Old/New Testament
पहिले चार शिष्यों का बुलाया जाना
5 एक दिन मसीह येशु गन्नेसरत झील के तट पर खड़े थे. वहाँ एक बड़ी भीड़ उनसे परमेश्वर का वचन सुनने के लिए उन पर गिर पड़ रही थी. 2 मसीह येशु ने तट पर नावेँ देखीं. मछुवारे उन्हें छोड़ कर चले गए थे क्योंकि वे अपने जाल धो रहे थे. 3 मसीह येशु एक नाव पर बैठ गए, जो शिमोन की थी. उन्होंने शिमोन से नाव को तट से कुछ दूर झील में ले जाने के लिए कहा और तब उन्होंने नाव में बैठ कर इकट्ठा भीड़ को शिक्षा देनी प्रारम्भ कर दी.
4 जब वह अपना विषय समाप्त कर चुके, शिमोन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा, “नाव को गहरे जल में ले चलो और तब जाल डालो.”
5 शिमोन प्रभु से बोले, “स्वामी! हम रात भर कठिन परिश्रम कर चुके हैं किन्तु हाथ कुछ न लगा, फिर भी, इसलिए कि यह आप कह रहे हैं, मैं जाल डाल देता हूँ.”
6 यह कहते हुए उन्होंने जाल डाल दिए. जाल में इतनी बड़ी संख्या में मछलियां आ गईं कि जाल फटने लगे 7 इसलिए उन्होंने दूसरी नाव के सहमछुवारों को सहायता के लिए बुलाया. उन्होंने आ कर सहायता की और दोनों नावों में इतनी मछलियां भर गईं कि बोझ के कारण नावें डूबने लगीं.
8 सच्चाई का अहसास होते ही शिमोन मसीह येशु के चरणों पर गिर कहने लगे, “आप मुझसे दूर ही रहिए प्रभु, मैं एक पापी मनुष्य हूँ.” 9 यह इसलिए कि शिमोन तथा उनके साथी मछुवारे इतनी मछलियों के पकड़े जाने से अचम्भित थे. 10 शिमोन के अन्य साथी, ज़ेबेदियॉस के दोनों पुत्र, याक़ोब और योहन भी यह देख भौचक्के रह गए थे.
तब मसीह येशु ने शिमोन से कहा, “डरो मत! अब से तुम मछलियों को नहीं, मनुष्यों को मेरे पास लाओगे.” 11 इसलिए उन्होंने नावें तट पर लगाईं और सब कुछ त्याग कर मसीह येशु के पीछे चलने लगे.
कोढ़ रोगी की शुद्धि
(मत्ति 8:1-4; मारक 1:40-45)
12 किसी नगर में एक व्यक्ति था, जिसके सारे शरीर में कोढ़ रोग फैल चुका था. मसीह येशु को देख उसने भूमि पर गिर कर उनसे विनती की, “प्रभु! यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं.”
13 मसीह येशु ने हाथ बढ़ा कर उसका स्पर्श किया और कहा, “मैं चाहता हूँ, शुद्ध हो जाओ!” तत्काल ही उसे कोढ़ रोग से चंगाई प्राप्त हो गई.
14 मसीह येशु ने उसे आज्ञा दी, “इसके विषय में किसी से कुछ न कहना परन्तु जा कर याजक को अपने शुद्ध होने का प्रमाण दो तथा मोशेह द्वारा निर्धारित शुद्धि-बलि भेंट करो कि तुम्हारा कोढ़ से छुटकारा उनके सामने गवाही हो जाए.”
15 फिर भी मसीह येशु के विषय में समाचार और भी अधिक फैलता गया. परिणामस्वरूप लोग भारी संख्या में उनके प्रवचन सुनने और बीमारियों से चँगा होने की अभिलाषा से उनके पास आने लगे. 16 मसीह येशु प्रायः भीड़ को छोड़, गुप्त रूप से, एकान्त में जा कर प्रार्थना किया करते थे.
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