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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 55:1-15

वाद्यों की संगीत पर संगीत निर्देशक के लिए दाऊद का एक भक्ति गीत।

हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन।
    कृपा करके मुझसे तू दूर मत हो।
हे परमेश्वर, कृपा करके मेरी सुन और मुझे उत्तर दे।
    तू मुझको अपनी व्यथा तुझसे कहने दे।
मेरे शत्रु ने मुझसे दुर्वचन बोले हैं। दुष्ट जनों ने मुझ पर चीखा।
    मेरे शत्रु क्रोध कर मुझ पर टूट पड़े हैं।
    वे मुझे नाश करने विपति ढाते हैं।
मेरा मन भीतर से चूर—चूर हो रहा है,
    और मुझको मृत्यु से बहुत डर लग रहा है।
मैं बहुत डरा हुआ हूँ।
    मैं थरथर काँप रहा हूँ। मैं भयभीत हूँ।
ओह, यदि कपोत के समान मेरे पंख होते,
    यदि मैं पंख पाता तो दूर कोई चैन पाने के स्थान को उड़ जाता।
    मैं उड़कर दूर निर्जन में जाता।

मैं दूर चला जाऊँगा
    और इस विपत्ति की आँधी से बचकर दूर भाग जाऊँगा।
हे मेरे स्वमी, इस नगर में हिँसा और बहुत दंगे और उनके झूठों को रोक जो मुझको दिख रही है।
10 इस नगर में, हर कहीं मुझे रात—दिन विपत्ति घेरे है।
    इस नगर में भयंकर घटनायें घट रही हैं।
11 गलियों में बहुत अधिक अपराध फैला है।
    हर कहीं लोग झूठ बोल बोल कर छलते हैं।

12 यदि यह मेरा शत्रु होता
    और मुझे नीचा दिखाता तो मैं इसे सह लेता।
यदि ये मेरे शत्रु होते,
    और मुझ पर वार करते तो मैं छिप सकता था।
13 ओ! मेरे साथी, मेरे सहचर, मेरे मित्र,
    यह किन्तु तू है और तू ही मुझे कष्ट पहूँचाता है।
14 हमने आपस में राज की बातें बाँटी थी।
    हमने परमेश्वर के मन्दिर में साथ—साथ उपासना की।

15 काश मेरे शत्रु अपने समय से पहले ही मर जायें।
    काश उन्हें जीवित ही गाड़ दिया जायें,
    क्योंकि वे अपने घरों में ऐसे भयानक कुचक्र रचा करते हैं।

अय्यूब 8

इसके बाद शूह प्रदेश के बिलदद ने उत्तर देते हुए कहा,

“तू कब तक ऐसी बातें करता रहेगा
    तेरे शब्द तेज आँधी की तरह बह रहे हैं।
परमेश्वर सदा निष्पक्ष है।
    न्यायपूर्ण बातों को सर्वशक्तिशाली परमेश्वर कभी नहीं बदलता है।
अत: यदि तेरी सन्तानों ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है तो, उसने उन्हें दण्डित किया है।
    अपने पापों के लिये उन्हें भुगतना पड़ा है।
किन्तु अब अय्यूब, परमेश्वर की ओर दृष्टि कर
    और सर्वशक्तिमान परमेश्वर से उस की दया पाने के लिये विनती कर।
यदि तू पवित्र है, और उत्तम है तो वह शीघ्र आकर तुझे सहारा
    और तुझे तेरा परिवार और वस्तुऐं तुझे लौटायेगा।
जो कुछ भी तूने खोया वह तुझे छोटी सी बात लगेगी।
    क्यों? क्योंकि तेरा भविष्य बड़ा ही सफल होगा।

“उन वृद्ध लोगों से पूछ और पता कर कि
    उनके पूर्वजों ने क्या सीखा था।
क्योंकि ऐसा लगता है जैसे हम तो बस कल ही पैदा हुए हैं,
    हम कुछ नहीं जानते।
परछाई की भाँति हमारी आयु पृथ्वी पर बहुत छोटी है।
10 हो सकता है कि वृद्ध लोग तुझे कुछ सिखा सकें।
    हो सकता है जो उन्होंने सीखा है वे तुझे सिखा सकें।”

