Read the New Testament in 24 Weeks
गरीबमन के आदर करव
2 हे मोर भाईमन हो, जब तुमन हमर महिमामय परभू यीसू मसीह ऊपर बिसवास करथव, त काकरो संग भेदभाव झन करव। 2 कहूं कोनो मनखे सोन के मुन्दरी अऊ सुघर कपड़ा पहिरके तुम्हर सभा म आवय अऊ एक गरीब मनखे घलो फटहा-पुराना कपड़ा पहिरके आवय, 3 अऊ कहूं तुमन ओ सुघर कपड़ा पहिरे मनखे के मुहूं देखके कहव, “तेंह इहां बने ठऊर म बईठ” अऊ ओ गरीब मनखे ला कहव, “तेंह इहां खड़े रह या मोर गोड़ करा भुइयां म बईठ।” 4 त का तुमन आपस म भेदभाव नइं करेव? अऊ खराप बिचार ले नियाय करइया नइं ठहिरेव।
5 हे मोर मयारू भाईमन, सुनव: का परमेसर ह ए संसार के गरीबमन ला नइं चुनिस कि ओमन बिसवास म धनी, अऊ ओ स्वरग राज के भागीदार बनंय, जेकर वायदा परमेसर ह ओमन ले करिस, जऊन मन ओकर ले मया करथें। 6 पर तुमन ओ गरीब के बेजत्ती करेव; का धनी मनखे तुम्हर ऊपर अतियाचार नइं करंय अऊ का ओमन तुमन ला कचहरी म घसीटके नइं ले जावंय? 7 का ओमन परमेसर के सुघर नांव के निन्दा नइं करंय, जेकर तुमन अव?
8 कहूं तुमन परमेसर के बचन म लिखाय ए राजकीय कानून ला पूरा करथव, “तें अपन पड़ोसी ले अपन सहीं मया कर।”[a] त सही म बने करथव। 9 पर कहूं तुमन भेदभाव करथव, त पाप करथव अऊ परमेसर के कानून ह तुमन ला दोसी ठहिराथे। 10 काबरकि जऊन कोनो जम्मो कानून के पालन करथे, पर एकेच बात म चूक जाथे, त ओह जम्मो बात म दोसी ठहिरही। 11 काबरकि परमेसर ह ए कहे हवय, “छिनारी झन करव।”[b] ओही परमेसर ह ए घलो कहे हवय, “हतिया झन करव।”[c] कहूं तुमन छिनारी नइं करव, पर काकरो हतिया करथव, त तुमन दोसी ठहरेव। 12 तुमन ओ मनखेमन सहीं गोठियावव, अऊ काम करव, जऊन मन के नियाय ओ कानून के मुताबिक होही, जऊन ह सुतंतर करथे। 13 काबरकि जऊन ह दया नइं करय, ओकर नियाय परमेसर ह बिगर दया के करही। काबरकि दया ह नियाय ऊपर जय पाथे।
बिसवास अऊ काम
14 हे मोर भाईमन हो, कहूं कोनो कहय कि ओह बिसवास करथे, पर ओह बिसवास के मुताबिक काम नइं करय, त एकर ले का फायदा? का अइसने बिसवास ह कभू ओकर उद्धार कर सकथे? 15 कहूं कोनो भाई या बहिनी उघरा हवय अऊ ओला रोज खाय बर नइं मिलथे। 16 अऊ तुमन ले कोनो ओला कहय, “खुसी रह, गरम रह अऊ तोला भरपेट खाना मिलय।” पर जऊन चीजमन देहें बर जरूरी अंय, ओमन ला नइं देवय, त का फायदा? 17 वइसनेच बिसवास घलो करम के बिगर मरे सहीं होथे। 18 पर कोनो कह सकथे, “तोर करा बिसवास हवय अऊ मोर करा करम हवय।”
तेंह अपन बिसवास ला मोला करम के बिगर तो देखा; अऊ मेंह अपन बिसवास ला मोर करम के दुवारा तोला देखाहूं। 19 तेंह बिसवास करथस कि एकेच परमेसर हवय; बने करथस; परेत आतमामन घलो अइसनेच बिसवास रखथें अऊ कांपथें।
