Revised Common Lectionary (Complementary)
1 आओ हम यहोवा के गुण गाएं!
आओ हम उस चट्टान का जय जयकार करें जो हमारी रक्षा करता है।
2 आओ हम यहोवा के लिये धन्यवाद के गीत गाएं।
आओ हम उसके प्रशंसा के गीत आनन्दपूर्वक गायें।
3 क्यों? क्योंकि यहोवा महान परमेश्वर है।
वह महान राजा सभी अन्य “देवताओं” पर शासन करता है।
4 गहरी गुफाएँ और ऊँचे पर्वत यहोवा के हैं।
5 सागर उसका है, उसने उसे बनाया है।
परमेश्वर ने स्वयं अपने हाथों से धरती को बनाया है।
6 आओ, हम उसको प्रणाम करें और उसकी उपासना करें।
आओ हम परमेश्वर के गुण गाये जिसने हमें बनाया है।
7 वह हमारा परमेश्वर
और हम उसके भक्त हैं।
यदि हम उसकी सुने
तो हम आज उसकी भेड़ हैं।
8 परमेश्वर कहता है, “तुम जैसे मरिबा और मरूस्थल के मस्सा में कठोर थे
वैसे कठोर मत बनो।
9 तेरे पूर्वजों ने मुझको परखा था।
उन्होंने मुझे परखा, पर तब उन्होंने देखा कि मैं क्या कर सकता हूँ।
10 मैं उन लोगों के साथ चालीस वर्ष तक धीरज बनाये रखा।
मैं यह भी जानता था कि वे सच्चे नहीं हैं।
उन लोगों ने मेरी सीख पर चलने से नकारा।
11 सो मैं क्रोधित हुआ और मैंने प्रतिज्ञा की
वे मेरे विशाल कि धरती पर कभी प्रवेश नहीं कर पायेंगे।”
8 मेरा पतन हुआ है।
किन्तु हे मेरे शत्रु, मेरी हँसी मत उड़ा!
मैं फिर से खड़ा हो जाऊँगा।
यद्यपि आज अंधेरे में बैठा हूँ यहोवा मेरे लिये प्रकाश होगा।
यहोवा क्षमा करता है
9 यहोवा के विरूद्ध मैंने पाप किया था।
अत: वह मुझ पर क्रोधित था।
किन्तु न्यायालय में वह मेरे अभियोग का वकालत करेगा।
वह, वे ही काम करेगा जो मेरे लिये उचित है।
फिर वह मुझको बाहर प्रकाश में ले आयेगा
और मैं उसके छुटकारे को देखूँगा।
10 फिर मेरी बैरिन यह देखेगी
और लज्जित हो जायेगी।
मेरे शत्रु ने यह मुझ से कहा था,
“तेरा परमेश्वर यहोवा कहाँ है”
उस समय, मैं उस पर हँसूंगी।
लोग उसको ऐसे कुचल देंगे जैसे गलियों में कीचड़ कुचली जाती है।
यहूदी लौटने को हैं
11 वह समय आयेगा, जब तेरे परकोटे का फिर निर्माण होगा,
उस समय तुम्हारा देश विस्तृत होंगे।
12 तेरे लोग तेरी धरती पर लौट आयेंगे।
वे लोग अश्शूर से आयेंगे और वे लोग मिस्र के नगरों से आयेंगे।
तेरे लोग मिस्र से और परात नदी के दूसरे छोर से आयेंगे।
वे पश्चिम के समुद्र से और पूर्व के पहाड़ों से आयेंगे।
13 धरती उन लोगों के कारण जो इसके निवासी थे
बर्बाद हुई थी, उन कर्मो के कारण जिनको वे करते थे।
14 सो अपने राजदण्ड से तू उन लोगों का शासन कर।
तू उन लोगों के झुण्ड का शासन कर जो तेरे अपने हैं।
लोगों का वह झुण्ड जंगलों में
और कर्म्मेल के पहाड़ पर अकेला ही रहता है।
वह झुण्ड बाशान में रहता है और गिलाद में बसता है
जैसे वह पहले रहा करता था!
इस्राएल अपने शत्रुओं को हरायेगा
15 जब मैं तुमको मिस्र से निकाल कर लाया था, तो मैंने बहुत से चमत्कार किये थे।
वैसे ही और चमत्कार मैं तुमको दिखाऊँगा।
16 वे चमत्कार जातियाँ देखेंगी
और लज्जित हो जायेंगी।
वे जातियाँ देखेंगी कि
उनकी “शक्ति” मेरे सामने कुछ नहीं हैं।
वे चकित रह जायेंगे
और वे अपने मुखों पर हाथ रखेंगे!
वे कानों को बन्द कर लेंगे
और कुछ नहीं सुनेंगे।
17 वे सांप से धूल चाटते हुये धरती पर लोटेंगे,
वा भय से काँपेंगे।
जैसे कीड़े निज बिलों से रेंगते हैं,
वैसे ही वे धरती पर रेंगा करेंगे।
वे डरे—कांपते हुये हमारे परमेश्वर यहोवा के पास जायेंगे।
परमेश्वर, वे तुम्हारे सामने डरेंगे।
यहोवा की स्तुति
18 तेरे समान कोई परमेश्वर नहीं है।
तू पापी जनों को क्षमा कर देता है।
तू अपने बचे हुये लोगों के पापों को क्षमा करता है।
यहोवा सदा ही क्रोधित नहीं रहेगा,
क्योंकि उसको दयालु ही रहना भाता है।
19 हे यहोवा, हमारे पापों को दूर करके फिर हमको सुख चैन देगा,
हमारे पापों को तू दूर गहरे सागर में फेंक देगा।
20 याकूब के हेतु तू सच्चा होगा।
इब्राहीम के हेतु तू दयालु होगा, तूने ऐसी ही प्रतिज्ञा बहुत पहले हमारे पूर्वजो के साथ की थी।
26 तब एक गीत गा कर वे जैतून के पहाड़ पर चले गये।
यीशु की भविष्यवाणी—सब शिष्य उसे छोड़ जायेंगे
(मत्ती 26:31-35; लूका 22:31-34; यूहन्ना 13:36-38)
27 यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब का विश्वास डिग जायेगा। क्योंकि लिखा है:
‘मैं गड़ेरिये को मारूँगा और
भेड़ें तितर-बितर हो जायेंगी।’(A)
28 किन्तु फिर से जी उठने के बाद मैं तुमसे पहले ही गलील चला जाऊँगा।”
29 तब पतरस बोला, “चाहे सब अपना विश्वास खो बैठें, पर मैं नहीं खोऊँगा।”
30 इस पर यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सत्य कहता हूँ, आज इसी रात मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले तू तीन बार मुझे नकार चुकेगा।”
31 इस पर पतरस ने और भी बल देते हुए कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े तो भी मैं तुझे कभी नकारूँगा नहीं!” तब बाकी सब शिष्यों ने भी ऐसा ही कहा।
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