11 बिलदद ने कहा, “क्या सूखी भूमि में भोजपत्र का वृक्ष बढ़ कर लम्बा हो सकता है?
    नरकुल बिना जल के बढ़ सकता है?
12 नहीं, यदि पानी सूख जाता है तो वे भी मुरझा जायेंगे।
    उन्हें काटे जाने के योग्य काट कर काम में लाने को वे बहुत छोटे रह जायेंगे।
13 वह व्यक्ति जो परमेश्वर को भूल जाता है, नरकुल की भाँति होता है।
    वह व्यक्ति जो परमेश्वर को भूल जाता है कभी आशावान नहीं होगा।
14 उस व्यक्ति का विश्वास बहुत दुर्बल होता है।
    वह व्यक्ति मकड़ी के जाले के सहारे रहता है।
15 यदि कोई व्यक्ति मकड़ी के जाले को पकड़ता है
    किन्तु वह जाला उस को सहारा नहीं देगा।
16 वह व्यक्ति उस पौधे के समान है जिसके पास पानी और सूर्य का प्रकाश बहुतायात से है।
    उसकी शाखाऐं बगीचे में हर तरफ फैलती हैं।
17 वह पत्थर के टीले के चारों ओर अपनी जड़े फैलाता है
    और चट्टान में उगने के लिये कोई स्थान ढूँढता है।
18 किन्तु जब वह पौधा अपने स्थान से उखाड़ दिया जाता है,
    तो कोई नहीं जान पाता कि वह कभी वहाँ था।
19 किन्तु वह पौधा प्रसन्न था, अब दूसरे पौधे वहाँ उगेंगे,
    जहाँ कभी वह पौधा था।
20 किन्तु परमेश्वर किसी भी निर्दोष व्यक्ति को नहीं त्यागेगा
    और वह बुरे व्यक्ति को सहारा नहीं देगा।
21 परमेश्वर अभी भी तेरे मुख को हँसी से भर देगा
    और तेरे ओठों को खुशी से चहकायेगा।
22 और परमेश्वर तेरे शत्रुओं को लज्जित करेगा
    और वह तेरे शत्रुओं के घरों को नष्ट कर देगा।”

1 कुरिन्थियों 7:1-9

विवाह

अब उन बातों के बारे में जो तुमने लिखीं थीं: अच्छा यह है कि कोई पुरुष किसी स्त्री को छुए ही नहीं। किन्तु यौन अनैतिकता की घटनाओं की सम्भावनाओं के कारण हर पुरुष की अपनी पत्नी होनी चाहिये और हर स्त्री का अपना पति। पति को चाहिये कि पत्नी के रूप में जो कुछ पत्नी का अधिकार बनता है, उसे दे। और इसी प्रकार पत्नी को भी चाहिये कि पति को उसका यथोचित प्रदान करे। अपने शरीर पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं हैं बल्कि उसके पति का है। और इसी प्रकार पति का भी उसके अपने शरीर पर कोई अधिकार नहीं है, बल्कि उसकी पत्नी का है। अपने आप को प्रार्थना में समर्पित करने के लिये थोड़े समय तक एक दूसरे से समागम न करने की आपसी सहमती को छोड़कर, एक दूसरे को संभोग से वंचित मत करो। फिर आत्म-संयम के अभाव के कारण कहीं शैतान तुम्हें किसी परीक्षा में न डाल दे, इसलिए तुम फिर समागम कर लो। मैं यह एक छूट के रूप में कह रहा हूँ, आदेश के रूप में नहीं। मैं तो चाहता हूँ सभी लोग मेरे जैसे होते। किन्तु हर व्यक्ति को परमेश्वर से एक विशेष बरदान मिला है। किसी का जीने का एक ढंग है तो दूसरे का दूसरा।

अब मुझे अविवाहितों और विधवाओं के बारे में यह कहना है:यदि वे मेरे समान अकेले ही रहें तो उनके लिए यह उत्तम रहेगा। किन्तु यदि वे अपने आप पर काबू न रख सकें तो उन्हें विवाह कर लेना चाहिये; क्योंकि वासना की आग में जलते रहने से विवाह कर लेना अच्छा है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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