Book of Common Prayer
15 महासभा के सब सदस्य स्तेफ़ानॉस को एकटक देख रहे थे. उन्हें उनका मुखमण्डल स्वर्गदूत के समान दिखाई दिया.
महासभा को स्तेफ़ानॉस का सम्बोधन
7 महायाजक ने उनसे प्रश्न किया, “क्या यह आरोप सच है?”
2 स्तेफ़ानॉस ने उसे उत्तर दिया, “आदरणीय गुरुवर और बन्धुओं,” कृपया सुनिए: महामहिम परमेश्वर ने हमारे पूर्वज अब्राहाम को उनके हारान प्रदेश में आकर बसने के पूर्व, जब वह मेसोपोतामिया में थे, दिव्य दर्शन देते हुए आज्ञा दी: 3 अपनी मातृभूमि और परिजनों का त्याग कर उस देश में चले जाओ, जो मैं तुम्हें दिखाऊँगा.
4 “इसलिए वह कसदियों के देश को छोड़कर हारान नगर में बस गए. इसके बाद उनके पिता की मृत्यु के बाद, परमेश्वर उन्हें इस भूमि पर ले आए जिस पर आप निवास कर रहे हैं. परमेश्वर ने उन्हें इस भूभाग का कोई उत्तराधिकार नहीं दिया; 5 यहाँ तक कि पैर रखने का भी स्थान नहीं. किन्तु परमेश्वर ने उनके उस समय निःसन्तान होने पर भी उनसे यह प्रतिज्ञा की कि उनके बाद वह उनके वंशजों को यह भूमि उनकी सम्पत्ति के रूप में प्रदान करेंगे. 6 आगे परमेश्वर ने यह भी कहा: ‘तुम्हारे वंशज विदेश में प्रवासी और दास बनाए जाएँगे तथा उन पर चार सौ वर्ष तक अत्याचार किया जाता रहेगा. 7 जिस किसी राष्ट्र के द्वारा वे उत्पीड़ित किए जाएँगे मैं उसे दण्ड दूँगा,’ ‘इसके बाद वे वहाँ से निकल आएंगे तथा इसी स्थान पर मेरी आराधना करेंगे.’ 8 परमेश्वर ने अब्राहाम के साथ ख़तना की वाचा स्थापित की. जब अब्राहाम के पुत्र इसहाक का जन्म हुआ, तो आठवें दिन उनका ख़तना किया गया. इसहाक के पुत्र थे याक़ोब और याक़ोब से बारह कुलपिता उत्पन्न हुए.
9 “जलन के कारण कुलपिताओं ने योसेफ़ को मिस्र देश में बेच दिया किन्तु परमेश्वर की कृपादृष्टि योसेफ़ पर बनी रही. 10 इसलिए परमेश्वर ने योसेफ़ को सभी यातनाओं से मुक्त कर उन्हें बुद्धि प्रदान की और मिस्र देश के राजा फ़रोह की कृपादृष्टि प्रदान की तथा फ़रोह ने उन्हें मिस्र देश और पूरे राजभवन पर अधिकारी बना दिया.
11 “तब सारे मिस्र और कनान देश में अकाल पड़ा जिससे हर जगह हाहाकार मच गया और हमारे पूर्वजों के सामने भोजन का अभाव हो गया. 12 किन्तु जब याक़ोब को यह मालूम हुआ कि मिस्र देश में अन्न उपलब्ध है, उन्होंने हमारे पूर्वजों को अन्न लेने वहाँ भेजा, जिनकी यह पहली मिस्र-यात्रा थी. 13 जब वे अन्न लेने वहाँ दूसरी बार गए, योसेफ़ ने स्वयं को अपने भाइयों पर प्रकट कर दिया, जिससे फ़रोह योसेफ़ के परिवार से परिचित हो गया. 14 तब योसेफ़ ने अपने पिता और सारे परिवार को, जिनकी संख्या पचहत्तर थी, मिस्र देश में बुला लिया. 15 तब याक़ोब मिस्र देश में बस गए और वहीं उनकी और हमारे पूर्वजों की मृत्यु हुई. 16 उनके अवशेष शकेम नगर लाए गए तथा उन्हें अब्राहाम द्वारा मोल ली गई कन्दरा-क़ब्र में रखा गया, जिसे अब्राहाम ने शकेम नगर के निवासी हामोर के पुत्रों को दाम देकर खरीदा था.
24 उनके बीच यह विवाद भी उठ खड़ा हुआ कि उनमें से सबसे बड़ा कौन है. 25 यह जान मसीह येशु ने उनसे कहा, “अन्यजातियों के राजा उन पर शासन करते हैं और वे, जिन्हें उन पर अधिकार है, उनके हितैषी कहलाते हैं. 26 किन्तु तुम वह नहीं हो—तुममें जो बड़ा है, वह सबसे छोटे के समान हो जाए और राजा सेवक समान. 27 बड़ा कौन है—क्या वह, जो भोजन पर बैठा है या वह, जो खड़ा हुआ सेवा कर रहा है? तुम्हारे मध्य मैं सेवक के समान हूँ.
28 “तुम्हीं हो, जो मेरे विषम समयों में मेरा साथ देते रहे हो. 29 इसलिए जैसा मेरे पिता ने मुझे एक राज्य प्रदान किया है, 30 वैसा ही मैं भी तुम्हें यह अधिकार देता हूँ कि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज़ पर बैठ कर मेरे साथ संगति करो, और सिंहासनों पर बैठ कर इस्राएल के बारह वंशों का न्याय.
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