Read the New Testament in 24 Weeks
माईलोगन अऊ सांप सहीं पसु
12 अकास म एक महान अऊ अद्भूत चिन्हां परगट होईस; एक झन माईलोगन ह सूरज ला पहिरे रहय। ओकर गोड़ के खाल्हे म चंदा रहय अऊ ओकर मुड़ी म बारह ठन तारामन के मुकुट रहय। 2 ओह पेट म रिहिस, अऊ लइका जनमे के पीरा ले कलपत रिहिस। 3 तब एक अऊ चिन्हां अकास म परगट होईस; एक बड़े लाल रंग के सांप सहीं पसु रहय। ओकर सात ठन मुड़ी अऊ दस ठन सिंग रहय अऊ सातों मुड़ी म सात ठन मुकुट रहय। 4 ओकर पुंछी ह अकास के एक तिहाई तारामन ला खींचके धरती ऊपर फटिक दीस। सांप सहीं पसु ह ओ माईलोगन के आघू म ठाढ़ हो गीस, जेकर लइका होवइया रहय, ताकि ओह लइका के जनमतेच ही ओ लइका ला लील सकय। 5 ओ माईलोगन ह एक बेटा ला जनमिस, जऊन ह लोहा के राजदंड ले जम्मो देस ऊपर राज करही। अऊ ओ लइका ला झपटके परमेसर अऊ ओकर सिंघासन करा लाने गीस। 6 तब ओ माईलोगन ह सुनसान जगह ला भाग गीस; उहां परमेसर ह ओकर बर एक जगह तियार करे रिहिस, जिहां एक हजार दू सौ साठ दिन तक ओकर देख-भाल करे जा सकय।
7 तब स्वरग म लड़ई होय लगिस। मीकाएल अऊ ओकर दूतमन सांप सहीं पसु के संग लड़िन, अऊ सांप सहीं पसु अऊ ओकर दूतमन एमन के संग लड़िन[a]। 8 पर सांप सहीं पसु ह हार गीस, अऊ ओला अऊ ओकर दूतमन ला स्वरग म अपन जगह ला छोड़ना पड़िस। 9 ओ सांप सहीं पसु ला फटिक दिये गीस। ए सांप सहीं पसु ह ओ पुराना सांप ए, जऊन ला इबलीस या सैतान कहे जाथे अऊ जऊन ह संसार के जम्मो मनखेमन ला धोखा देथे। ओला अऊ ओकर दूतमन ला धरती म फटिक दिये गीस।
10 तब मेंह स्वरग ले एक ऊंचहा अवाज आवत सुनेंव, जऊन ह ए कहत रहय:
“अब हमर परमेसर ले उद्धार ह आ गे हवय!
परमेसर ह राजा के रूप म अपन सामरथ ला देखाय हवय,
अऊ ओकर मसीह ह अपन अधिकार ला देखाय हवय।
काबरकि हमर भाईमन ऊपर दोस लगइया ला स्वरग ले फटिक दे गे हवय,
जऊन ह दिन रात हमर परमेसर के आघू म ओमन ऊपर दोस लगावत रिहिस।
11 हमर भाईमन मेढ़ा-पीला के लहू
अऊ अपन गवाही के बचन के दुवारा ओ सैतान ऊपर जय पाईन;
ओमन अपन जिनगी ला देके मरे बर तियार रिहिन।
12 एकरसेति, हे स्वरग अऊ ओम रहइयामन,
आनंद मनावव! पर हे धरती अऊ समुंदर तुमन ला धिक्कार ए,
काबरकि सैतान ह उतरके तुम्हर करा आय हवय!
ओह कोरोध ले भरे हवय, काबरकि ओह जानथे
कि ओकर करा अऊ थोरकन समय बचे हवय।”
13 जब ओ सांप सहीं पसु ह देखिस कि ओला धरती ऊपर फटिक दिये गे हवय, त ओह ओ माईलोगन के पाछू पड़ गीस, जऊन ह एक बेटा ला जनमे रिहिस। 14 ओ माईलोगन ला एक बड़े गिधवा के दू ठन डेना दिये गीस, ताकि ओह सुनसान जगह म ओ ठऊर ला उड़ के जा सकय, जिहां सांप के पहुंच ले बाहिर, ओकर साढ़े तीन साल तक देख-भाल करे जावय। 15 तब सांप ह अपन मुहूं ले ओ माईलोगन कोति नदिया सहीं पानी के धार छोंड़िस, ताकि माईलोगन ह पानी के धार म बोहा जावय। 16 पर धरती ह ओ माईलोगन के मदद करिस। धरती ह अपन मुहूं ला खोलके ओ पानी ला पी गीस, जऊन ह ओ सांप सहीं पसु के मुहूं ले निकरत रिहिस। 17 तब ओ सांप सहीं पसु ह ओ माईलोगन ऊपर गुस्सा करिस अऊ ओह माईलोगन के बांचे संतानमन ले लड़ई करे बर निकरिस – याने कि ओ मनखेमन ले, जऊन मन परमेसर के हुकूम ला मानथें अऊ यीसू के ऊपर बिसवास म अटल रहिथें। 18 अऊ ओ सांप सहीं पसु ह समुंदर तीर म ठाढ़ हो गीस।
समुंदर ले निकरे पसु
13 अऊ मेंह एक ठन पसु ला समुंदर ले निकरत देखेंव। ओकर दस ठन सिंग अऊ सात ठन मुड़ी रिहिस। ओकर दस ठन सिंग म दस ठन मुकुट रहय अऊ ओकर हर एक मुड़ी म एक निन्दा करइया नांव लिखाय रहय। 2 जऊन पसु ला मेंह देखेंव, ओह चीता के सहीं रहय, पर ओकर गोड़मन भलुआ के गोड़ सहीं रहंय अऊ ओकर मुहूं ह सिंह के मुहूं सहीं रहय। सांप सहीं पसु ह ए पसु ला अपन सक्ति, अपन सिंघासन अऊ बहुंते अधिकार दीस। 3 अइसने लगत रहय कि ओ पसु के एक ठन मुड़ी म एक बड़े घाव होय रिहिस, पर ओ बड़े घाव ह बने हो गे रिहिस। जम्मो संसार के मनखेमन अचरज करिन अऊ ओ पसु के पाछू हो लीन। 4 मनखेमन सांप सहीं पसु के पूजा करिन, काबरकि ओह पसु ला अधिकार दे रिहिस; अऊ ओमन ए कहत पसु के घलो पूजा करिन, “ए पसु के सहीं कोन हवय? एकर संग कोन लड़ई कर सकथे?”
