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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 78:1-4

आसाप का एक गीत।

मेरे भक्तों, तुम मेरे उपदेशों को सुनो।
    उन बातों पर कान दो जिन्हें मैं बताना हूँ।
मैं तुम्हें यह कथा सुनाऊँगा।
    मैं तुम्हें पुरानी कथा सुनाऊँगा।
हमने यह कहानी सुनी है, और इसे भली भाँति जानते हैं।
    यह कहानी हमारे पूर्वजों ने कही।
इस कहानी को हम नहीं भूलेंगे।
    हमारे लोग इस कथा को अगली पीढ़ी को सुनाते रहेंगे।
हम सभी यहोवा के गुण गायेंगे।
    हम उन के अद्भुत कर्मो का जिनको उसने किया है बखान करेंगे।

भजन संहिता 78:52-72

52 फिर उसने इस्राएल की चरवाहे के समान अगुवाई की।
    परमेश्वर ने अपने लोगों को ऐसे राह दिखाई जैसे जंगल में भेड़ों कि अगुवाई की है।
53 वह अपनेनिज लोगों को सुरक्षा के साथ ले चला।
    परमेश्वर के भक्तों को किसी से डर नहीं था।
    परमेश्वर ने उनके शत्रुओं को लाल सागर में हुबाया।
54 परमेश्वर अपने निज भक्तों को अपनी पवित्र धरती पर ले आया।
    उसने उन्हें उस पर्वत पर लाया जिसे उसने अपनी ही शक्ति से पाया।
55 परमेश्वर ने दूसरी जातियों को वह भूमि छोड़ने को विवश किया।
    परमेश्वर ने प्रत्येक घराने को उनका भाग उस भूमि में दिया।
    इस तरह इस्राएल के घराने अपने ही घरों में बस गये।
56 इतना होने पर भी इस्राएल के लोगों ने परम परमेश्वर को परखा और उसको बहुत दु:खी किया।
    वे लोग परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करते थे।
57 इस्राएल के लोग परमेश्वर से भटक कर विमुख हो गये थे।
    वे उसके विरोध में ऐसे ही थे, जैसे उनके पूर्वज थे। वे इतने बुरे थे जैसे मुड़ा धनुष।
58 इस्राएल के लोगों ने ऊँचे पूजा स्थल बनाये और परमेश्वर को कुपित किया।
    उन्होंने देवताओं की मूर्तियाँ बनाई और परमेश्वर को ईर्ष्यालु बनाया।
59 परमेश्वर ने यह सुना और बहुत कुपित हुआ।
    उसने इस्राएल को पूरी तरह नकारा!
60 परमेश्वर ने शिलोह के पवित्र तम्बू को त्याग दिया।
    यह वही तम्बू था जहाँ परमेश्वर लोगों के बीच में रहता था।
61 फिर परमेश्वर ने उसके निज लोगों को दूसरी जातियों को बंदी बनाने दिया।
    परमेश्वर के “सुन्दर रत्न” को शत्रुओं ने छीन लिया।
62 परमेश्वर ने अपने ही लोगों (इस्राएली) पर निज क्रोध प्रकट किया।
    उसने उनको युद्ध में मार दिया।
63 उनके युवक जलकर राख हुए,
    और वे कन्याएँ जो विवाह योग्य थीं, उनके विवाह गीत नहीं गाये गए।
64 याजक मार डाले गए,
    किन्तु उनकी विधवाएँ उनके लिए नहीं रोई।
65 अंत में, हमारा स्वामी उठ बैठा
    जैसे कोई नींद से जागकर उठ बैठता हो।
    या कोई योद्धा दाखमधु के नशे से होश में आया हो।
66 फिर तो परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को मारकर भगा दिया और उन्हें पराजित किया।
    परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को हरा दिया और सदा के लिये अपमानित किया।
67 किन्तु परमेश्वर ने यूसुफ के घराने को त्याग दिया।
    परमेश्वर ने इब्राहीम परिवार को नहीं चुना।
68 परमेश्वर ने यहूदा के गोत्र को नहीं चुना
    और परमेश्वर ने सिय्योन के पहाड़ को चुना जो उसको प्रिय है।
69 उस ऊँचे पर्वत पर परमेश्वर ने अपना पवित्र मन्दिर बनाया।
    जैसे धरती अडिग है वैसे ही परमेश्वर ने निज पवित्र मन्दिर को सदा बने रहने दिया।
70 परमेश्वर ने दाऊद को अपना विशेष सेवक बनाने में चुना।
    दाऊद तो भेड़ों की देखभाल करता था, किन्तु परमेश्वर उसे उस काम से ले आया।
71 परमेश्वर दाऊद को भेड़ों को रखवाली से ले आया
    और उसने उसे अपने लोगों कि रखवाली का काम सौंपा, याकूब के लोग, यानी इस्राएल के लोग जो परमेश्वर की सम्पती थे।
72 और फिर पवित्र मन से दाऊद ने इस्राएल के लोगों की अगुवाई की।
    उसने उन्हें पूरे विवेक से राह दिखाई।

1 शमूएल 21:1-6

दाऊद का याजक अहीमेलेक से मिलने जाना

21 तब दाऊद चला गया और योनातान नगर को लौट गया। दाऊद नोब नामक नगर में याजक अहीमेलेक से मिलने गया।

अहीमेलेक दाऊद से मिलने बाहर गया। अहीमेलेक भय से काँप रहा था। अहीमेलेक ने दाऊद से पूछा, “तुम अकेले क्यों हो? तुम्हारे साथ कोई व्यक्ति क्यों नहीं है?”

