Daily Reading for Personal Growth, 40 Days with God
2 जागव! ओ चीज जऊन ह बांचे हवय, अऊ नास होवइया हवय, ओला मजबूत करव, काबरकि मेंह तुम्हर काम ला अपन परमेसर के नजर म सही नइं पाय हवंव। 3 जऊन सिकछा तुमन पाय हवव अऊ सुने हवव, ओला सुरता रखव; ओकर पालन करव अऊ पाप ले पछताप करव। पर कहूं तुमन नइं जागहू, त मेंह चोर के सहीं आ जाहूं, अऊ तुमन ला पता नइं चलही कि कते बेरा मेंह तुम्हर करा आ जाहूं।
4 तभो ले सरदीस सहर म, तुम्हर इहां कुछू मनखे हवंय, जऊन मन अपन जिनगी ला सुध रखे हवंय। ओमन सफेद कपड़ा पहिरके मोर संग चलहीं, काबरकि ओमन एकर काबिल हवंय। 5 जऊन ह बिजयी होही, ओला एमन के सहीं सफेद कपड़ा पहिराय जाही। मेंह ओकर नांव ला जिनगी के किताब ले कभू नइं मेटावंव, पर अपन ददा अऊ ओकर स्वरगदूतमन के आघू म ओला गरहन करहूं।
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