Read the New Testament in 24 Weeks
इसरायल के एक लाख चवालिस हजार मनखे
7 एकर बाद मेंह धरती के चारों कोना म चार स्वरगदूतमन ला ठाढ़े देखेंव। ओमन धरती के चारों दिग के हवा ला थामे रिहिन, ताकि धरती या समुंदर या रूख ऊपर हवा झन चलय। 2 तब मेंह एक अऊ स्वरगदूत ला पूरब दिग ले आवत देखेंव। ओह जीयत परमेसर के मुहर ला धरे रहय। ओह ओ चारों स्वरगदूत ले, जऊन मन ला धरती अऊ समुंदर के नुकसान करे के अधिकार दिये गे रिहिस, पुकारके कहिस, 3 “जब तक हमन अपन परमेसर के सेवकमन के माथा म मुहर नइं लगा लेवन, तब तक धरती या समुंदर या रूखमन के नुकसान झन करव।” 4 अऊ मेंह मुहर लगे मनखेमन के गनती ला सुनेंव। एमन इसरायल के जम्मो गोत्र म ले 144,000 रिहिन।
5 यहूदा के गोत्र के 12,000,
रूबेन के गोत्र के 12,000,
गाद के गोत्र के 12,000,
6 आसेर के गोत्र के 12,000,
नपताली के गोत्र के 12,000,
मनस्से के गोत्र के 12,000,
7 सिमोन के गोत्र के 12,000,
लेवी के गोत्र के 12,000,
इस्साकार के गोत्र के 12,000,
8 जबूलून के गोत्र के 12,000,
यूसुफ के गोत्र के 12,000,
अऊ बिन्यामीन के गोत्र के 12,000 मनखेमन म मुहर लगिस।
सफेद कपड़ा पहिरे मनखेमन के बड़े भीड़
9 एकर बाद मेंह जम्मो देस, गोत्र, जाति अऊ भासा के मनखेमन के एक बड़े भीड़ ला देखेंव, जेकर गनती कोनो नइं कर सकत रिहिन। ओमन सफेद कपड़ा पहिरे अऊ हांथ म खजूर के डालीमन ला धरके सिंघासन अऊ मेढ़ा-पीला के आघू म ठाढ़े रिहिन। 10 अऊ ओमन ऊंचहा अवाज म चिचियाके कहत रिहिन:
“सिंघासन म बिराजे हमर परमेसर
अऊ मेढ़ा-पीला के दुवारा उद्धार होथे।”
11 सिंघासन, अगुवा अऊ चारों जीयत परानी के चारों कोति जम्मो स्वरगदूतमन ठाढ़े रहंय। ओमन सिंघासन के आघू म मुहूं के भार गिरिन अऊ ए कहत परमेसर के अराधना करिन:
12 “आमीन!
हमर परमेसर के इस्तुति,
महिमा, बुद्धि, धनबाद, आदर,
सामरथ अऊ बल जुग-जुग तक होवय,
आमीन!”
13 तब अगुवामन ले एक झन मोर ले पुछिस, “जऊन मन सफेद कपड़ा पहिरे हवंय, ओमन कोन अंय, अऊ ओमन कहां ले आय हवंय?”
