Daily Reading for Personal Growth, 40 Days with God
13 परीच्छा क घड़ी मँ कीहीउ क इ नाहीं कहइ चाही, “परमेस्सर मोर परीच्छा लेत अहइ,” काहेकि खराब बातन स परमेस्सर क कउनउ लेब-देब नाहीं होत। उ कउनो क परीच्छा नाहीं लेत। 14 हर कउनो आपन ही खराब इच्छन स भ्रम मँ फंसिके परीच्छा मँ पड़त ह। 15 फिन जब उ इच्छा गर्भवती होत ह तउ पाप पूरा बढ़ जात ह अउर उ मउत क जनम देत ह।
16 तऊन मोर पिआर भाइयो तथा बहिनियो, धोखा न खा। 17 हर एक उत्तिम दान अउर परिपूर्ण उपहार उप्पर स मिलत ह। अउर उ सबइ ओह परमपिता क जरिये जे सरगीय प्रकास (सूरज चाँद अउर तारन) क जनम दिहे अहइ, नीचे लइ आवत ह। उ जउन सभन प्रकासन का पिता अहइ। जो न कभउ बदलत ह अउर न छाया स प्रभावित होत ह। 18 परमेस्सर अपने इच्छा स सत्य क बचन दुआरा हमे जनम दिहेस जेहसे हम ओकरे द्वारा रचे गएन प्रानियन मँ सबसे महत्वपूर्ण सिद्ध होइ सकी।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.