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New Testament in a Year

Read the New Testament from start to finish, from Matthew to Revelation.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
मारक 8

सात रोटियों से अद्भुत काम

(मत्ति 15:32-39)

इन्हीं दिनों की घटना है कि एक बार फिर वहाँ एक बड़ी भीड़ इकठ्ठी हो गयी. उनके पास खाने को कुछ न था. मसीह येशु ने अपने शिष्यों को बुला कर उनसे कहा, “इनके लिए मेरे हृदय में करुणा उमड़ रही है क्योंकि ये सब तीन दिन से लगातार मेरे साथ हैं. इनके पास अब कुछ भी भोजन सामग्री नहीं है. यदि मैं इन्हें भूखा ही घर भेज दूँ, वे मार्ग में ही मूर्च्छित हो जाएँगे. इनमें से कुछ तो अत्यन्त दूर से आए हैं.”

शिष्य उनसे पूछने लगे, “प्रभु, इस सुनसान जगह में इन सबके लिए पर्याप्त भोजन कोई कहाँ से लाएगा?”

मसीह येशु ने उनसे पूछा, “कितनी रोटियां हैं तुम्हारे पास?”

“सात,” उन्होंने उत्तर दिया.

मसीह येशु ने भीड़ को भूमि पर बैठ जाने की आज्ञा दी; फिर सातों रोटियां लीं, उनके लिए धन्यवाद प्रकट कर उन्हें तोड़ा और उन्हें बाँटने के लिए शिष्यों को देते गए. शिष्य उन्हें भीड़ में बाँटते गए. उनके पास कुछ छोटी मछलियां भी थीं. उन पर धन्यवाद करते हुए मसीह येशु ने उन्हें भी बाँटने की आज्ञा दी. लोग खा कर तृप्त हुए. उन्होंने तोड़ी गई रोटियों के शेष टुकड़ों को इकट्ठा कर सात बड़े टोकरे भर लिए. इस भीड़ में लगभग चार हज़ार लोग थे. तब मसीह येशु ने उन्हें विदा किया. 10 इसके बाद मसीह येशु बिना देर किए अपने शिष्यों के साथ नाव पर सवार होकर दालमनूथा क्षेत्र में आ गए.

11 फ़रीसियों ने आ कर उनसे विवाद प्रारम्भ कर दिया. उन्होंने यह परखने के लिए कि मसीह येशु परमेश्वर-पुत्र हैं, चमत्कार चिह्न की माँग की. 12 मसीह येशु ने अपने अन्दर में गहरी पीड़ा में कराहते हुए उन्हें उत्तर दिया, “यह पीढ़ी चमत्कार चिह्न क्यों चाहती है? सच तो यह है कि इस पीढ़ी को कोई भी चमत्कार चिह्न नहीं दिया जाएगा.” 13 उन्हें छोड़ कर मसीह येशु नाव पर सवार हो दूसरी ओर चले गए.

गलत शिक्षा के प्रति चेतावनी

(मत्ति 16:5-12)

14 शिष्य अपने साथ भोजन रखना भूल गए थे—उनके पास नाव में मात्र एक रोटी थी. 15 मसीह येशु ने शिष्यों को चेतावनी देते हुए कहा, “फ़रीसियों के ख़मीर से तथा हेरोदेस के ख़मीर से सावधान रहना.”

16 इस पर वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “वह यह इसलिए कह रहे हैं कि हमने अपने साथ रोटियां नहीं रखीं.”

17 उनकी स्थिति समझते हुए मसीह येशु ने उनसे कहा, “रोटी के न होने के विषय में वाद-विवाद क्यों किए जा रहे हो? क्या अब भी तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा? क्या तुम्हारा हृदय कठोर हो गया है? 18 आँखें होते हुए भी तुम्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा और कानों के होते हुए भी तुम कुछ सुन नहीं पा रहे? तुम्हें कुछ भी याद नहीं रहा! 19 जब मैंने पाँच हज़ार व्यक्तियों के लिए पाँच रोटियां परोसीं तुमने रोटी से भरे कितने टोकरे इकट्ठा किए थे?”

“बारह,” उन्होंने उत्तर दिया.

20 “जब मैंने चार हज़ार के लिए सात रोटियां परोसीं तब तुमने रोटी से भरे कितने टोकरे इकट्ठा किए थे?”

“सात,” उन्होंने उत्तर दिया.

