Daily Reading for Personal Growth, 40 Days with God
10 “दू झन मनखे मंदिर म पराथना करे बर गीन; ओम के एक झन फरीसी रिहिस अऊ एक झन लगान लेवइया। 11 फरीसी ह ठाढ़ होईस अऊ अपन बारे म अइसने पराथना करन लगिस, ‘हे परमेसर, मेंह तोर धनबाद करत हंव कि मेंह आने मनखेमन सहीं लालची, बेईमान अऊ बेभिचारी नो हंव, अऊ मेंह ए लगान लेवइया के सहीं घलो नो हंव। 12 मेंह हप्ता म दू दिन उपास रखथंव अऊ मेंह अपन जम्मो कमई के दसवां भाग तोला देथंव।’
13 पर लगान लेवइया ह दूरिहा म ठाढ़ होईस। अऊ त अऊ ओह स्वरग कोति आंखी उठाके देखे के हिम्मत घलो नइं करिस, पर ओह अपन छाती ला पीट-पीटके कहिस, ‘हे परमेसर, मोर ऊपर दया कर, मेंह एक पापी मनखे अंव।’
14 मेंह तुमन ला कहत हंव कि ओ फरीसी ह नइं, पर ए लगान लेवइया ह परमेसर के आघू म धरमी गने गीस, जब ओह अपन घर गीस। काबरकि जऊन ह अपन-आप ला बहुंत बड़े समझथे, ओह दीन-हीन करे जाही, अऊ जऊन ह अपन-आप ला दीन-हीन करथे, ओला बड़े करे जाही।”
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.