M’Cheyne Bible Reading Plan
8 भोर को वह दोबारा मन्दिर में आए और लोगों के मध्य 2 बैठ कर उनको शिक्षा देने लगे.
व्यभिचारिणी का दोष से छुड़ाया जाना
3 उसी समय फ़रीसियों व शास्त्रियों ने व्यभिचार के कार्य में पकड़ी गई एक स्त्री को ला कर मध्य में खड़ा कर दिया 4 और मसीह येशु से प्रश्न किया, “गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते हुए पकड़ी गई है. 5 मोशेह ने व्यवस्था में हमें ऐसी स्त्रियों को पथराव द्वारा मार डालने की आज्ञा दी है; किन्तु आप क्या कहते हैं?” 6 उन्होंने मसीह येशु को परखने के लिए यह प्रश्न किया था कि उन पर आरोप लगाने के लिए उन्हें कोई आधार मिल जाए किन्तु मसीह येशु झुक कर भूमि पर उँगली से लिखने लगे.
7 जब वे मसीह येशु से बार-बार प्रश्न करते रहे, मसीह येशु ने सीधे खड़े हो कर उनसे कहा, “तुम में से जिस किसी ने कभी कोई पाप न किया हो, वही उसे सबसे पहला पत्थर मारे” 8 और वह दोबारा झुक कर भूमि पर लिखने लगे. 9 यह सुनकर वरिष्ठ से प्रारम्भ कर एक-एक करके सब वहाँ से चले गए—केवल वह स्त्री और मसीह येशु ही वहाँ रह गए. 10 मसीह येशु ने सीधे खड़े होते हुए स्त्री की ओर देखकर उससे पूछा, “हे स्त्री!, वे सब कहाँ हैं? क्या तुम्हें किसी ने भी दण्डित नहीं किया?” 11 उसने उत्तर दिया, “किसी ने भी नहीं, प्रभु.” मसीह येशु ने उससे कहा, “मैं भी तुम्हें दण्डित नहीं करता. जाओ, अब फिर पाप न करना.”
संसार की ज्योति मसीह येशु
12 मन्दिर में अपनी शिक्षा को दोबारा आरम्भ करते हुए मसीह येशु ने लोगों से कहा, “मैं ही संसार की ज्योति हूँ. जो कोई मेरे पीछे चलता है, वह अन्धकार में कभी न चलेगा क्योंकि जीवन की ज्योति उसी में बसेगी.”
13 तब फ़रीसियों ने उनसे कहा, “तुम अपने ही विषय में गवाही दे रहे हो इसलिए तुम्हारी गवाही स्वीकार नहीं की जा सकती है.”
14 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “यदि मैं स्वयं अपने विषय में गवाही दे भी रहा हूँ, तो भी मेरी गवाही स्वीकार की जा सकती है क्योंकि मुझे मालूम है कि मैं कहाँ से आया हूँ और कहाँ जा रहा हूँ; किन्तु तुम लोग नहीं जानते कि मैं कहाँ से आया और कहाँ जा रहा हूँ. 15 तुम लोग मानवीय सोच से अन्य लोगों का न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता. 16 यदि मैं किसी का न्याय करूँ भी तो वह सही ही होगा क्योंकि इसमें मैं अकेला नहीं—इसमें मैं और मेरे भेजनेवाले दोनों मिले हैं. 17 तुम्हारी व्यवस्था में ही यह लिखा है कि दो व्यक्तियों की गवाही सच के रूप में स्वीकार की जा सकती है. 18 एक गवाह तो मैं हूँ, जो स्वयं अपने विषय में गवाही दे रहा हूँ और मेरे विषय में अन्य गवाह—मेरे भेजनेवाले—पिता परमेश्वर हैं”.
19 तब उन्होंने मसीह येशु से पूछा, “कहाँ है तुम्हारा यह पिता?” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “न तो तुम मुझे जानते हो और न ही मेरे पिता को; यदि तुम मुझे जानते तो मेरे पिता को भी जान लेते.” 20 मसीह येशु ने ये वचन मन्दिर परिसर में शिक्षा देते समय कहे, फिर भी किसी ने उन पर हाथ नहीं डाला क्योंकि उनका समय अभी नहीं आया था.
आगामी न्याय-दण्ड की चेतावनी
21 मसीह येशु ने उनसे फिर कहा, “मैं जा रहा हूँ. तुम मुझे खोजते-खोजते अपने ही पाप में मर जाओगे. जहाँ मैं जा रहा हूँ, तुम वहाँ नहीं आ सकते.”
