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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 150

यहोवा की प्रशंसा करो!
परमेश्वर के मन्दिर में उसका गुणगान करो!
    उसकी जो शक्ति स्वर्ग में है, उसके यशगीत गाओ!
उन बड़े कामों के लिये परमेश्वर की प्रशंसा करो, जिनको वह करता है!
    उसकी गरिमा समूची के लिये उसका गुणगान करो!
तुरही फूँकते और नरसिंगे बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
    उसका गुणगान वीणा और सारंगी बजाते हुए करो!
परमेश्वर की स्तुति तम्बूरों और नृत्य से करो!
    उसका यश उन पर जो तार से बजाते हैं और बांसुरी बजाते हुए गाओ!
तुम परमेश्वर का यश झंकारते झाँझे बजाते हुए गाओ!
    उसकी प्रशंसा करो!

हे जीवों! यहोवा की स्तुति करो!

यहोवा की प्रशंसा करो!

नीतिवचन 9:1-6

सुबुद्धि और दुर्बुद्धि

सुबुद्धि ने अपना घर बनाया है। उसने अपने सात खम्भे गढ़े हैं। उसने अपना भोजन तैयार किया और मिश्रित किया अपना दाखमधु अपनी खाने की मेज पर सजा ली है। और अपनी दासियों को नगर के सर्वोच्च स्थानों से बुलाने को भेजा है। “जो भी भोले भले हैं, यहाँ पर पधारें।” जो विवेकी नहीं, वह उनसे यह कहती है, “आओ, मेरा भोजन करो, और मिश्रित किया हुआ मेरा दाखमधु पिओ। तुम अपनी दुर्बद्धि के मार्ग को छोड़ दो, तो जीवित रहोगे। तुम समझ—बूझ के मार्ग पर आगे बढ़ो।”

मरकुस 16:9-18

कुछ अनुयायियों को यीशु का दर्शन

(मत्ती 28:9-10; यूहन्ना 20:11-18; लूका 24:13-35)

सप्ताह के पहले दिन प्रभात में जी उठने के बाद वह सबसे पहले मरियम मगदलीनी के सामने प्रकट हुआ जिसे उसने सात दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया था। 10 उसने यीशु के साथियों को, जो शोक में डूबे, विलाप कर रहे थे, जाकर बताया। 11 जब उन्होंने सुना कि यीशु जीवित है और उसने उसे देखा है तो उन्होंने विश्वास नहीं किया।

12 इसके बाद उनमें से दो के सामने जब वे खेतों को जाते हुए मार्ग में थे, वह एक दूसरे रूप में प्रकट हुआ। 13 उन्होंने लौट कर औरों को भी इसकी सूचना दी पर उन्होंने भी उनका विश्वास नहीं किया।

शिष्यों से यीशु की बातचीत

(मत्ती 28:16-20; लूका 24:36-49; यूहन्ना 20:19-23; प्रेरितों के काम 1:6-8)

14 बाद में, जब उसके ग्यारहों शिष्य भोजन कर रहे थे, वह उनके सामने प्रकट हुआ और उसने उन्हें उनके अविश्वास और मन की जड़ता के लिए डाँटा फटकारा क्योंकि इन्होंने उनका विश्वास ही नहीं किया था जिन्होंने जी उठने के बाद उसे देखा था।

15 फिर उसने उनसे कहा, “जाओ और सारी दुनिया के लोगों को सुसमाचार का उपदेश दो। 16 जो कोई विश्वास करता है और बपतिस्मा लेता है, उसका उद्धार होगा और जो अविश्वासी है, वह दोषी ठहराया जायेगा। 17 जो मुझमें विश्वास करेंगे, उनमें ये चिह्न होंगे: वे मेरे नाम पर दुष्टात्माओं को बाहर निकाल सकेंगे, वे नयी-नयी भाषा बोलेंगे, 18 वे अपने हाथों से साँप पकड़ लेंगे और वे यदि विष भी पी जायें तो उनको हानि नहीं होगी, वे रोगियों पर अपने हाथ रखेंगे और वे चंगे हो जायेंगे।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International