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New Testament in a Year

Read the New Testament from start to finish, from Matthew to Revelation.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
मारक 7:14-37

14 इसके बाद मसीह येशु ने भीड़ को दोबारा अपने पास बुला कर उसे सम्बोधित करते हुए कहा, “तुम सब मेरी सुनो और समझो: 15 ऐसी कोई वस्तु नहीं, जो मनुष्य में बाहर से प्रवेश कर उसे अशुद्ध कर सके. मनुष्य को अशुद्ध तो वह करता है, जो उसमें से बाहर आता है. 16 जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.”

17 जब भीड़ से विदा ले वह घर में आ गए, उनके शिष्यों ने उनसे इस दृष्टान्त के विषय में प्रश्न किया. 18 इसके उत्तर में मसीह येशु ने कहा, “क्या तुम में भी बुद्धि का इतना अभाव है? क्या तुम्हें समझ नहीं आया कि जो कुछ मनुष्य में बाहर से प्रवेश करता है, उसे अशुद्ध नहीं कर सकता 19 क्योंकि वह उसके हृदय में नहीं परन्तु उसके आमाशय में जाता है और बाहर निकल जाता है!”—इस प्रकार मसीह येशु ने सभी प्रकार के भोजन को स्वच्छ घोषित कर दिया.

20 “जो मनुष्य में से बाहर आता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है. 21 मनुष्य के भीतर से—मनुष्य के हृदय ही से—बुरे विचार बाहर आते हैं, जो उसे चोरी, हत्या, व्यभिचार, 22 लोभ, दुराचारिता, छल-कपट, कामुकता, जलन, निन्दा, अहंकार तथा मूर्खता की ओर लगा देते हैं. 23 ये सभी अवगुण मनुष्य के अन्तर से बाहर आते तथा उसे अशुद्ध करते हैं.”

कनानवासी स्त्री का सराहनीय विश्वास

(मत्ति 15:21-28)

24 मसीह येशु वहाँ से निकल कर त्सोर प्रदेश में चले गए, जहाँ वह एक घर में ठहरे हुए थे और नहीं चाहते थे कि भीड़ को उनके विषय में कुछ मालूम हो किन्तु उनका वहाँ आना छिप न सका. 25 उनके विषय में सुन कर एक स्त्री उनसे भेंट करने वहाँ आई जिसकी पुत्री प्रेतात्मा से पीड़ित थी. वहाँ प्रवेश करते ही वह मसीह येशु के चरणों पर जा गिरी. 26 वह स्त्री यूनानी थी—सुरोफ़ॉयनिकी जाति की. वह मसीह येशु से विनती करती रही कि वह उसकी पुत्री में से प्रेत को निकाल दें.

27 मसीह येशु ने उससे कहा, “पहले बालकों को तो तृप्त हो जाने दो! उन्हें परोसा भोजन उनसे ले कर कुत्तों को देना सही नहीं!”

28 किन्तु इसके उत्तर में उस स्त्री ने कहा, “सच है प्रभु, किन्तु कुत्ते भी तो बालकों की मेज़ पर से गिरे हुए चूर-चार को ही खाते हैं.”

29 मसीह येशु ने उससे कहा, “तुम्हारे इस उत्तर का परिणाम यह है कि दुष्टात्मा तुम्हारी पुत्री को छोड़ कर जा चुकी है. घर लौट जाओ.”

30 घर पहुँच कर उसने अपनी पुत्री को बिछौने पर लेटा हुआ पाया. दुष्टात्मा उसे छोड़ कर जा चुकी थी.

झील के तट पर चंगाई

(मत्ति 15:29-31)

31 तब वह त्सोर के क्षेत्र से निकल कर त्सीदोन क्षेत्र से होते हुए गलील झील के पास आए, जो देकापोलिस अंचल में था. 32 लोग उनके पास एक ऐसे व्यक्ति को लाए जो बहिरा था तथा बड़ी कठिनाई से बोल पाता था. लोगों ने मसीह येशु से उस व्यक्ति पर हाथ रखने की विनती की.

33 मसीह येशु उस व्यक्ति को भीड़ से दूर एकान्त में ले गए. वहाँ उन्होंने उसके कानों में अपनी उँगलियां डालीं. इसके बाद अपनी लार उसकी जीभ पर लगाई. 34 तब एक गहरी आह भरते हुए स्वर्ग की ओर दृष्टि उठा कर उन्होंने उस व्यक्ति को सम्बोधित कर कहा, “एफ़्फ़ाथा!” अर्थात् खुल जा! 35 उस व्यक्ति के कान खुल गए, उसकी जीभ की रुकावट भी जाती रही और वह सामान्य रूप से बातें करने लगा.

36 मसीह येशु ने लोगों को आज्ञा दी कि वे इसके विषय में किसी से न कहें किन्तु मसीह येशु जितना रोकते थे, वे उतना ही अधिक प्रचार करते जाते थे. 37 लोग आश्चर्य से भरकर कहा करते थे, “वह जो कुछ करते हैं, भला ही करते हैं—यहाँ तक कि वह बहिरे को सुनने की तथा गूंगे को बोलने की शक्ति प्रदान कर रहे हैं.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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