22 तब यहूदी आपस में विचार करने लगे, “कहीं वह आत्महत्या तो नहीं करेगा क्योंकि वह कह रहा है, ‘जहाँ मैं जा रहा हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते’?”
23 मसीह येशु ने उनसे कहा, “तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूँ, तुम इस संसार के हो, मैं इस संसार का नहीं हूँ. 24 मैं तुमसे कह चुका हूँ कि तुम्हारे पापों में ही तुम्हारी मृत्यु होगी. क्योंकि जब तक तुम यह विश्वास न करोगे कि मैं वह हूँ, जो मैं कहता हूँ कि मैं हूँ, तुम्हारी अपने ही पापों में मृत्यु होना निश्चित है.”
25 तब उन्होंने उनसे पूछा, “कौन हो तुम?”
मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुमसे मैं अब तक क्या कहता आ रहा हूँ? 26 तुम्हारे विषय में मुझे बहुत कुछ कहना और निर्णय करना है. मैं संसार से वही कहता हूँ, जो मैंने अपने भेजनेवाले से सुना है. मेरे भेजनेवाले विश्वासयोग्य हैं.”
27 वे अब तक यह समझ नहीं पाए थे कि मसीह येशु उनसे पिता परमेश्वर के विषय में कह रहे थे. 28 मसीह येशु ने उनसे कहा, “जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊँचा उठाओगे तब तुम जान लोगे कि मैं वही हूँ और यह भी कि मैं स्वयं कुछ नहीं कहता, मैं वही कहता हूँ, जो पिता ने मुझे सिखाया है. 29 मेरे भेजनेवाले मेरे साथ हैं, उन्होंने मुझे अकेला नहीं छोड़ा क्योंकि मैं सदा वही करता हूँ, जिसमें उनकी खुशी है.” 30 ये सब सुन कर अनेकों ने मसीह येशु में विश्वास किया.
मसीह येशु तथा अब्राहाम—परमेश्वर की वास्तविक सन्तान
31 तब मसीह येशु ने उन यहूदियों से, जिन्होंने उन्हें मान्यता दे दी थी, कहा, “यदि तुम मेरी शिक्षाओं का पालन करते रहोगे तो वास्तव में मेरे शिष्य होगे. 32 तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा.”
33 उन्होंने मसीह येशु को उत्तर दिया, “हम अब्राहाम के वंशज हैं और हम कभी भी किसी के दास नहीं हुए. तुम यह कैसे कहते हो ‘तुम स्वतन्त्र हो जाओगे’?”
34 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: हर एक व्यक्ति, जो पाप करता है, वह पाप का दास है. 35 दास हमेशा घर में नहीं रहता; पुत्र हमेशा रहता है. 36 इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतन्त्र करे तो तुम वास्तव में स्वतन्त्र हो जाओगे. 37 मैं जानता हूँ कि तुम अब्राहाम के वंशज हो फिर भी तुम मेरी हत्या करने की ताक में हो; यह इसलिए कि तुमने मेरे सन्देश को ह्रदय में ग्रहण नहीं किया. 38 मैं वही कहता हूँ, जो मैंने साक्षात अपने पिता को करते हुए देखा है, परन्तु तुम वह करते हो, जो तुमने अपने पिता से सुना है.”
39 उन्होंने मसीह येशु से कहा, “हमारे पिता अब्राहाम हैं.”
मसीह येशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अब्राहाम की सन्तान,” “हो तो अब्राहाम के समान व्यवहार भी करो. 40 तुम मेरी हत्या करना चाहते हो—मैं, जिसने परमेश्वर से प्राप्त सच तुम पर प्रकट किया है. अब्राहाम का व्यवहार ऐसा नहीं था. 41 तुम्हारा व्यवहार तुम्हारे ही पिता के समान है.”
इस पर उन्होंने विरोध किया, “हम अवैध सन्तान नहीं हैं,” “हमारा एक ही पिता है—परमेश्वर.”
इबलीस की सन्तान
42 मसीह येशु ने उनसे कहा, “यदि परमेश्वर तुम्हारे पिता होते तो तुम मुझसे प्रेम करते क्योंकि मैं परमेश्वर से हूँ. मैं अपनी इच्छा से नहीं आया; परमेश्वर ने मुझे भेजा है. 43 मेरी बातें तुम इसीलिए नहीं समझते कि तुम में मेरा सन्देश सुनने की क्षमता नहीं है. 44 तुम अपने पिता शैतान से हो और उसी पिता की इच्छाओं को पूरा करना चाहते हो. वह प्रारम्भ से ही हत्यारा है और सच उसका आधार कभी रहा ही नहीं क्योंकि सच उसमें है ही नहीं. जब वह कुछ भी कहता है, अपने स्वभाव के अनुसार झूठ ही कहता है, क्योंकि वह झूठा और झूठ का पिता है. 45 मैं सच कहता हूँ इसीलिए तुम मेरा विश्वास नहीं करते. 46 तुम में से कौन मुझे पापी प्रमाणित कर सकता है? तो जब मैं सच कहता हूँ तो तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते? 47 वह, जो परमेश्वर का है, परमेश्वर के वचनों को सुनता है. ये वचन तुम इसीलिए नहीं सुनते कि तुम परमेश्वर के नहीं हो.”
