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Saral Hindi Bible (SHB)
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योहन 1:1-28

परमेश्वर-शब्द का शरीर धारण करना

आदि में शब्द था, शब्द परमेश्वर के साथ था और शब्द परमेश्वर था. यही शब्द आदि में परमेश्वर के साथ था.

सारी सृष्टि उनके द्वारा उत्पन्न हुई. सारी सृष्टि में कुछ भी उनके बिना उत्पन्न नहीं हुआ. जीवन उन्हीं में था और वह जीवन मानवजाति की ज्योति था. वह ज्योति अन्धकार में चमकती रही. अन्धकार उस पर प्रबल न हो सका.

बपतिस्मा देने वाले योहन की गवाही.

परमेश्वर ने योहन नामक एक व्यक्ति को भेजा कि वह ज्योति को देखें और उसके गवाह बनें कि लोग उनके माध्यम से ज्योति में विश्वास करें. वह स्वयं ज्योति नहीं थे किन्तु ज्योति की गवाही देने आए थे. वह सच्ची ज्योति, जो हर एक व्यक्ति को प्रकाशित करती है, संसार में आने पर थी.

10 वह संसार में थे और संसार उन्हीं के द्वारा बनाया गया फिर भी संसार ने उन्हें न जाना. 11 वह अपनी सृष्टि में आए किन्तु उनके अपनों ने ही उन्हें ग्रहण नहीं किया 12 परन्तु जितनों ने उन्हें ग्रहण किया अर्थात् उनके नाम में विश्वास किया, उन सबको उन्होंने परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया.

13 जो न तो लहू से, न शारीरिक इच्छा से और न मानवीय इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं.

14 शब्द ने शरीर धारण कर हमारे मध्य तम्बू के समान वास किया और हमने उनकी महिमा को अपना लिया—ऐसी महिमा को, जो पिता के कारण एकलौते पुत्र की होती है—अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण.

15 उन्हें देख कर योहन ने घोषणा की, “यह वही हैं जिनके विषय में मैंने कहा था, ‘वह, जो मेरे बाद आ रहे हैं, वास्तव में मुझसे श्रेष्ठ हैं क्योंकि वह मुझसे पहले थे.’” 16 उनकी परिपूर्णता के कारण हम सबने अनुग्रह पर अनुग्रह प्राप्त किया. 17 व्यवस्था मोशेह के द्वारा दी गयी थी, किन्तु अनुग्रह और सच्चाई मसीह येशु द्वारा आए. 18 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा, केवल परमेश्वर-पुत्र के अलावा; जो पिता से हैं; उन्हीं ने हमें परमेश्वर से अवगत कराया.

पहला फ़सह पर्व—बपतिस्मा देने वाले योहन का जीवन-लक्ष्य

19 जब यहूदियों ने येरूशालेम से पुरोहितों और लेवियों को योहन से यह पूछने भेजा, “तुम कौन हो?” तो योहन की गवाही थी: 20 “मैं मसीह नहीं हूँ.”

21 तब उन्होंने योहन से दोबारा पूछा.

“तो क्या तुम एलियाह हो?”

योहन ने उत्तर दिया, “नहीं.”

तब उन्होंने पूछा, “क्या तुम वह भविष्यद्वक्ता हो?” योहन ने उत्तर दिया, “नहीं.”

22 इस पर उन्होंने पूछा, “तो हमें बताओ कि तुम कौन हो, तुम अपने विषय में क्या कहते हो कि हम अपने भेजने वालों को उत्तर दे सकें?” 23 इस पर योहन का उत्तर था, “भविष्यद्वक्ता यशायाह के लेख के अनुसार: मैं जंगल में वह शब्द हूँ, जो पुकार-पुकार कर कह रहा है, ‘प्रभु के लिए मार्ग बराबर करो’.”

24 ये लोग फ़रीसियों की ओर से भेजे गए थे. 25 इसके बाद उन्होंने योहन से प्रश्न किया, “जब तुम न तो मसीह हो, न भविष्यद्वक्ता एलियाह और न वह भविष्यद्वक्ता, तो तुम बपतिस्मा क्यों देते हो?”

26 योहन ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तो जल में बपतिस्मा देता हूँ परन्तु तुम्हारे मध्य एक ऐसे हैं, जिन्हें तुम नहीं जानते. 27 यह वही हैं, जो मेरे बाद आ रहे हैं, मैं जिनकी जूती का बन्ध खोलने के योग्य भी नहीं हूँ.”

28 ये सब बैथनियाह गाँव में हुआ, जो यरदन नदी के पार था जिसमें योहन बपतिस्मा दिया करते थे.

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