दाऊद ने अहीमेलेक को उत्तर दिया, “राजा ने मुझको विशेष आदेश दिया है। उसने मुझसे कहा है, ‘इस उद्देश्य को किसी को न जानने दो। कोई भी व्यक्ति उसे न जाने जिसे मैंने तुम्हें करने को कहा है।’ मैंने अपने व्यक्तियों से कह दिया है कि वे कहाँ मिलें। अब यह बताओ कि तुम्हारे पास भोजन के लिये क्या है? मुझे पाँच रोटियाँ या जो कुछ खाने को है, दो।”

याजक ने दाऊद से कहा, “मेरे पास यहाँ सामान्य रोटियाँ नहीं हैं। किन्तु मेरे पास कुछ पवित्र रोटी तो है। तुम्हारे अधिकारी उसे खा सकते हैं, यदि उन्होंने किसी स्त्री के साथ इन दिनों शारीरिक सम्बन्ध न किया हो।”[a]

दाऊद ने याजक को उत्तर दिया “हम लोग इन दिनों किसी स्त्री के साथ नहीं रहे हैं। हमारे व्यक्ति अपने शरीर को पवित्र रखते हैं जब कभी हम युद्ध करने जाते हैं, यहाँ तक कि सामान्य उद्देश्य के लिये जाने पर भी[b] और आज के लिए तो यह विशेष रूप से सच है क्योंकि हमारा काम अति विशिष्ट है।”

वहाँ पवित्र रोटी के अतिरिक्त कोई रोटी नहीं थी। अत: याजक ने दाऊद को वही रोटी दी। यह वह रोटी थी जिसे याजक यहोवा के सामने पवित्र मेज पर रखते थे। वे हर एक दिन इस रोटी को हटा लेते थे और उसकी जगह ताजी रोटी रखते थे।

यूहन्ना 5:1-18

तालाब पर ला-इलाज रोगी का ठीक होना

इसके बाद यीशु यहूदियों के एक उत्सव में यरूशलेम गया। यरूशलेम में भेड़-द्वार के पास एक तालाब है, इब्रानी भाषा में इसे “बेतहसदा” कहा जाता है। इसके किनारे पाँच बरामदे बने हैं जिनमें नेत्रहीन, अपंग और लकवे के बीमारों की भीड़ पड़ी रहती है।[a] [b] इन रोगियों में एक ऐसा मरीज़ भी था जो अड़तीस वर्ष से बीमार था। जब यीशु ने उसे वहाँ लेटे देखा और यह जाना कि वह इतने लम्बे समय से बीमार है तो यीशु ने उससे कहा, “क्या तुम नीरोग होना चाहते हो?”

रोगी ने जवाब दिया, “हे प्रभु, मेरे पास कोई नहीं है जो जल के हिलने पर मुझे तालाब में उतार दे। जब मैं तालाब में जाने को होता हूँ, सदा कोई दूसरा आदमी मुझसे पहले उसमें उतर जाता है।”

यीशु ने उससे कहा, “खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा और चल पड़।” वह आदमी तत्काल अच्छा हो गया। उसने अपना बिस्तर उठाया और चल दिया।

उस दिन सब्त का दिन था। 10 इस पर यहूदियों ने उससे, जो नीरोग हुआ था, कहना शुरू किया, “आज सब्त का दिन है और हमारे नियमों के यह विरुद्ध है कि तू अपना बिस्तर उठाए।”

11 इस पर उसने जवाब दिया, “जिसने मुझे अच्छा किया है उसने कहा है कि अपना बिस्तर उठा और चल।”

12 उन लोगों ने उससे पूछा, “वह कौन व्यक्ति है जिसने तुझसे कहा था, अपना बिस्तर उठा और चल?”

13 पर वह व्यक्ति जो ठीक हुआ था, नहीं जानता था कि वह कौन था क्योंकि उस जगह बहुत भीड़ थी और यीशु वहाँ से चुपचाप चला गया था।

14 इसके बाद यीशु ने उस व्यक्ति को मन्दिर में देखा और उससे कहा, “देखो, अब तुम नीरोग हो, इसलिये पाप करना बन्द कर दो। नहीं तो कोई और बड़ा कष्ट तुम पर आ सकता है।” फिर वह व्यक्ति चला गया।

15 और यहूदियों से आकर उसने कहा कि उसे ठीक करने वाला यीशु था।

16 क्योंकि यीशु ने ऐसे काम सब्त के दिन किये थे इसलिए यहूदियों ने उसे सताना शुरू कर दिया। 17 यीशु ने उन्हें उत्तर देते हुए कहा, “मेरा पिता कभी काम बंद नहीं करता, इसीलिए मैं भी निरन्तर काम करता हूँ।” इसलिये यहूदी उसे मार डालने का और अधिक प्रयत्न करने लगे।

18 न केवल इसलिये कि वह सब्त को तोड़ रहा था बल्कि वह परमेश्वर को अपना पिता भी कहता था। और इस तरह अपने आपको परमेश्वर के समान ठहराता था।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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