मसीह येशु की अनन्तता
48 इस पर यहूदी बोले, “तो क्या हमारा यह मत सही नहीं कि तुम शोमरोनवासी हो और तुम में दुष्टात्मा समाया हुआ है?” 49 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “मुझमें दुष्टात्मा नहीं है. मैं अपने पिता का सम्मान करता हूँ और तुम मेरा अपमान करते हो. 50 मैं अपनी महिमा के लिए प्रयास नहीं करता हूँ; एक हैं, जो इसके लिए प्रयास करते हैं और निर्णय भी वही करते हैं. 51 मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: यदि कोई मेरी शिक्षा का पालन करेगा, उसकी मृत्यु कभी न होगी.”
52 इस पर यहूदियों ने मसीह येशु से कहा, “अब हमें निश्चय हो गया कि तुम में दुष्टात्मा है. अब्राहाम और भविष्यद्वक्ताओं की मृत्यु हो चुकी और तुम कहते हो कि जो कोई तुम्हारी शिक्षा का पालन करेगा, उसकी मृत्यु कभी न होगी. 53 क्या तुम हमारे पिता अब्राहाम से भी बड़े हो? उनकी मृत्यु हुई और भविष्यद्वक्ताओं की भी. तुम अपने आप को समझते क्या हो?”
54 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं स्वयं को महिमित करता हूँ तो मेरी महिमा व्यर्थ है. जिन्होंने मुझे महिमित किया है वह मेरे पिता हैं, जिन्हें तुम अपना पिता मानते हो. 55 तुम उन्हें नहीं जानते, मैं उन्हें जानता हूँ. यदि मैं यह कहता कि मैं उन्हें नहीं जानता तो मैं भी तुम्हारे समान झूठा साबित हो जाऊँगा. मैं उन्हें जानता हूँ, इसलिए उनके आदेशों का पालन करता हूँ. 56 तुम्हारे पिता अब्राहाम मेरा दिन देखने की आशा में मगन हुए थे. उन्होंने इसे देखा और आनन्दित हुए.”
57 तब यहूदियों ने कटाक्ष किया, “तुम्हारी आयु तो अभी पचास वर्ष की भी नहीं है और तुमने अब्राहाम को देखा है?”
58 मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: अब्राहाम के जन्म के पूर्व से मैं हूँ.” 59 यह सुनते ही उन्होंने मसीह येशु का पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए किन्तु मसीह येशु उनकी दृष्टि से बचते हुए मन्दिर से निकल गए.
परमेश्वर की संतान
4 मेरा कहने का उद्धेश्य यह है कि जब तक वारिस बालक है, दास और उसमें किसी भी प्रकार का अन्तर नहीं होता, यद्यपि वह हर एक वस्तु का स्वामी है. 2 वह पिता द्वारा निर्धारित समय तक के लिए रक्षकों व प्रबन्धकों के संरक्षण में रहता है. 3 इसी प्रकार हम भी, जब बालक थे, संसार की आदि शिक्षा के अधीन दासत्व में थे. 4 किन्तु निर्धारित समय के पूरा होने पर परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, जो स्त्री से जन्मे, व्यवस्था के अधीन, 5 कि उन सबको छुड़ा लें, जो व्यवस्था के अधीन हैं, कि हम परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार प्राप्त कर सकें. 6 अब इसलिए कि तुम सन्तान हो, परमेश्वर ने अपने पुत्र के आत्मा को, जो अब्बा, पिता पुकारता है, हमारे हृदयों में भेज दिया है. 7 इसलिए अब तुम दास नहीं परन्तु सन्तान बन गए हो और यदि तुम सन्तान हो तो परमेश्वर के द्वारा वारिस भी.
