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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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लूकॉ 21

कंगाल विधवा का दान

(मारक 12:41-44)

21 मसीह येशु ने देखा कि धनी व्यक्ति दानकोष में अपना-अपना दान डाल रहे हैं. उन्होंने यह भी देखा कि एक निर्धन विधवा ने दो छोटे सिक्के डाले हैं. इस पर मसीह येशु ने कहा, “सच यह है कि इस निर्धन विधवा ने उन सभी से बढ़कर दिया है. इन सबने तो अपने धन की बढ़ती में से दिया है किन्तु इस विधवा ने अपनी कंगाली में से अपनी सारी जीविका ही दे दी है.”

अन्त काल की घटनाओं का प्रकाशन

(मत्ति 24:1-25; मारक 13:1-23)

जब कुछ शिष्य मन्दिर के विषय में चर्चा कर रहे थे कि यह भवन कितने सुन्दर पत्थरों तथा मन्नत की भेंटों से सजाया है; मसीह येशु ने उनसे कहा, “जिन वस्तुओं को तुम इस समय सराह रहे हो, एक दिन आएगा कि इन भवनों का एक भी पत्थर दूसरे पर स्थापित न दिखेगा—हर एक पत्थर भूमि पर पड़ा होगा.”

उन्होंने मसीह येशु से प्रश्न किया, “गुरुवर, यह कब घटित होगा तथा इनके पूरा होने के समय का चिन्ह क्या होगा?”

मसीह येशु ने उत्तर दिया, “सावधान रहना कि तुम भटका न दिए जाओ, क्योंकि मेरे नाम में अनेक आएंगे और दावा करेंगे, ‘मैं मसीह हूँ’ तथा ‘वह समय पास आ गया है’, किन्तु उनकी न सुनना. जब तुम युद्धों तथा बलवों के समाचार सुनो तो भयभीत न होना. इनका पहले घटना ज़रूरी है फिर भी इनके तुरन्त बाद अन्त नहीं होगा.”

10 तब मसीह येशु ने उनसे कहा, “राष्ट्र राष्ट्र के तथा राज्य राज्य के विरुद्ध उठ खड़ा होगा. 11 भीषण भूकम्प आएंगे. विभिन्न स्थानों पर महामारियां होंगी तथा अकाल पड़ेंगे. भयावह घटनाएँ होंगी तथा आकाश में अचम्भित दृश्य दिखाई देंगे.

12 “इन सबके पहले वे तुम्हें पकड़ लेंगे और तुम्हें यातनाएँ देंगे. मेरे नाम के कारण वे तुम्हें सभागृहों में ले जाएँगे, बन्दीगृह में डाल देंगे तथा तुम्हें राजाओं और राज्यपालों के हाथों में सौंप देंगे. 13 इसके परिणामस्वरूप तुम्हें गवाही देने का सुअवसर प्राप्त हो जाएगा. 14 इसलिए यह सुनिश्चित करो कि तुम पहले ही अपने बचाव की तैयारी नहीं करोगे, 15 क्योंकि तुम्हें अपने बचाव में कहने के विचार तथा बुद्धि मैं दूँगा, जिसका तुम्हारे विरोधी न तो सामना कर सकेंगे और न ही खण्डन. 16 तुम्हारे माता-पिता, भाई-बहन तथा परिजन और मित्र ही तुम्हारे साथ धोखा करेंगे—वे तुम में से कुछ की तो हत्या भी कर देंगे. 17 मेरे नाम के कारण सभी तुमसे घृणा करेंगे. 18 फिर भी तुम्हारे एक बाल तक की हानि न होगी. 19 तुम्हारे धीरज में छिपी होगी तुम्हारे जीवन की सुरक्षा.

20 “जिस समय येरूशालेम नगर सेनाओं द्वारा घिरा हुआ दिखे, तब यह समझ लेना कि विनाश पास है. 21 तब वे, जो यहूदिया प्रदेश में हैं, भाग कर पर्वतों की शरण लें; वे, जो नगर में हैं, नगर छोड़ कर चले जाएँ; जो नगर के बाहर हैं, वे नगर में प्रवेश न करें 22 क्योंकि यह बदला लेने का समय होगा कि वह सब, जो लेखों में पहले से लिखा है, पूरा हो जाए. 23 दयनीय होगी गर्भवती और दूध पिलाती स्त्रियों की स्थिति! क्योंकि यह मनुष्यों पर क्रोध तथा पृथ्वी पर घोर संकट का समय होगा.

24 “वे तलवार से घात किए जाएँगे, अन्य राष्ट्र उन्हें बन्दी बना कर ले जाएँगे. येरूशालेम नगर अन्यजातियों द्वारा उस समय तक रौंदा जाएगा जब तक अन्यजातियों का समय पूरा न हो जाए.

25 “सूर्य, चन्द्रमा और तारों में अद्भुत चिह्न दिखाई देंगे. पृथ्वी पर राष्ट्रों में आतंक छा जाएगा. उफ़नते सागर की लहरों के कारण लोग घबरा जाएँगे. 26 लोग भय और इस आशंका से मूर्च्छित हो जाएँगे कि अब संसार का क्या होगा क्योंकि आकाश की शक्तियाँ हिला दी जाएँगी. 27 तब वे मनुष्य के पुत्र को बादल में सामर्थ्य और प्रताप में नीचे आता हुआ देखेंगे. 28 जब ये घटनाएँ घटित होने लगें, साहस के साथ स्थिर खड़े हो कर आनेवाली घटना की प्रतीक्षा करो क्योंकि समीप होगा तुम्हारा छुटकारा.”