5 ओ पसु ला डींग मारे के अऊ निन्दा करे के अनुमती दिये गीस। ओला बियालीस महिना तक अपन अधिकार के उपयोग करे के अनुमती घलो दिये गीस। 6 ओह परमेसर के निन्दा करिस। ओह परमेसर के नांव अऊ ओकर रहे के जगह अऊ ओ मनखेमन के निन्दा करिस, जऊन मन स्वरग म रहिथें। 7 ओला अनुमती दिये गीस कि ओह पबितर मनखेमन संग लड़ई करय अऊ ओमन ऊपर जय पावय। अऊ ओला हर एक जाति, मनखे, भासा अऊ देस ऊपर अधिकार दिये गीस। 8 धरती के रहइया जम्मो मनखेमन ओ पसु के पूजा करहीं – याने कि ओ जम्मो मनखे, जेमन के नांव ह सिरिस्टी के रचे के पहिली ले जिनगी के किताब म नइं लिखाय हवय। ए जिनगी के किताब ह ओ मेढ़ा-पीला के अय, जऊन ह मार डारे गीस।
9 जेकर कान हवय, ओह सुन ले!
10 कहूं कोनो ला कैद म जाना हवय,
त ओह कैद म जाही।
कहूं कोनो ला तलवार ले मरना हवय,
त ओह तलवार ले मारे जाही।
एकर खातिर पबितर मनखेमन ला धीरज अऊ बिसवास के जरूरत हवय।
धरती म ले निकरे पसु
11 तब मेंह एक ठन अऊ पसु ला देखेंव, जऊन ह धरती म ले निकरत रहय। ओकर मेढ़ा-पीला के सिंग सहीं दू ठन सिंग रहय, पर ओह सांप सहीं पसु जइसने गोठियावय। 12 ओह पहिली पसु कोति ले ओकर जम्मो अधिकार के उपयोग करथे। ओह धरती अऊ ओकर रहइयामन ला बाध्य करथे कि ओमन ओ पहिली पसु के पूजा करंय, जेकर एक बड़े घाव ह बने हो गे रिहिस। 13 ए दूसरा पसु ह बड़े-बड़े चमतकार देखाईस, अऊ त अऊ ओह मनखेमन के देखत म अकास ले धरती ऊपर आगी बरसा देवत रिहिस। 14 पहिली पसु कोति ले, ओला जऊन चमतकार देखाय के अधिकार मिले रिहिस, ओ चमतकार के दुवारा ओह धरती के मनखेमन ला भरमा दीस। ओह मनखेमन ला हुकूम दीस कि ओमन ओ पसु के आदर म एक मूरती बनावंय, जऊन ह तलवार ले घात करे के बाद घलो जीयत रिहिस। 15 ओला पहिली पसु के मूरती ला जीयाय के सक्ति दिये गीस, ताकि ओ मूरती ह गोठियावय, अऊ ओ जम्मो झन ला मरवा देवय, जऊन मन ओ मूरती के पूजा नइं करिन। 16 ओह छोटे या बड़े, धनी या गरीब, सुतंतर या गुलाम, जम्मो मनखे मन ला बाध्य करथे कि ओमन जेवनी हांथ या अपन माथा म एक छाप लगावंय। 17 बिगर ओ छाप के, कोनो घलो मनखे लेन-देन नइं कर सकंय। ओ छाप म पसु के नांव या ओकर नांव के संख्या लिखाय रहय।
18 एकर खातिर बुद्धि के जरूरत हवय। कहूं काकरो करा बुद्धि हवय, त ओह ए पसु के संख्या के हिसाब कर ले, काबरकि एह एक मनखे के संख्या ए। एकर संख्या 666 ए।
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