8 जब तुम परमेश्वर को नहीं जानते थे, उस समय तुम उनके दास थे, जो वास्तव में ईश्वर हैं ही नहीं. 9 किन्तु अब, जब तुमने परमेश्वर को जान लिया है, परन्तु यह कहें कि परमेश्वर द्वारा जान लिये गये हो, तो फिर तुम कमज़ोर तथा दयनीय आदि शिक्षाओं का दास बनने के लिए क्यों लौट रहे हो? क्या तुम्हें दोबारा उन्हीं का दास बनने की लालसा है? 10 तुम तो विशेष दिवस, माह, ऋतु तथा वर्ष मनाते जा रहे हो. 11 मुझे तुम्हारे लिए आशंका है कि कहीं तुम्हारे लिए मेरा परिश्रम व्यर्थ ही तो नहीं गया.
12 प्रियजन, मैं तुमसे विनती करता हूँ कि तुम मेरे समान बन जाओ क्योंकि मैं भी तुम्हारे समान बन गया हूँ. तुमने मुझे कोई हानि नहीं पहुंचाई. 13 तुम्हें याद होगा कि मैंने पहली बार अपनी अस्वस्थता की स्थिति में तुम्हें ईश्वरीय सुसमाचार सुनाया था 14 परन्तु मेरी शारीरिक स्थिति के कारण, जो तुम्हारे लिए एक परख थी, तुमने न तो मुझसे घृणा की और न ही मुझसे मुख मोड़ा, परन्तु मुझे इस प्रकार स्वीकार किया, मानो मैं परमेश्वर का स्वर्गदूत हूँ, मसीह येशु हूँ. 15 अब कहाँ गया तुम्हारा आनन्द मनाना? मैं स्वयं गवाह हूँ कि यदि सम्भव होता तो उस समय तुम अपनी आँखें तक निकाल कर मुझे दे देते. 16 क्या सिर्फ सच बोलने के कारण मैं तुम्हारा शत्रु हो गया?
17 वे तुम्हें अपने पक्ष में करने को उत्सुक हैं, किन्तु किसी भले मतलब से नहीं; उनका मतलब तो तुम्हें मुझसे अलग करना है कि तुम उनके शिष्य बन जाओ. 18 हमेशा ही अच्छे उद्धेश्य के लिए उत्साही होना उत्तम होता है और मात्र उसी समय नहीं, जब मैं तुम्हारे मध्य उपस्थित होता हूँ. 19 हे बालकों, तुममें मसीह का स्वरूप पूरी तरह विकसित होने तक मैं दोबारा प्रसव-पीड़ा में रहूँगा. 20 बड़ी अभिलाषा थी कि इस समय मैं तुम्हारे पास होता और मीठी वाणी में तुमसे बातें करता, क्योंकि तुम्हारे विषय में मैं दुविधा में पड़ा हूँ.
दो वाचाएँ: हागार तथा साराह
21 मुझे यह बताओ: तुम, जो व्यवस्था के अधीन रहना चाहते हो, क्या तुम वास्तव में व्यवस्था का पालन नहीं करते? 22 पवित्रशास्त्र में लिखा है कि अब्राहाम के दो पुत्र थे, एक दासी से और दूसरा स्वतन्त्र स्त्री से. 23 दासी का पुत्र शरीर से जन्मा था और स्वतन्त्र स्त्री के पुत्र का जन्म प्रतिज्ञा के पूरा होने के लिए हुआ था.
24 यह एक दृष्टान्त है. ये स्त्रियाँ दो वाचाएँ हैं. सीनय पर्वत की वाचा हागार है, जिससे दासत्व की सन्तान उत्पन्न होती है. 25 हागार अरब में सीनय पर्वत है, जो वर्तमान येरूशालेम का प्रतीक है क्योंकि वह सन्तानों सहित दासत्व में है; 26 किन्तु स्वर्गीय येरूशालेम स्वतन्त्र है. वह हमारी माता है. 27 जैसा कि लिखा है:
बाँझ, तुम, जो सन्तान उत्पन्न करने में असमर्थ हो,
आनन्दित हो.
तुम, जो प्रसव-पीड़ा से अनजान हो,
जय-जयकार करो,
क्योंकि त्यागी हुई की सन्तान सुहागिन की सन्तान से अधिक है.
28 प्रियजन, तुम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हो. 29 किन्तु जैसे उस समय शरीर से जन्मा पुत्र आत्मा से जन्मे पुत्र को सताया करता था, वैसी ही स्थिति इस समय भी है. 30 पवित्रशास्त्र का लेख क्या है? दासी व उसके पुत्र को निकाल दो क्योंकि दासी का पुत्र कभी भी स्वतन्त्र स्त्री के पुत्र के साथ वारिस नहीं होगा. 31 इसलिए, प्रियजन, हम दासी की नहीं परन्तु स्वतन्त्र स्त्री की सन्तान हैं.
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