29 तब मसीह येशु ने उन्हें इस दृष्टान्त के द्वारा शिक्षा दी: “अंजीर के पेड़ तथा अन्य वृक्षों पर ध्यान दो. 30 जब उनमें कोंपलें निकलने लगती हैं तो तुम स्वयं जान जाते हो कि गर्मी का समय पास है. 31 इसी प्रकार, जब तुम इन घटनाओं को घटित होते हुए देखो तो तुम यह जान जाओगे कि परमेश्वर का राज्य अब पास है.

32 “वस्तुत: यह पीढ़ी उस समय तक समाप्त नहीं होगी जब तक ये सभी घटनाएँ घटित न हो जाएँ. 33 आकाश और पृथ्वी का लुप्त हो जाना सम्भव है किन्तु मेरे शब्दों का बिलकुल नहीं.

34 “सावधान रहना कि तुम्हारा हृदय जीवन सम्बन्धी चिन्ताओं, दुर्व्यसनों तथा मतवालेपन में पड़ कर सुस्त न हो जाए और वह दिन तुम पर अचानक से फन्दे जैसा आ पड़े. 35 उस दिन का प्रभाव पृथ्वी के हर एक मनुष्य पर पड़ेगा. 36 हमेशा सावधान रहना, प्रार्थना करते रहना कि तुम्हें इन आनेवाली घटनाओं से निकलने के लिए बल प्राप्त हो और तुम मनुष्य के पुत्र की उपस्थिति में खड़े हो सको.”

37 दिन के समय मसीह येशु मन्दिर में शिक्षा दिया करते तथा सन्ध्याकाल में वह ज़ैतून पर्वत पर जा कर प्रार्थना करते हुए रात बिताया करते थे. 38 लोग भोर में उनका प्रवचन सुनने मन्दिर आ जाया करते थे.

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2 कोरिन्थॉस 6

परमेश्वर के सहकर्मी होने के कारण हमारी तुमसे विनती है कि तुम उनसे प्राप्त उनके अनुग्रह को व्यर्थ न जाने दो क्योंकि परमेश्वर का कहना है:

“अनुकूल अवसर पर मैंने तुम्हारी पुकार सुनी,
    उद्धार के दिन मैंने तुम्हारी सहायता की.”

सुनो! यही है वह अनुकूल अवसर; यही है वह उद्धार का दिन!

पौलॉस के कष्ट

हमारा स्वभाव किसी के लिए किसी भी क्षेत्र में बाधा नहीं बनता कि हमारी सेवकाई पर दोष न हो. इसलिए हम हर एक परिस्थिति में स्वयं को परमेश्वर के सुयोग्य सेवक के समान प्रस्तुत करते हैं: धीरज से पीड़ा सहने में, दरिद्रता में, कष्ट में, सताहट में, जेल में, उपद्रव में, अधिक परिश्रम में, अपर्याप्त नींद में, उपवास में, शुद्धता में, ज्ञान में, धीरज में, सहृदयता में, पवित्रता के भाव में, निश्छल प्रेम में, सच के सन्देश में, परमेश्वर के सामर्थ्य में, वार तथा बचाव दोनों ही पक्षों के लिए परमेश्वर की धार्मिकता के शस्त्रों से सुसज्जित, आदर-निरादर में और निन्दा-प्रशंसा में; हमें भरमानेवाला समझा जाता है, जबकि हम सत्यवादी हैं; हम तुच्छ समझे जाते हैं फिर भी प्रसिद्ध हैं; हम मरे हुए समझे जाते हैं किन्तु देखो! हम जीवित हैं! हमें दण्ड तो दिया जाता है किन्तु हमारे प्राण नहीं लिए जा सके. 10 हम कष्ट में भी आनन्दित रहते हैं. हालांकि हम स्वयं तो कंगाल हैं किन्तु बाकियों को धनवान बना देते हैं. हमारी निर्धनता में हम धनवान हैं.

11 कोरिन्थवासियो! हमने पूरी सच्चाई में तुम पर सच प्रकट किया है—हमने तुम्हारे सामने अपना हृदय खोल कर रख दिया है. 12 हमने तुम पर कोई रोक-टोक नहीं लगाई; रोक-टोक स्वयं तुमने ही अपने मनों पर लगाई है. 13 तुम्हें अपने बालक समझते हुए मैं तुमसे कह रहा हूँ: तुम भी अपने हृदय हमारे सामने खोल कर रख दो.

विश्वासियों और अविश्वासियों में मेल-जोल असम्भव

14 अविश्वासियों के साथ असमान सम्बन्ध में न जुड़ो. धार्मिकता तथा अधार्मिकता में कैसा मेलजोल या ज्योति और अंधकार में कैसा सम्बन्ध? 15 मसीह और शैतान में कैसा मेल या विश्वासी और अविश्वासी में क्या सहभागिता? 16 या परमेश्वर के मन्दिर तथा मूर्तियों में कैसी सहमति? हम जीवित परमेश्वर के मन्दिर हैं. जैसा कि परमेश्वर का कहना है:

मैं उनमें वास करूँगा,
    उनके बीच चला फिरा करूँगा,
मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरी प्रजा.

17 इसलिए

उनके बीच से निकल आओ
    और अलग हो जाओ.
            यह प्रभु की आज्ञा है
उसका स्पर्श न करो, जो अशुद्ध है तो मैं तुम्हें स्वीकार करूँगा.
18 मैं तुम्हारा पिता होऊँगा
    और तुम मेरी सन्तान.
            यही है सर्वशक्तिमान प्रभु का कहना.

Saral Hindi Bible (SHB)

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