21 तब मसीह येशु ने उनसे पूछा, “क्या अब भी तुम्हारी समझ में नहीं आया?”

अंधे को दृष्टिदान

22 वे बैथसैदा नगर आए. वहाँ लोग एक अंधे व्यक्ति को उनके पास लाए और उनसे विनती की कि वह उसका स्पर्श करें. 23 मसीह येशु उस अंधे का हाथ पकड़ उसे गाँव के बाहर ले गए. वहाँ उन्होंने उस व्यक्ति की आँखों पर थूका और उस पर हाथ रखते हुए उससे पूछा, “क्या तुम्हें कुछ दिखाई दे रहा है?”

24 उसने ऊपर दृष्टि करते हुए कहा, “मुझे लोग दिख रहे हैं परन्तु वे ऐसे दिख रहे हैं जैसे चलते-फिरते पेड़.”

25 मसीह येशु ने दोबारा उस पर अपने हाथ रखे और उसकी ओर एकटक देखा और उसे दृष्टि प्राप्त हो गई—उसे सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई देने लगा. 26 मसीह येशु ने उसे उसके घर भेजते हुए कहा, “अब इस गाँव में कभी न आना.”

पेतरॉस द्वारा विश्वास करना

(मत्ति 16:13-20; लूकॉ 9:18-20)

27 मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ कयसरिया प्रान्त के फ़िलिप्पॉय नगर के पास के गाँवों की यात्रा कर रहे थे. मार्ग में उन्होंने अपने शिष्यों से यह प्रश्न किया, “मैं कौन हूँ इस विषय में लोगों का क्या मत है?”

28 उन्होंने उत्तर दिया, “कुछ के लिए बपतिस्मा देने वाले योहन, कुछ के लिए एलियाह तथा कुछ के लिए आप भविष्यद्वक्ताओं में से एक हैं.”

29 “तुम्हारा अपना मत क्या है?” मसीह येशु ने उनसे आगे प्रश्न किया.

पेतरॉस ने उत्तर दिया, “आप मसीह[a] हैं.”

30 मसीह येशु ने शिष्यों को सावधान किया कि वे किसी से भी उनकी चर्चा न करें.

दुःखभोग और क्रूस की मृत्यु की पहिली भविष्यवाणी

(मत्ति 16:21-28; लूकॉ 9:21-27)

31 तब मसीह येशु उन्हें यह समझाने लगे कि यह अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र अनेक यातनाएँ सहे, पुरनियों, प्रधान पुरोहितों तथा विधान के शिक्षकों द्वारा तुच्छ घोषित किया जाए, उसकी हत्या कर दी जाए और तीन दिन बाद वह मरे हुओं में से जीवित हो जाए. 32 यह सब उन्होंने अत्यन्त स्पष्ट रूप से कहा. उनके इस कथन पर पेतरॉस उन्हें अलग ले जा कर डाँटने लगे.

33 किन्तु मसीह येशु पीछे मुड़े और अपने शिष्यों को देख कर उन्होंने पेतरॉस को डाँटा, “दूर हो जा मेरी दृष्टि से, शैतान! तेरा मन परमेश्वर सम्बन्धी विषयों में नहीं परन्तु मनुष्य सम्बन्धी विषयों में लगा हुआ है.”

मसीह येशु के पीछे चलने की शर्तें

34 तब उन्होंने भीड़ के साथ अपने शिष्यों को भी अपने पास बुलाया और उन्हें सम्बोधित करते हुए कहा, “जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपना इनकार कर अपना क्रूस उठाए और मेरे पीछे हो ले. 35 इसलिए कि जो कोई अपने जीवन की रक्षा करना चाहता है, वह उसे गँवा देगा तथा जो कोई मेरे तथा सुसमाचार के लिए अपने प्राण गँवा देता है, उसे सुरक्षित पाएगा. 36 क्या लाभ यदि कोई मनुष्य सारा संसार तो प्राप्त कर ले किन्तु अपना प्राण खो बैठे? 37 मनुष्य किस वस्तु से अपने प्राणों की तुलना करे? 38 जो कोई इस अविश्वासी तथा पापमय युग में मुझे तथा मेरे वचन को लज्जा का विषय समझता है, मनुष्य का पुत्र भी, जब वह अपने पिता की महिमा में पवित्र स्वर्गदूतों के साथ आएगा, उसे स्वीकार करने में लज्जा का अनुभव करेगा.”

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