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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 146

यहोवा का गुण गान कर!
    मेरे मन, यहोवा की प्रशंसा कर।
मैं अपने जीवन भर यहोवा के गुण गाऊँगा।
    मैं अपने जीवन भर उसके लिये यश गीत गाऊँगा।
अपने प्रमुखों के भरोसे मत रहो।
    सहायता पाने को व्यक्ति के भरोसे मत रहो, क्योंकि तुमको व्यक्ति बचा नहीं सकता है।
लोग मर जाते हैं और गाड़ दिये जाते है।
    फिर उनकी सहायता देने की सभी योजनाएँ यूँ ही चली जाती है।
जो लोग, याकूब के परमेश्वर से अति सहायता माँगते, वे अति प्रसन्न रहते हैं।
    वे लोग अपने परमेश्वर यहोवा के भरोसे रहा करते हैं।
यहोवा ने स्वर्ग और धरती को बनाया है।
    यहोवा ने सागर और उसमें की हर वस्तु बनाई है।
यहोवा उनको सदा रक्षा करेगा।
जिन्हें दु:ख दिया गया, यहोवा ऐसे लोगों के संग उचित बात करता है।
    यहोवा भूखे लोगों को भोजन देता है।
यहोवा बन्दी लोगों को छुड़ा दिया करता है।
    यहोवा के प्रताप से अंधे फिर देखने लग जाते हैं।
यहोवा उन लोगों को सहारा देता जो विपदा में पड़े हैं।
    यहोवा सज्जन लोगों से प्रेम करता है।
यहोवा उन परदेशियों की रक्षा किया करता है जो हमारे देश में बसे हैं।
    यहोवा अनाथों और विधवाओं का ध्यान रखता है
    किन्तु यहोवा दुर्जनों के कुचक्र को नष्ट करता हैं।
10 यहोवा सदा राज करता रहे!
    सिय्योन तुम्हारा परमेश्वर पर सदा राज करता रहे!

यहोवा का गुणगान करो!

रूत 2:1-9

रूत का बोअज से मिलना

बेतलेहेम में एक धनी पुरुष रहता था। उसका नाम बोअज़ था। बोअज़ एलीमेलेक परिवार से नाओमी के निकट सम्बन्धियों में से एक था।

एक दिन रूत ने (मोआबी स्त्री) नाओमी से कहा, “मैं सोचती हूँ कि मैं खेतों में जाऊँ। हो सकता है कि कोई ऐसा व्यक्ति मुझे मिले जो मुझ पर दया करके, मेरे लिए उस अन्न को इकट्ठा करने दे जिसे वह अपने खेत में छोड़ रहा हो।”

नाओमी ने कहा, “पुत्री, ठीक है, जाओ।”

अत: रूत खेतों में गई। वह फसल काटने वाले मजदूरों के पीछे चलती रही और उसने वह अन्न इकट्ठा किया जो छोड़ दिया गया था।[a] ऐसा हुआ कि उस खेत का एक भाग एलीमेलेक पिरवार के व्यक्ति बोअज का था। बाद में, बेतलेहेम से बोअज़ खेत में आया। बोअज़ ने अपने मज़दूरों का हालचाल पूछा। उसने कहा, “यहोवा तुम्हारे साथ हो!”

मज़दूरों ने उत्तर दिया, “यहोवा आपको आशीर्वाद दे!”

तब बोअज़ ने अपने उस सेवक से बातें कीं, जो मज़दूरों का निरीक्षक था। उसने पूछा, “वह लड़की किस की है?”

सेवक ने उत्तर दिया, “यह वही मोआबी स्त्री है जो मोआब के पहाड़ी प्रदेश से नाओमी के साथ आई है। वह बहुत सवेरे आई और मुझसे उसने पूछा कि क्या मैं मज़दूरों के पीछे चल सकती हूँ और भूमि पर गिरे अन्न को इकट्ठा कर सकती हूँ और यह तब से काम कर रही है। उसका घर वहाँ है।”

तब बोअज़ ने रूत से कहा, “बेटी, सुनो। तुम अपने लिये अन्न इकट्ठा करने के लिये मेरे खेत में रहो। तुम्हें किसी अन्य व्यक्ति के खेत में जाने की आवश्यकता नहीं है। मेरी दासियों के पीछे चलती रहो। यह ध्यान में रखो कि वे किस खेत में जा रही है और उनका अनुसरण करो। मैंने युवकों को चेतावनी दे दी है कि वे तुम्हें परेशान न करें। जब तुम्हें प्यास लगे, तो उसी घड़े से पानी पीओ जिस से मेरे आदमी पीते हैं।”

रोमियों 3:21-31

परमेश्वर मनुष्यों को धर्मी कैसे बनाता है

21 किन्तु अब वास्तव में मनुष्य के लिये यह दर्शाया गया है कि परमेश्वर व्यवस्था के बिना ही उसे अपने प्रति सही कैसे बनाता है। निश्चय ही व्यवस्था और नबियों ने इसकी साक्षी दी है। 22 सभी विश्वासियों के लिये यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता प्रकट की गयी है बिना किसी भेदभाव के। 23 क्योंकि सभी ने पाप किये है और सभी परमेश्वर की महिमा से रहित है। 24 किन्तु यीशु मसीह में सम्पन्न किए गए अनुग्रह के छुटकारे के द्वारा उसके अनुग्रह से वे एक सेंतमेत के उपहार के रूप में धर्मी ठहराये गये हैं। 25 परमेश्वर ने यीशु मसीह को, उसमें विश्वास के द्वारा पापों से छुटकारा दिलाने के लिये, लोगों को दिया। उसने यह काम यीशु मसीह के बलिदान के रूप में किया। ऐसा यह प्रमाणित करने के लिए किया गया कि परमेश्वर सहनशील है क्योंकि उसने पहले उन्हें उनके पापों का दण्ड दिये बिना छोड़ दिया था। 26 आज भी अपना न्याय दर्शाने के लिए कि वह न्यायपूर्ण है और न्यायकर्ता भी है, उनका जो यीशु मसीह में विश्वास रखते हैं।

27 तो फिर घमण्ड करना कहाँ रहा? वह तो समाप्त हो गया। भला कैसे? क्या उस विधि से जिसमें व्यवस्था जिन कर्मों की अपेक्षा करती है, उन्हें किया जाता है? नहीं, बल्कि उस विधि से जिसमें विश्वास समाया है। 28 कोई व्यक्ति व्यवस्था के कामों के अनुसार चल कर नहीं बल्कि विश्वास के द्वारा ही धर्मी बन सकता है। 29 या परमेश्वर क्या बस यहूदियों का है? क्या वह ग़ैर यहूदियों का नहीं है? हाँ वह ग़ैर यहूदियों का भी है। 30 क्योंकि परमेश्वर एक है। वही उनको जिनका उनके विश्वास के आधार पर ख़तना हुआ है, और उनको जिनका ख़तना नहीं हुआ है उसी विश्वास के द्वारा, धर्मी ठहरायेगा। 31 सो क्या, हम विश्वास के आधार पर व्यवस्था को व्यर्थ ठहरा रहे है? निश्चय ही नहीं। बल्कि हम तो व्यवस्था को और अधिक शक्तिशाली बना रहे हैं।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International