Book of Common Prayer
20 कहां गीन गियानी मनखेमन, कहां गीन विद्वान? अऊ ए पीढ़ी के बाद-बिवाद करइयामन कहां हवंय? परमेसर ह संसार के गियान ला मुरुख साबित कर दे हवय। 21 काबरकि परमेसर के गियान म ए बात साफ ए, कि मनखे ह अपन गियान के दुवारा परमेसर ला नइं जानिस। परमेसर ह ओ मूर्खता के संदेस म खुस होईस, जेकर परचार हमन ओमन के उद्धार बर करथन, जऊन मन बिसवास करथें। 22 यहूदीमन चमतकार के काम देखाय के मांग करथें अऊ यूनानीमन गियान के खोज म रहिथें। 23 पर हमन तो मसीह के परचार करथन, जऊन ह कुरुस ऊपर चघाय गीस। एह अइसने संदेस ए, जऊन ह यहूदीमन बर ठोकर के कारन अऊ आनजातमन बर मूर्खता ए। 24 पर जऊन मन ला परमेसर ह बलाय हवय, चाहे ओमन यहूदी होवंय या यूनानी, ओमन बर मसीह ह परमेसर के सामरथ अऊ परमेसर के गियान अय। 25 काबरकि परमेसर के मूर्खता ह मनखेमन के गियान ले जादा बुद्धि के बात ए अऊ परमेसर के कमजोरी ह मनखेमन के बल ले जादा बलवान ए।
26 हे भाईमन हो, जरा सोचव, जब परमेसर ह तुमन ला बलाईस, त तुमन के का स्थिति रिहिस। तुमन ले बहुंत झन, मनखेमन के नजर म न तो बुद्धिमान रिहिन, न बहुंते मन परभावसाली अऊ न ही बहुंते मन ऊंच घराना के रिहिन। 27 पर परमेसर ह संसार के मुरुखमन ला चुनिस ताकि गियानी मनखेमन लज्जित होवंय; परमेसर ह दुरबलमन ला चुनिस ताकि बलवानमन लज्जित होवंय। 28 परमेसर ह संसार के नीच अऊ तुछ चीजमन ला चुनिस अऊ ओह ओ चीजमन ला चुनिस, जऊन मन कुछू नो हंय, ताकि ओह ओ चीजमन ला बेकार ठहराय, जऊन ला मनखेमन बड़े महत्व के समझथें, 29 ताकि कोनो मनखे परमेसर के आघू म घमंड झन कर सकय। 30 परमेसर के कारन ही हमर संगति मसीह यीसू म हवय अऊ परमेसर ह मसीह ला हमर गियान बना दीस, जेकर दुवारा हमन धरमी अऊ पबितर ठहिरथन अऊ ओकर दुवारा हमर छुटकारा होथे। 31 एकरसेति, जइसने कि परमेसर के बचन म लिखे हवय: “यदि कोनो घमंड करथे, त ओह परभू के काम ऊपर घमंड करय।”[a]
यीसू ह परचार करे के सुरू करथे
(मरकुस 1:14-15; लूका 4:14-15, 31)
12 जब यीसू ह ए सुनिस कि यूहन्ना ला जेल म डार दे गे हवय, त ओह गलील प्रदेस ला चल दीस। 13 ओह नासरत ला छोंड़ दीस अऊ कफरनहूम सहर म जाके रहन लगिस, ए सहर ह जबूलून अऊ नपताली के सीमना म झील के तीर म हवय। 14 एह एकर खातिर होईस ताकि यसायाह अगमजानी के दुवारा कहे गय ए बात ह पूरा होवय:
15 “जबूलून के प्रदेस अऊ नपताली के प्रदेस,
समुंदर के तरफ जाय के रसता म,
यरदन नदी के ओ पार, आनजातमन के गलील प्रदेस,
16 जऊन मनखेमन अंधियार म रहत रिहिन,
ओमन एक बड़े अंजोर ला देखिन;
अऊ जऊन मन मिरतू के छइहां के प्रदेस म रहत रिहिन,
ओमन के ऊपर एक अंजोर चमकिस।”[a]
17 ओ समय ले यीसू ह परचार करन लगिस अऊ कहिस, “अपन पाप ले पछताप करव, काबरकि स्वरग के राज ह लकठा आ गे हवय।”
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