Daily Reading for Personal Growth, 40 Days with God
4 परभू म सदा आनंदित रहव। मेंह एला फेर कहथंव: आनंदित रहव। 5 जम्मो झन जान जावंय कि तुमन नम्र मनखे अव। परभू ह लकठा म हवय। 6 कोनो बात के फिकर झन करव, पर हर एक बात म, पराथना अऊ निबेदन के दुवारा, धनबाद के संग तुमन अपन बिनती ला परमेसर के आघू म रखव। 7 तब परमेसर के सांति, जऊन ह मनखे के समझ के बाहिर अय, तुम्हर हिरदय अऊ मन के रखवारी मसीह यीसू म करही।
8 आखिर म, हे भाईमन हो, जऊन बात ह सच ए, जऊन बात ह आदर के लइक ए, जऊन बात ह सही ए, जऊन बात ह निरमल ए, जऊन बात ह मयारू ए, जऊन बात ह मन ला भाथे – यदि कोनो बात ह उत्तम या परसंसा के लइक ए, त अइसने बात के बारे म सोचव। 9 जऊन बात तुमन मोर ले सिखे हवव या मोर ले पाय हवव या मोर ले सुने हवव या मोर म देखे हवव, ओकरेच मुताबिक चलव। अऊ सांति के परमेसर ह तुमन के संग रहिही।
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