14 मेंह कहेंव, “हे महाराज, तेंह जानथस।”
अऊ ओह कहिस, “एमन ओ मनखे अंय, जऊन मन भारी सतावा म ले होके आय हवंय। एमन मेढ़ा-पीला के लहू म अपन कपड़ा ला धोके सफेद कर ले हवंय।
15 एकरसेति,
एमन परमेसर के सिंघासन के आघू म ठाढ़े रहिथें,
अऊ रात-दिन परमेसर के सेवा ओकर मंदिर म करथें,
अऊ जऊन ह सिंघासन म बिराजे हवय,
ओह ओमन के संग रहिके ओमन के रकछा करही।
16 ‘एमन ला न तो कभू भूख लगही,
अऊ न कभू पियास।
सूरज के घाम ह एमन के कुछू नइं कर सकय,’[a]
अऊ तीपत गरमी के कुछू असर एमन ऊपर नइं होवय।
17 काबरकि जऊन मेढ़ा-पीला ह सिंघासन के आघू म हवय,
ओह ओमन के चरवाहा होही;
‘ओह ओमन ला जिनगी के पानी के सोतामन करा ले जाही।’
‘अऊ परमेसर ह ओमन के आंखी के जम्मो आंसू ला पोंछही।’[b]”
सातवां मुहर अऊ सोन के धूपदान
8 जब मेढ़ा-पीला ह सातवां मुहर ला टोरिस, त करीब आधा घंटा तक स्वरग म सन्नाटा छा गीस। 2 तब मेंह ओ सात स्वरगदूतमन ला देखेंव जऊन मन परमेसर के आघू म ठाढ़े रहिथें। ओमन ला सात ठन तुरही दिये गीस।
3 तब एक आने स्वरगदूत, जऊन ह सोन के धूपदान धरे रहय, आईस अऊ बेदी करा ठाढ़ हो गीस। ओला अब्बड़ अकन धूप दिये गीस कि ओह ओला जम्मो पबितर मनखेमन के पराथना के संग सिंघासन के आघू म सोन के बेदी ऊपर चघावय। 4 अऊ स्वरगदूत के हांथ ले धूप के धुआं ह पबितर मनखेमन के पराथना के संग ऊपर उठिस अऊ परमेसर के आघू म हबरिस। 5 तब स्वरगदूत ह धूपदान ला लीस अऊ ओला बेदी के आगी ले भरिस अऊ ओला धरती ऊपर फटिक दीस, त बादर के गरजन, अवाज, बिजली के कड़क अऊ भुइंडोल होईस।
तुरहीमन
6 तब ओ सात स्वरगदूत, जेमन करा सात ठन तुरही रिहिस, अपन-अपन तुरही ला फूंके के तियारी करिन।
7 पहिली स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, त लहू म मिले करा अऊ आगी आईस अऊ एला धरती ऊपर डारे गीस। एम एक तिहाई धरती ह जर गीस; एक तिहाई रूखमन जर गीन अऊ जम्मो हरिहर कांदी घलो जर गीस।
8 दूसरा स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, त आगी म जरत एक बड़े पहाड़ सहीं चीज ला समुंदर म फटिके गीस; 9 अऊ एक तिहाई पानी ह लहू हो गीस, समुंदर के एक तिहाई जीयत परानीमन मर गीन अऊ एक तिहाई पानी जहाजमन नास हो गीन।
10 तब तीसरा स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, त मसाल के सहीं बरत एक बड़े तारा ह अकास ले एक तिहाई नदीमन ऊपर अऊ पानी के सोता ऊपर गिरिस। 11 ओ तारा के नांव नागदऊना ए। अऊ धरती के एक तिहाई पानी ह करू हो गीस, अऊ ओ करू पानी ला पीके कतको मनखेमन मर गीन[c]।
12 तब चौथा स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, त एक तिहाई सूरज अऊ एक तिहाई चंदा अऊ एक तिहाई तारामन ऊपर बिपत पड़िस, जेकर ले ओमन के एक तिहाई भाग ह अंधियार हो गीस अऊ दिन के एक तिहाई भाग म अंजोर नइं होईस अऊ रात के एक तिहाई भाग म घलो अंजोर नइं होईस।
13 तब मेंह देखेंव अऊ सुनेंव कि ऊंच अकास म उड़त एक गिधवा ह ऊंचहा अवाज म ए कहत रहय, “बाकि बचे तीन स्वरगदूतमन जऊन तुरही फूंकइया हवंय, ओकर कारन धरती के रहइयामन ऊपर हाय! हाय! हाय!”
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