New Testament in a Year
शिष्यता का दाम
25 एक बड़ी भीड़ मसीह येशु के साथ-साथ चल रही थी. मसीह येशु ने मुड़ कर उनसे कहा, 26 “यदि कोई मेरे पास आता है और अपने माता-पिता, पत्नी, सन्तान तथा भाई-बहनों को, यहाँ तक कि स्वयं अपने जीवन को, मुझसे अधिक महत्व देता है, मेरा चेला नहीं हो सकता. 27 जो कोई अपना क्रूस उठाए बिना मेरे पीछे हो लेता है, वह मेरा चेला हो ही नहीं सकता.
28 “तुममें ऐसा कौन है, जो भवन निर्माण करना चाहे और पहले बैठ कर खर्च का अनुमान न करे कि उसके पास निर्माण काम पूरा करने के लिए पर्याप्त राशि है भी या नहीं? 29 अन्यथा यदि वह नींव डाल ले और काम पूरा न कर पाए तो देखनेवालों के ठठ्ठों का कारण बन जाएगा: 30 ‘देखो-देखो! इसने काम प्रारम्भ तो कर दिया किन्तु अब समाप्त नहीं कर पा रहा!’
31 “या ऐसा कौन राजा होगा, जो दूसरे पर आक्रमण करने के पहले यह विचार न करेगा कि वह अपने दस हज़ार सैनिकों के साथ अपने विरुद्ध बीस हज़ार की सेना से टक्कर लेने में समर्थ है भी या नहीं? 32 यदि नहीं, तो जब शत्रु-सेना दूर ही है, वह अपने दूतों को भेज कर उसके सामने शान्ति-प्रस्ताव रखेगा. 33 इसी प्रकार तुममें से कोई भी मेरा चेला नहीं हो सकता यदि वह अपना सब कुछ त्याग न कर दे.
34 “नमक उत्तम है किन्तु यदि नमक ही स्वादहीन हो जाए तो किस वस्तु से उसका स्वाद लौटाया जा सकेगा? 35 तब वह न तो भूमि के लिए किसी उपयोग का रह जाता है और न खाद के रूप में किसी उपयोग का. उसे फेंक दिया जाता है.
“जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.”
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