Daily Reading for Personal Growth, 40 Days with God
16 एकरसेति, तुम्हर खाना-पीना या धारमिक तिहार या नवां चांद के उत्सव या बिसराम दिन के बारे म कोनो ला तुम्हर ऊपर दोस लगाय के कोनो मऊका झन देवव। 17 ए जम्मो ह अवइया बातमन के सिरिप एक छइहां अय। पर सही बात ह मसीह म मिलथे। 18 सचेत रहव कि जऊन ह झूठ-मूठ के दीनता अऊ स्वरगदूतमन के पूजा म खुस रहिथे, ओह तुमन ला इनाम ले अलग झन कर देवय। अइसने मनखे ह जऊन चीज ला देखथे, ओहीच म अपन मन ला लगाथे अऊ बिगर कारन के अपन सोच-बिचार म घमंड करके फूलथे। 19 ओह मुड़ी याने मसीह ले जुरे नइं रहय, जेकर ले जम्मो देहें के पालन-पोसन होथे अऊ देहें के जोड़ अऊ नस मन ले एक संग जुड़े रहिथे अऊ जइसने परमेसर चाहथे, वइसने बढ़त जाथे।
20 यदि तुमन मसीह के संग मर गेव अऊ ए संसार के अंधियार के राज ले छुटकारा पा गे हवव, त फेर तुमन काबर अइसने जिनगी बितावत हव, जइसने कि अभी घलो तुमन संसार के अव? तुमन काबर एकर बिधि-बिधान ला मानथव? 21 एकर ले दूरिहा रहव! एला झन चखव! एला झन छूवव। 22 ए जम्मो चीजमन काम म आवत नास हो जाहीं, काबरकि एमन मनखे के बनाय नियम अऊ उपदेस अंय। 23 वास्तव म, अइसने बिधि-बिधान म बुद्धि के एक दिखावा हवय। ए नियम म ओमन के खुद के गढ़े भक्ति, झूठमूठ के दीनता अऊ ओमन के देहें के कठोर अभियास घलो हवय, पर देहें के लालसा ला रोके बर, एमन कोनो काम के नो हंय।
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.