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New Testament in a Year

Read the New Testament from start to finish, from Matthew to Revelation.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
लूकॉ 10:25-42

सर्वोपरि आज्ञा

25 एक अवसर पर एक वकील ने मसीह येशु को परखने के उद्देश्य से उनके सामने यह प्रश्न रखा: “गुरुवर, अनन्त काल के जीवन को पाने के लिए मैं क्या करूँ?”

26 मसीह येशु ने उससे प्रश्न किया, “व्यवस्था में क्या लिखा है, इसके विषय में तुम्हारा विश्लेषण क्या है?”

27 उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “‘प्रभु, अपने परमेश्वर से अपने सारे हृदय, अपने सारे प्राण, अपनी सारी शक्ति तथा अपनी सारी समझ से प्रेम करो तथा अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम’.”

28 मसीह येशु ने उससे कहा, “तुम्हारा उत्तर बिलकुल सही है. यही करने से तुम जीवित रहोगे.”

29 स्वयं को संगत प्रमाणित करने के उद्देश्य से उसने मसीह येशु से प्रश्न किया, “तो यह बताइए कौन है मेरा पड़ोसी?”

30 मसीह येशु ने उत्तर दिया. “येरूशालेम नगर से एक व्यक्ति येरीख़ो नगर जा रहा था कि डाकुओं ने उसे घेर लिया, उसके वस्त्र छीन लिए, उसकी पिटाई की और उसे अधमरी हालत में छोड़ कर भाग गए. 31 संयोग से एक याजक उसी मार्ग से जा रहा था. जब उसने उस व्यक्ति को देखा, वह मार्ग के दूसरी ओर से आगे बढ़ गया. 32 इसी प्रकार एक लेवी भी उसी स्थान पर आया, उसकी दृष्टि उस पर पड़ी तो वह भी दूसरी ओर से होता हुआ चला गया. 33 एक शोमरोनी भी उसी मार्ग से यात्रा करते हुए उस जगह पर आ पहुँचा. जब उसकी दृष्टि उस घायल व्यक्ति पर पड़ी, वह दया से भर गया. 34 वह उसके पास गया और उसके घावों पर तेल और दाखरस लगा कर पट्टी बांधी. तब वह घायल व्यक्ति को अपने वाहक पशु पर बैठा कर एक यात्री निवास में ले गया तथा उसकी सेवा टहल की. 35 अगले दिन उसने दो दीनार यात्री निवास के स्वामी को देते हुए कहा, ‘इस व्यक्ति की सेवा टहल कीजिए. इसके अतिरिक्त जो भी व्यय होगा वह मैं लौटने पर चुका दूँगा.’

36 “यह बताओ तुम्हारे विचार से इन तीनों व्यक्तियों में से कौन उन डाकुओं द्वारा घायल व्यक्ति का पड़ोसी है?”

37 वकील ने उत्तर दिया, “वही, जिसने उसके प्रति करुणाभाव का परिचय दिया.” मसीह येशु ने उससे कहा, “जाओ, तुम्हारा स्वभाव भी ऐसा ही हो.”

मार्था और मरियम के घर में मसीह येशु

38 मसीह येशु और उनके शिष्य यात्रा करते हुए एक गाँव में पहुँचे, जहाँ मार्था नामक एक स्त्री ने उन्हें अपने घर में आमन्त्रित किया. 39 उसकी एक बहन थी, जिसका नाम मरियम था. वह प्रभु के चरणों में बैठ कर उनके प्रवचन सुनने लगी 40 किन्तु मार्था विभिन्न तैयारियों में उलझी रही. वह मसीह येशु के पास आई और उनसे प्रश्न किया, “प्रभु, क्या आपको इसका लेशमात्र भी ध्यान नहीं कि मेरी बहन ने अतिथि-सत्कार का सारा बोझ मुझ अकेली पर ही छोड़ दिया है? आप उससे कहें कि वह मेरी सहायता करे.”

41 “मार्था, मार्था,” प्रभु ने कहा, “तुम अनेक विषयों की चिन्ता करती और घबरा जाती हो 42 किन्तु ज़रूरत तो कुछ ही की है—वास्तव में एक ही की. मरियम ने उसी उत्तम भाग को चुना है, जो उससे कभी अलग न किया जाएगा.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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