Daily Reading for Personal Growth, 40 Days with God
1 याकूब क जउन परमेस्सर अउर पर्भू ईसू मसीह क दास अहइ,
संतन क बारह कुलन क नमस्कार पहुँचइ जइन समूचे संसार मँ फइला भवा अहइँ।
बिसवास अउर विवेक
2 मोर भाइयो तथा बहिनियो, जब कबहुँ तू तरह तरह क परीच्छा मँ पड़ा तउ एका बड़ा आनन्द क बात समझा। 3 काहेकि तू इ जानत अहा कि तोहार बिसवास जब परीच्छा मँ सफल होत ह तउ ओसे धीरजपूर्ण सहन सक्ती पैदा होत ह। 4 अउर उ धीरजपूर्ण सहन सक्ती एक अइसेन पूर्णता क जनम देत ह जेहसे तू अइसेन सिद्ध अउर पूर्ण बन सकत ह जेहमाँ कउनउ कबहुँ नाहीं रहि जात।
5 तउन अगर तोहमाँ कछू विवेक क कमी अहइ तउ ओका परमेस्सर स मांग सकत ह। उ सबहिं क उदारता क साथे देत ह। उ सबहिं क उदार होइ क देइ मँ खुस होत ह। 6 बस बिसवास क साथे माँगा जाइ। तनिकउ भी संदेह न होइ चाही काहेकि जेका संदेह होत ह, उ सागर क ओह लहर क समान बा जउन हवा स उठत ह अउर थरथरात ह। 7-8 अइसेन मनई क इ नाहीं सोचइ चाही कि ओका पर्भू स कछू भी मिल पाई। अइसेन मनई क मन तउ दुविधा स ग्रस्त बा। उ अपने सभन करमन मँ अस्थिर रहत ह।
सच्चा धन
9 साधारण परिस्थितियन वाला भाइयन क गरब करइ चाही कि परमेस्सर तउ ओका आतिमा क धन दिहे अहइ। 10 अउर धनी भाइ क गरब करइ चाही कि परमेस्सर ओका आत्मिक गरीबी देखाए अहइ। काहेकि ओका त घास खिलइवाला फूल क नाई झर जाइ क बा। 11 सूरज कड़कड़ात धूप लइके उगत ह अउर पउधा क झुराइ डावत ह। ओनकर फूल पत्तियन झर जात हीं अउर सुन्दरता समाप्त होइ जात ह। इही तरह धनी मनई धन बरे योजना बनाने मँ ही समाप्त होइ जात ह।
परमेस्सर परीच्छा नाहीं लेत
12 उ मनई धन्य अहइ जउन परीच्छ मँ अटल रहत ह काहेकि परिच्छा मँ खरा उतरइ क बाद उ जीवन क ओह बिजय मुकुट क धारण करी जेका परमेस्सर अपने पिरेम करइवालन क देइ क बचन दिहे अहइ।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.