Revised Common Lectionary (Complementary)
आरोहण गीत।
1 हे यहोवा, मैं गहन कष्ट में हूँ
सो सहारा पाने को मैं तुम्हें पुकारता हूँ।
2 मेरे स्वामी, तू मेरी सुन ले।
मेरी सहायता की पुकार पर कान दे।
3 हे यहोवा, यदि तू लोगों को उनके सभी पापों का सचमुच दण्ड दे
तो फिर कोई भी बच नहीं पायेगा।
4 हे यहोवा, निज भक्तों को क्षमा कर।
फिर तेरी अराधना करने को वहाँ लोग होंगे।
5 मैं यहोवा की बाट जोह रहा हूँ कि वह मुझको सहायता दे।
मेरी आत्मा उसकी प्रतीक्षा में है।
यहोवा जो कहता है उस पर मेरा भरोसा है।
6 मैं अपने स्वामी की बाट जोहता हूँ।
मैं उस रक्षक सा हूँ जो उषा के आने की प्रतीक्षा में लगा रहता है।
7 इस्राएल, यहोवा पर विश्वास कर।
केवल यहोवा के साथ सच्चा प्रेम मिलता है।
यहोवा हमारी बार—बार रक्षा किया करता है।
8 यहोवा इस्राएल को उनके सारे पापों के लिए क्षमा करेगा।
लोगों के कनान जाने पर प्रतिबन्ध
34 “यहोवा ने तुम्हारा कहना सुना, वह क्रोधित हुआ। उसने प्रतिज्ञा की। उसने कहा, 35 ‘आज तुम जीवित बुरे लोगों में से कोई भी व्यक्ति उस अच्छे देश में नहीं जाएगा जिसे देने का वचन मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया है। 36 यपुन्ने का पुत्र कालेब ही केवल उस देश को देखेगा। मैं कालेब को वह देश दूँगा जिस पर वह चला और मैं उस देश को कालेब के वंशजों को दूँगा। क्यों? क्यो कि कालेब ने वह सब किया जो मेरा आदेश था।’
37 “यहोवा तुम लोगों के कारण मुझसे भी अप्रसन्न था। उसने मुझसे कहा, ‘तुम भी उस देश में नहीं जा सकते। 38 किन्तु तुम्हारा सहायक, नून का पुत्र यहोशू उस देश में जाएगा। यहोशू को उत्साहित करो, क्योंकि वही इस्राएल के लोगों को भूमि पर अपना अधिकार जामाने के लिए ले जाएगा।’ 39 और यहोवा ने हमसे कहा, ‘तुमने कहा, कि तुम्हारे छोटे बच्चे शत्रु द्वारा ले लिए जायेंगे। किन्तु वे बच्चे उस देश में जायेंगे। मैं तुम्हारी गलतियों के लिए तुम्हारे बच्चों को दोषी नहीं मानता। क्योंकि वे अभी इतने छोटे हैं कि वे यह जान नहीं सकते कि क्या सही है और क्या गलत। इसलिए मैं उन्हें वह देश दूँगा। तुम्हारे बच्चे अपने देश के रूप में उसे प्राप्त करेंगे। 40 लेकिन तुम्हें, पीछे मुड़ना चाहिए और लाल सागर जाने वाले मार्ग से मरुभूमि को जाना चाहिए।’
5 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी यह काया अर्थात् यह तम्बू जिसमें हम इस धरती पर रहते हैं गिरा दिया जाये तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग में एक चिरस्थायी भवन मिल जाता है जो मनुष्य के हाथों बना नहीं होता। 2 सो हम जब तक इस आवास में हैं, हम रोते-धोते रहते हैं और यही चाहते रहते हैं कि अपने स्वर्गीय भवन में जा बसें। 3 निश्चय ही हमारी यह धारणा है कि हम उसे पायेंगे और फिर बेघर नहीं रहेंगे। 4 हममें से वे जो इस तम्बू यानी भौतिक शरीर में स्थित हैं, बोझ से दबे कराह रहे हैं। कारण यह है कि हम इन वस्त्रों को त्यागना नहीं चाहते बल्कि उनके ही ऊपर उन्हें धारण करना चाहते हैं ताकि जो कुछ नाशवान है, उसे अनन्त जीवन निगल ले। 5 जिसने हमें इस प्रयोजन के लिये ही तैयार किया है, वह परमेश्वर ही है। उसी ने इस आश्वासन के रूप में कि अपने वचन के अनुसार वह हमको देगा, बयाने के रूप में हमें आत्मा दी है।
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