20 पर हे मुरुख अऊ अलाल मनखे, का तेंह ए नइं जानत हवस कि करम बिगर बिसवास ह बेकार ए। 21 जब हमर पुरखा अब्राहम ह अपन बेटा इसहाक ला बेदी ऊपर चघाईस, त का ओह अपन करम के दुवारा परमेसर के नजर म धरमी नइं ठहरिस। 22 तेंह देखे कि ओकर करम ह बिसवास के मुताबिक रिहिस अऊ करम के दुवारा ओकर बिसवास ह पूरा होईस। 23 अऊ परमेसर के ए बचन ह पूरा होईस, “अब्राहम ह परमेसर ऊपर बिसवास करिस अऊ धरमी गने गीस,[d] अऊ ओला परमेसर के संगवारी कहे गीस।” 24 तुमन देख डारेव कि मनखेमन सिरिप बिसवास के दुवारा ही नइं, पर संग म करम के दुवारा धरमी ठहिरथें। 25 वइसनेच, का राहाब बेस्या ह घलो अपन करम के दुवारा धरमी नइं ठहरिस, जब ओह इसरायली भेदियामन ला अपन घर म ठऊर दीस, अऊ आने रसता ले ओमन ला बिदा कर दीस? 26 जइसने देहें ह आतमा के बिगर मरे हवय, वइसनेच बिसवास ह घलो करम के बिगर मरे हवय।
3 हे मोर भाईमन हो, तुमन ले बहुंत झन गुरू झन बनव, काबरकि तुमन जानत हव कि गुरूमन के अऊ कड़ई ले नियाय होही। 2 हमन जम्मो झन अक्सर गलती करथन। जऊन कोनो अपन गोठ म कभू गलती नइं करय, ओह सिद्ध मनखे ए; अऊ ओह अपन देहें ला बस म कर सकथे।
3 जब हमन अपन गोठ ला मनवाय बर घोड़ामन के मुहूं म लगाम लगाथन, त हमन ओकर पूरा देहें ला घलो अपन बस म कर लेथन। 4 देखव, पानी जहाज घलो, जऊन ह बहुंत बड़े होथे; अऊ तेज हवा के दुवारा चलथे, तभो ले एक नानकून पतवार के दुवारा मांझी ह अपन ईछा के मुताबिक ओला जिहां चाहथे उहां ले जाथे। 5 वइसनेच जीभ ह घलो देहें के एक नानकून अंग ए, पर ओह बहुंते डींग मारथे। देखव, एक नानकून आगी के चिनगारी ले कतेक बड़े जंगल म आगी लग जाथे। 6 जीभ ह घलो आगी सहीं अय। एह हमर देहें म अधरम के एक संसार ए। एह एक अइसने आगी ए, जऊन ला नरक कुन्ड के आगी ले बारे गे हवय अऊ पूरा जिनगी म आगी लगाके मनखे ला बरबाद कर देथे।
7 हर एक किसम के जीव-जन्तु, चिरई अऊ पेट के भार रेंगइया जीव-जन्तु अऊ पानी के जीव-जन्तु, मनखेमन के बस म हो सकथें अऊ ओमन बस म हो घलो गे हवंय। 8 पर जीभ ला कोनो मनखे अपन बस म नइं कर सकय। ओह अइसने सैतान ए, जऊन ह कभू चुप नइं रहय। ओह अइसने जहर ले भरे हवय, जऊन ह परान ले लेथे।
9 जीभ ले हमन परभू अऊ ददा के महिमा करथन अऊ इही जीभ ले मनखेमन ला सराप घलो देथन, जऊन मन परमेसर के सरूप म बनाय गे हवंय। 10 ओहीच मुहूं ले महिमा अऊ सराप दूनों निकरथे। हे मोर भाईमन हो, अइसने नइं होना चाही। 11 का मीठा अऊ नूनचूर पानी झरना के एकेच मुहूं ले निकर सकथे? 12 हे मोर भाईमन, का अंजीर के रूख म जैतून या अंगूर के नार म अंजीर फर सकथे? वइसने नूनचूर झरना ले मीठा पानी नइं निकर सकय।
दू किसम के बुद्धि
13 तुमन म बुद्धिमान अऊ समझदार कोन ए? ओह अपन काम अऊ बने चाल-चलन के दुवारा एला नमरता सहित देखावय, जऊन ह बुद्धि ले उपजथे। 14 पर कहूं तुमन अपन मन म भारी जलन अऊ सुवारथ रखथव, त एकर बर घमंड झन करव अऊ सत के बिरोध झन करव। 15 अइसने बुद्धि ह स्वरग ले नइं आवय, पर एह संसारिक, सारीरिक अऊ सैतान के अय। 16 काबरकि जिहां जलन अऊ सुवारथ होथे, उहां झंझट अऊ हर किसम के बुरई पाय जाथे।
17 पर जऊन बुद्धि ह स्वरग ले आथे, ओह पहिली सुध, ओकर बाद मिलनसार, कोमल, नम्र सुभाव, दया, अऊ बने फर ले भरे रहिथे अऊ ओम भेदभाव अऊ कपट नइं रहय। 18 अऊ जऊन मेल-मिलाप करइयामन ह मेल-मिलाप करवाथें, ओमन धरमीपन के फर उपजाथें।
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