्सव में कुछ यहूदी मसीह येशु को खोजते हुए पूछताछ कर रहे थे, “कहाँ है वह?” 12 यद्यपि मसीह येशु के विषय में लोगों में बड़ा विवाद हो रहा था—कुछ कह रहे थे, “वह भला व्यक्ति है”.
और कुछ का कहना था, “नहीं, वह भरमानेवाला है—सब के साथ छल करता है” 13 —तौभी कोई भी व्यक्ति यहूदियों के भय के कारण मसीह येशु के विषय में खुल कर बात नहीं करता था.
उत्सव के समय मसीह येशु के प्रवचन
14 जब उत्सव के मध्य मसीह येशु मन्दिर में जा कर शिक्षा देने लगे, 15 यहूदी चकित हो कर कहने लगे, “यह व्यक्ति बिना पढ़े ज्ञानी कैसे बन गया?” 16 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “यह शिक्षा मेरी नहीं परन्तु उनकी है, जिन्होंने मुझे भेजा है. 17 यदि कोई व्यक्ति उनकी इच्छा पूरी करने के लिए प्रण करे तो उसे यह मालूम हो जाएगा कि यह शिक्षा परमेश्वर की ओर से है या मेरी ओर से. 18 वह, जो अपने ही विचार प्रस्तुत करता है, अपना ही आदर चाहता है, परन्तु वह, जो अपने भेजनेवाले का आदर चाहता है, वह बिल्कुल सच्चा है और उसमें कोई छल नहीं. 19 क्या मोशेह ने तुम्हें व्यवस्था नहीं दिया? फिर भी तुम में से कोई उसका पालन नहीं करता. मेरी हत्या की ताक में क्यों हो तुम?”
20 भीड़ ने उत्तर दिया, “कौन तुम्हारी हत्या करना चाहता है? तुम प्रेतात्मा से पीड़ित हो.”
21 मसीह येशु ने कहा, “मैंने शब्बाथ पर एक चमत्कार किया और तुम सब क्रोधित हो गए. 22 मोशेह ने तुम्हें ख़तना विधि दी—परन्तु इसको आरम्भ करने वाले मोशेह नहीं, हमारे कुलपिता हैं—जिसके अनुसार तुम शब्बाथ पर भी ख़तना करते हो. 23 तुम शब्बाथ पर भी ख़तना करते हो कि मोशेह का व्यवस्था भंग न हो, तो तुम लोग इससे गुस्से में क्यों हो कि मैंने शब्बाथ पर किसी को पूरी तरह स्वस्थ किया? 24 तुम्हारा न्याय बाहरी रूप पर नहीं परन्तु सच्चाई पर आधारित हो.”
लोगों द्वारा मसीह के आने पर विचार-विमर्श
25 येरूशालेमवासियों में से कुछ ने यह प्रश्न किया, “क्या यह वही नहीं, वे जिसकी हत्या की ताक में हैं? 26 परन्तु देखो, वह भीड़ से खुल कर, बिना डर के बातें करता है और अधिकारी कुछ भी नहीं कहते! कहीं ऐसा तो नहीं कि अधिकारियों को मालूम हो गया है कि यही वास्तव में मसीह हैं? 27 इस व्यक्ति की पृष्ठभूमि हमें मालूम है, किन्तु जब मसीह प्रकट होंगे तो किसी को यह मालूम नहीं होगा कि वह कहाँ के हैं.”
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