Revised Common Lectionary (Complementary)
25 हे यहोवा, मेरा स्तुति गान महासभा के बीच तुझसे ही आता है।
उन सबके सामने जो तेरी उपासना करते हैं। मैं उन बातों को पूरा करुँगा जिनको करने की मैंने प्रतिज्ञा की है।
26 दीन जन भोजन पायेंगे और सन्तुष्ट होंगे।
तुम लोग जो उसे खोजते हुए आते हो उसकी स्तुति करो।
मन तुम्हारे सदा सदा को आनन्द से भर जायें।
27 काश सभी दूर देशों के लोग यहोवा को याद करें
और उसकी ओर लौट आयें।
काश विदेशों के सब लोग यहोवा की आराधना करें।
28 क्योंकि यहोवा राजा है।
वह प्रत्येक राष्ट्र पर शासन करता है।
29 लोग असहाय घास के तिनकों की भाँति धरती पर बिछे हुए हैं।
हम सभी अपना भोजन खायेंगे और हम सभी कब्रों में लेट जायेंगे।
हम स्वयं को मरने से नहीं रोक सकते हैं। हम सभी भूमि में गाड़ दिये जायेंगे।
हममें से हर किसी को यहोवा के सामने दण्डवत करना चाहिए।
30 और भविष्य में हमारे वंशज यहोवा की सेवा करेंगे।
लोग सदा सर्वदा उस के बारे में बखानेंगे।
31 वे लोग आयेंगे और परमेश्वर की भलाई का प्रचार करेंगे
जिनका अभी जन्म ही नहीं हुआ।
दर्शन में पके फल
8 यहोवा ने मुझे यह दिखाया: मैंने ग्रीष्म के फलों की एक टोकरी देखी: 2 यहोवा ने पूछा, “आमोस, तुम क्या देखते हो”
मैंने कहा, “ग्रीष्म के फलों की एक टोकरी।”
तब यहोवा ने मुझसे कहा, “मेरे लोग इस्राएलियों का अन्त आ गया है। मैं उनके पापों को और अनदेखा नहीं कर सकता। 3 मन्दिर के गीत शोक गीत बन जाएंगे। मेरे स्वामी यहोवा ने यह सब कहा। सर्वत्र शव ही होंगे। सन्नाटे में लोग शवों को ले जाएंगे और उनके ढेर लगा देंगे।”
इस्राएल के व्यापारी केवल धन बनाने में लगे रहना चाहते हैं
4 मेरी सुनो! लोगों तुम असहायों को कुचलते हो।
तुम इस देश के गरीबों को नष्ट करना चाहते हो।
5 व्यापारियों, तुम कहते हो,
“नवचन्द्र कब बीतेगा, जिससे हम अन्न बेच सकेंगे
सब्त कब बीतेगा,
जिससे हम अपना गेहूँ बेचने को ला सकेंगे
हम कीमतें बढ़ा सकेंगे,
बाटों को हलका कर सकेंगे,
और हम तराजुओं को ऐसा व्यवस्थित कर लेंगे
कि लोगों को ठग सकें।
6 गरीब अपना ऋण वापस नहीं कर सकते अत:
हम उन्हें दास के रूप में खरीदेंगे।
हम उऩ गरीबों को
एक जोड़ी जूतों की कीमत में खरीदेंगे।
अहो! हम उस खराब गेहूँ को भी बेच सकते हैं,
जो फर्श पर बिखर गया हो।”
7 यहोवा ने प्रतिज्ञा की। उसने “याकूब गर्व” नामक अपने नाम का उपयोग किया और यह प्रतिज्ञा की:
“मैं उन लोगों के किये कामों के लिये उन्हें क्षमा नहीं कर सकता।
8 1-3 इस तरह शाऊल ने स्तिफनुस की हत्या का समर्थन किया।
विश्वासियों पर अत्याचार
उसी दिन से यरूशलेम की कलीसिया पर घोर अत्याचार होने आरम्भ हो गये। प्रेरितों को छोड़ वे सभी लोग यहूदिया और सामरिया के गाँवों में तितर-बितर हो कर फैल गये। कुछ भक्त जनों ने स्तिफनुस को दफना दिया और उसके लिये गहरा शोक मनाया। शाऊल ने कलीसिया को नष्ट करना आरम्भ कर दिया। वह घर-घर जा कर औरत और पुरूषों को घसीटते हुए जेल में डालने लगा। 4 उधर तितर-बितर हुए लोग हर कहीं जा कर सुसमाचार का संदेश देने लगे।
सामरिया में फिलिप्पुस का उपदेश
5 फिलिप्पुस सामरिया नगर को चला गया और वहाँ लोगों में मसीह का प्रचार करने लगा। 6 फिलिप्पुस के लोगों ने जब सुना और जिन अद्भुत चिन्हों को वह प्रकट किया करता था, देखा, तो जिन बातों को वह बताया करता था, उन पर उन्होंने गम्भीरता के साथ ध्यान दिया। 7 बहुत से लोगों में से, जिनमें दुष्टात्माएँ समायी थी, वे ऊँचे स्वर में चिल्लाती हुई बाहर निकल आयीं थी। बहुत से लकवे के रोगी और विकलांग अच्छे हो रहे थे। 8 उस नगर में उल्लास छाया हुआ था।
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